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एफ आईआई से परेशान घरेलू कारोबारी

Last Updated- December 08, 2022 | 4:03 AM IST

घरेलू इक्विटी बाजार के कारोबारी विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की उधारी पर शेयर लेने और देने की हरकत से खासे परेशान दिख रहे हैं।


हालांकि वित्त मंत्रालय यह आश्वासन दे चुका है कि शेयरों की उधारी के जरिये होने वाली शॉर्ट सेलिंग न के बराबर है, लेकिन कारोबारी अब भी आश्वस्त नहीं हैं।इस साल की शुरुआत से ही एफआईआई पार्टिसिपेटरी नोट्स (पीएन) के तहत आनेवाले शेयर विदेशी बाजारों उधार देते आए हैं।

 इनका इस्तेमाल भारत में शॉर्ट-सेलिंग केलिए किया जाता है। बाजार में भागीदारी रखनेवालों का कहना है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा की जाने वाली करीब 1,200 करोड़ मूल्य की बिकवाली में से करीब 50 प्रतिशत का कारोबार विदेशों में शॉर्ट-सेलिंग के लिए उधार दिए जानेवाले शेयरों के जरिये होता है।

माना जा रहा है कि इस शॉर्ट-सेलिंग ने ही शेयर बाजार को नीचे लाने में एक बड़ी भूमिका निभाई है। हालांकि वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने दावा किया है कि विदेशी में बेचे जाने वाले शेयर 224 कंपनियों के बाजार पूंजीकरण का मात्र 0.2 प्रतिशत हिस्सा हैं, लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू भी है।

एक प्रमुख फंड प्रबंधक के अनुसार किसी भी समय 200 कंपनियों के कुल शेयरों का महज 10 से 13 प्रतिशत हिस्सा ही बाजार में उपलब्ध होता हैं। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के आंकड़े भी ऐसा ही कहते हैं।

आंकड़ों के मुताबिक बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की 200 कंपनियों के कुल शेयरों का लगभग 87 प्रतिशत हिस्सा बड़े संस्थागत निवेशकों केपास पडा हुआ है। इनमें विदेशी संस्थागत निवेशक, घरेलू बीमा कंपनियां, म्युचुअल फंड और प्रवर्तक शामिल हैं।

फंड प्रबंधक ने कहा कि इस साल केशुरुआत से विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा बेचे गए शेयर दरअसल शॉर्ट सेलिंग ही थी। उन्होंने कहा कि इस साल अक्टूबर में बाजार में बड़े स्तर पर जो बिकवाली हुई थी वह भी शॉर्ट-सेलिंग ही थी।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी)के आंकड़े देखें, तो 224 कंपनियों के शेयर उधार देने में 34 विदेशी संस्थागत निवेशक शामिल थे। इन शेयरों की कुल कीमत एक नवंबर के शेयरों की कीमत के आधार पर 5,000 करोड़ रुपये ठहरती है।

सेबी ने इस साल अक्टूबर के अंत में विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा विदेशों में की जा रही कुल लेंडिंग के आंकड़े जारी किए थे। हालांकि शॉर्ट-सेलिंग की राशि उपरोक्त आंकड़ों का पांच से छह गुणा तक हो सकती है क्योंकि शेयरों की कीमत में करीब 60 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है।

First Published - November 18, 2008 | 10:21 PM IST

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