प्राइम डेटाबेस के आंकड़े से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही के दौरान एनएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों में घरेलू निवेशकों (संस्थागत और व्यक्तिगत, दोनों) की शेयरधारिता 24.44 प्रतिशत के ऊंचे स्तर पर पहुंच गई।
प्राइम डेटाबेस ग्रुप के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा, ‘यह लगातार पांचवीं तिमाही थी, जिसमें घरेलू शेयरधारिता बढ़ी। इससे घरेलू निवेशकों का दबदबा बढ़ने का पता चलता है।’
47,349 करोड़ रुपये के निवेश की मदद से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की शेयरधारिता वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में बढ़कर 20.18 प्रतिशत हो गई, जो दूसरी तिमाही के अंत में 19.98 प्रतिशत थी।
हल्दिया ने कहा, ‘एफपीआई की भागीदारी 23.3 प्रतिशत थी, जबकि घरेलू निवेशकों का संयुक्त योगदान 31 मार्च 2015 तक महज 18.47 प्रतिशत था।’
घरेलू निवेशक श्रेणी में, म्युचुअल फंडों (एमएफ) का योगदान लगातार छठी तिमाही में बढ़कर 8.09 प्रतिशत के सर्वाधिक ऊंचे स्तर पर पहुंच गया, जबकि बीमा कंपनियों की शेयरधारिता 5.65 प्रतिशत की पांच वर्षीय ऊंचाई पर पहुंच गई।
छोटे निवेशकों की भागीदारी तिमाही आधार पर 11 आधार अंक घटकर 7.23 प्रतिशत रही, जबकि अमीर निवेशकों (एचएनआई) के लिए यह 1 आधार अंक घटकर 1.89 प्रतिशत रह गई।
इस बीच, निजी कंपनियों में प्रवर्तक शेयरधारिता घटकर 43.25 प्रतिशत के तीन वर्षीय निचले स्तर पर रही, जो 30 सितंबर, 2022 को 44.59 प्रतिशत थी। सूचीबद्ध पीएसयू में सरकारी शेयरधारिता 6.87 प्रतिशत से बढ़कर 7.99 प्रतिशत के चार वर्षीय ऊंचे स्तर पर पहुंच गई।