विश्लेषकों का मानना है कि वैश्विक चुनौतियों के बीच अल्पावधि में भारतीय बाजारों की चाल सीमित दायरे में रहने का अनुमान है। उनका मानना है कि बढ़ती ब्याज दरों, कच्चे तेल की कीमतों में मजबूती, और भूराजनीतिक चिंताएं ताजा गिरावट की परवाह किए बगैर धारणा को नियंत्रित बनाए रखेंगी। हाल में आई गिरावट ने मूल्यांकन कुछ हद तक उपयुक्त बना दिया है।
क्रेडिट सुइस वेल्थ मैनेजमेंट इंडिया में वैश्विक निवेश प्रबंधन के निदेशक जितेंद्र गोहिल ने प्रेमल कामदार के साथ मिलकर तैयार की गई एक रिपोर्ट में लिखा है, ‘भारतीय इक्विटी बाजार में झागदार मूल्यांकन हाल में रेटिंग गिरावट के बाद कमजोर पड़ा है। हालांकि वैश्विक अनिश्चितताएं ऊंची बनी हुई हैं, लेकिन भारतीय इक्विटी बाजार अल्पावधि में सीमित दायरे में बने रह सकते हैं। हमें 2023 की दूसरी छमाही में अच्छे सुधार की उम्मीद है, क्योंकि प्रमुख केंद्रीय बैंक वैश्विक वृद्धि परिदृश्य पर दबाव के बीच अपने दर वृद्धि चक्र को समाप्त कर सकते हैं।’
गोहिल और कामदार ने लिखा है कि किसी तरह की बड़ी गिरावट खरीदारी का अच्छा अवसर प्रदान कर सकती है, क्योंकि भारत का मध्यावधि परिदृश्य मजबूत बना हुआ है। ज्यूरिख में मुख्यालय वाले निवेश बैंक एवं वित्तीय सेवा कंपनी ने निवेश रणनीति के तौर पर निवेशकों को उन क्षेत्रों पर दांव लगाने का सुझाव दिया है जो ज्यादा घरेलू निवेश से जुड़े हुए हैं, क्योंकि वैश्विक परिदृश्य प्रतिकूल बना हुआ है। 1 दिसंबर, 2022 के 63,583.07 के अपने 52 सप्ताह के ऊंचे स्तरों से सेंसेक्स वैश्विक और घरेलू चिंताओं के बीच अब करीब 5.5 प्रतिशत गिरकर 60,100 के स्तर पर आ गया है।
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एनएसई का निफ्टी-50 भी अपने 18,887.6 की 52 सप्ताह की ऊंचाई से करीब 6.3 प्रतिशत फिसला है। क्रेडिट सुइस वेल्थ मैनेजमेंट के अनुसार, निफ्टी का 12 महीने का पीई मूल्यांकन (17.8 गुना) उसके 10 वर्ष के नजदीक है, जबकि उसका मूल्यांकन प्रीमियम वैश्विक प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले घटा है। एमएससीआई इमर्जिंग मार्केट्स/वर्ल्ड के मुकाबले मॉर्गन स्टैनली कैपिटल इंटरनैशनल इंडिया (एमएससीआई) का प्रीमियम अब 57 प्रतिशत/15 प्रतिशत पर है।
हालांकि यूबीएस के विश्लेषक भारतीय इक्विटी पर ‘अंडरवेट’ बने हुए हैं और उन्होंने दिसंबर 2023 के अंत तक निफ्टी-50 सूचकांक के लिए 18,000 का लक्ष्य रखा है, जो मौजूदा स्तरों से महज 1.3 प्रतिशत की तेजी का संकेत है। रणनीति के तौर पर वे बैंकिंग, कंज्यूमर स्टैपल्स, ऑटोमोटिव को पसंद कर रहे हैं और आईटी, सेवा, धातु एवं खनन, तथा कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी क्षेत्रों पर अंडरवेट बने हुए हैं।
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यूबीएस सिक्योरिटीज इंडिया में रणनीतिकार सुनील तिरुमलाई ने एक ताजा रिपोर्ट में कहा है, ‘भारत महंगा बना हुआ है। घरेलू प्रवाह घटने और बैंक सावधि जमा दरें बढ़ने से हमें मूल्यांकन सामान्य होने का अनुमान है। हम बाजारों में घरेलू पूंजी में कमजोरी आने का स्पष्ट संकेत देख रहे हैं। बाजार में खुदरा प्रत्यक्ष प्रवाह नकारात्मक हो गया है, जबकि म्युचुअल फडों में भी प्रवाह लगातार घट रहा है।’
प्रभुदास लीलाधर के शोध प्रमुख अमनीश अग्रवाल का मानना है कि उन्हें अप्रैल 2024 तक निफ्टी-50 सूचकांक 20,551 (शुरू में 20,801 पर पहुंचने का अनुमान जताया गया था) पर पहुंचने की उम्मीद है।