facebookmetapixel
रूसी तेल पर पश्चिमी देशों का दोहरा रवैया, अमेरिकी दबाव के बीच जयशंकर का पलटवारकोयला मंत्रालय ने भूमिगत कोयला गैसीकरण के लिए मसौदा दिशानिर्देश जारी किएबीमा क्षेत्र की बिक्री बढ़ी पर शुरुआती चुनौतियांइलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम के तहत 5,532 करोड़ रुपये की 7 परियोजनाएं मंजूरडायरेक्ट असाइनमेंट को बैंकों से वरीयता मिलने की संभावनासरकारी बैंकों में विदेशी निवेश 49% तक बढ़ाने की तैयारी, सरकार खोल सकती है दरवाजेलगातार तीन तिमाहियों की बढ़त के बाद कारोबारी धारणा में गिरावटसेबी ने मिल्की मिस्ट डेयरी फूड, क्योरफूड्स इंडिया समेत 5 आईपीओ को मंजूरी दीऋण के सार्वजनिक निर्गम में चुनिंदा निवेशकों को प्रोत्साहन पर विचारDollar vs Rupee: आयातकों की लगातार डॉलर मांग से रुपये में कमजोरी

US Fed द्वारा ब्याज दर बढ़ाने से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों पर प्रभाव

Last Updated- December 11, 2022 | 3:25 PM IST

अमेरिका में महंगाई के आंकड़े जारी होने के बाद फेडरल रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में जल्द इज़ाफ़ा करने का अनुमान लगाया जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि जारी किये आंकड़ों में अनुमान से भी कम गिरावट देखी गई है। इस चिंता के कारण अमेरिका के साथ ही भारतीय शेयर बाज़ार में भी बड़ा उतार- चढ़ाव देखने को मिल रहा है। 

तो आखिर अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने से दुनिया भर के बाज़ारों पर क्यों प्रभाव पड़ता है।  ख़ास तौर से भारत पर?

अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने का सीधा असर विकासशील देशों के बाज़ारों पर पड़ता है जैसे की भारत । इससे अमेरिका में बॉन्ड यील्ड पर सकारात्मक प्रभाव होता है और निवेशक अपने ही देश में पूंजी लगाने के लिए प्रेरित होते हैं।

हम सभी जानते है कि किसी भी विकासशील देश में विकसित देशों की तुलना में विकास की असीमित संभावनाएं होती है। इसी कारण अमेरिका में  ब्याज दरें भारत की तुलना में काफी कम है। जिसका फ़ायदा निवेशक उठाते है। वे अधिक रिटर्न के लिए बैंकों से पैसा निकलकर भारतीय बाज़ारों में  निवेश करते हैं। लेकिन जब ब्याज दरें बढ़ती है तो यही निवेशक अपने देश में निवेश करने लगते है। नतीजतन भारतीय बाज़ार को घाटे का सामना करना पड़ता है।  

इतना ही नहीं, ब्याज दर बढ़ने का नकारात्मक प्रभाव रुपये पर भी पड़ता है। डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में गिरावट आती है। इससे विदेश में निवेश करने वालों का रिटर्न भी कम हो जाता है।

ऐसा नहीं है कि अमेरिका के बाज़ार ने हमेशा ही भारत पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। जब भी अमेरिका में ब्याज दर घटी है तो इसका सकारात्मक प्रभाव भी भारतीय बाज़ारों पर पड़ा है। 

बता दें, 30 अक्टूबर 2019 में अर्थव्यवस्था को मंदी में जाने से रोकने के लिए फेड ने 25 आधार अंक अमेरिका में ब्याज दर घटाई थी, जिसके अगले ही दिन सेंसेक्स रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया था।

सैमको सिक्योरिटीज के मार्केट पर्सपेक्टिव्स के प्रमुख अपूर्व शेठ का कहना है कि इस सप्ताह FOMC की बैठक और प्रेस कॉन्फ्रेंस पर विश्व नज़र होगी। वैश्विक स्तर पर, फेड के ब्याज दर के फैसले से बाज़ारों में उथल-पुथल हो सकती है। हालांकि, भारत ने सभी की तुलना में काफी बेहतर प्रदर्शन किया है। अन्य प्रमुख बाज़ारों में इसके अस्थिर रहने की उम्मीद कि जा रही है।

First Published - September 19, 2022 | 4:11 PM IST

संबंधित पोस्ट