Emerging India फोकस फंड्स नाम की एक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) ने सेबी (Sebi) के साथ एफपीआई नियमों के उल्लंघन से जुड़े मामले को 64.35 लाख रुपये के सेटलमेंट के जरिए सुलझा लिया है।
सेटलमेंट नियमों के तहत, फंड ने आरोपों को स्वीकार या खारिज किए बिना इस मामले को सुलझाया। सेबी के सेटलमेंट ऑर्डर के अनुसार, एफपीआई नियमों और इंटरमीडियरी नियमों के कथित उल्लंघन का मामला था। फरवरी में इस पर सेबी ने फंड को एक शो-कॉज नोटिस भेजा था।
सेबी की हाई-पावर्ड एडवाइजरी कमेटी ने सेटलमेंट के लिए शर्तों पर विचार किया और सेटलमेंट अमाउंट की सिफारिश की, जिसे बाद में फुल टाइम सदस्यों के पैनल ने मंजूरी दी। आदेश के मुताबिक, फंड ने कथित तौर पर FPI Regulations 2019 के नियम 22(1)(c) और (h) का उल्लंघन किया था।
सेबी के आदेश के अनुसार, Emerging India Focus Funds ने 13 नवंबर को सेटलमेंट की रकम जमा कर दी है। इस आदेश में कहा गया है कि 29 फरवरी, 2024 को जारी किए गए शो-कॉज नोटिस के तहत शुरू की गई कार्रवाई सेटलमेंट के जरिए खत्म कर दी गई है।
फंड पर आरोप था कि उसने FPI नियमों के तहत “फिट एंड प्रॉपर” मापदंडों का उल्लंघन किया और फंड की मालिकाना हक या नियंत्रण में किसी भी बदलाव की जानकारी निर्धारित डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट को लिखित में नहीं दी।
इसके अलावा, FPI नियमों के कोड ऑफ कंडक्ट के क्लॉज 6 का कथित उल्लंघन भी सामने आया, जिसमें एफपीआई को झूठे बयान देने या किसी दस्तावेज़ में जरूरी तथ्य छुपाने से मना किया गया है।
यह फंड हिन्डनबर्ग रिसर्च की उस रिपोर्ट में भी शामिल था, जिसमें अदाणी समूह पर शेयर के दाम बढ़ाने में भूमिका निभाने का आरोप लगाया गया था। हालांकि, एक सूत्र ने स्पष्ट किया कि यह शो-कॉज नोटिस अदाणी समूह से संबंधित नहीं था और यह किसी अन्य मामले से जुड़ा था।
Business Standard स्वतंत्र रूप से यह पुष्टि नहीं कर सका है कि सेटलमेंट का संबंध हिन्डनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों या उनसे संबंधित किसी जांच से है।
अमेरिका की शॉर्ट-सेलर हिन्डनबर्ग रिसर्च ने जनवरी 2023 में गौतम अदाणी के नेतृत्व वाले समूह पर अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि कई एफपीआई स्ट्रक्चर का उपयोग सार्वजनिक शेयरधारिता के नियमों को दरकिनार करने के लिए किया गया।
हिन्डनबर्ग की रिपोर्ट में दावा किया गया कि “ट्रेडिंग पैटर्न से संकेत मिलता है कि कुछ अदाणी कंपनियों के शेयरों के वॉल्यूम और कीमतों को कृत्रिम रूप से बढ़ाने के लिए संदिग्ध ऑफशोर इकाइयों का उपयोग किया गया।” इस रिपोर्ट में Emerging India Focus Funds और अन्य दो एफपीआई का भी जिक्र किया गया था।
शॉर्ट-सेलर ने आरोप लगाया कि विनोद अदाणी का कई मॉरीशस-आधारित शेल इकाइयों से संबंध था या वे उन्हें नियंत्रित करते थे। अदाणी समूह ने इन आरोपों को कई मौकों पर खारिज किया है। सेबी ने भी इस मामले में शॉर्ट-सेलर को नोटिस भेजे थे।
इस साल हिन्डनबर्ग ने आरोप लगाया कि सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच की अदाणी समूह से संबंधित मामलों की जांच में निष्पक्षता संदिग्ध है, क्योंकि उनका कुछ एफपीआई में हिस्सा था, जो इस समूह से जुड़े थे। हालांकि, बुच ने इन आरोपों को बेबुनियाद करार दिया।
सेबी ने इस मामले में कई जांचें शुरू कीं और एफपीआई से जुड़े मामलों पर कार्रवाई की। Emerging India Focus Funds का हालिया सेटलमेंट किसी अन्य मामले से संबंधित बताया गया है, और इसे अदाणी समूह या हिन्डनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से जोड़ने के कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं।
अदाणी-हिन्डनबर्ग मामले में सेबी की जांच लगभग पूरी
इस साल अगस्त में सेबी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि अदाणी समूह और हिन्डनबर्ग रिसर्च से जुड़े मामले में उसने 24 में से 23 जांच पूरी कर ली हैं। इससे पहले, जनवरी 2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच को विशेष जांच टीम (SIT) को सौंपने की मांग को खारिज कर दिया था। अदालत ने सेबी को निर्देश दिया था कि वह तीन महीने के भीतर अपनी जांच पूरी करे।
एफपीआई के जरिए न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता नियमों को दरकिनार करने की चिंताओं को देखते हुए सेबी ने एक सख्त खुलासा नीति लागू की है। अब, अगर एफपीआई तय सीमा से अधिक हो जाती है, तो उसे आर्थिक हित और स्वामित्व से जुड़ी जानकारी देना अनिवार्य होगा।