इस महीने देसी इक्विटी में तेज उछाल से शायद म्युचुअल फंड उद्योग की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां (AUM) 50 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच चुकी होगी। पिछले महीने के आखिर में उद्योग का औसत AUM करीब 48 लाख करोड़ रुपये था।
नवंबर में लार्जकैप इंडेक्स निफ्टी-50 में 4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, वहीं स्मॉलकैप व मिडकैप सूचकांकों में करीब 8 फीसदी की उछाल दर्ज हुई।
AUM के आधिकारिक आंकड़े हालांकि अगले महीने जारी होंगे, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अगर पिछले महीने आए निवेश की तरह ही नवंबर में निवेश हासिल हुआ होगा तो इस महीने AUM 50 लाख करोड़ रुपये के नए मुकाम पर पहुंच जाएगा। अक्टूबर में उद्योग ने शुद्ध रूप से 80,500 करोड़ रुपये का निवेश हासिल किया था।
एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के चेयरमैन और एचडीएफसी ऐसेट मैनेजमेंट के प्रबंध निदेशक व सीईओ नवनीत मुनोत ने कहा, 50 लाख करोड़ रुपये का AUM उद्योग के लिए अहम है, लेकिन दिल को सुकून देने वाली बड़ी विशेषता अनुशासित तरीके से एसआईपी के जरिये खुदरा निवेशकों की बढ़ती भागीदारी है।
हालांकि फंडों का प्रसार अभी भी कम है और उद्योग का लंबा सफर तय करना बाकी है। वृद्धि की रफ्तार और जोर पकड़ेगी क्योंकि हम अभी बचत को वित्तीय रूप में आने की प्रक्रिया के शुरुआती चरण में हैं।
30 लाख करोड़ रुपये से 40 लाख करोड़ रुपये के AUM के सफर में 24 महीने लगे और अगर यह इस महीने 50 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को छूता है तो AUM में अगले 10 लाख करोड़ रुपये का जुड़ाव आधे वक्त में हो जाएगा।
हाल के वर्षों में उद्योग की रफ्तार काफी तेज रही है, खास तौर से कोविड के बाद। जिसे इक्विटी बाजार में बढ़त और एसआईपी की लोकप्रियता में इजाफे का फायदा मिला है।
मासिक सकल एसआईपी निवेश (जो वित्त वर्ष 2020 में करीब 8,000 करोड़ रुपये था) अब बढ़कर 16,900 करोड़ रुपये पर पहुंच चुका है। अकेले एसआईपी के जरिए निवेश वित्त वर्ष 24 के पहले सात महीने में एक लाख करोड़ रुपये के पार निकल चुका है।
उद्योग को लगता है कि अगर अप्रैल 2023 में डेट MF योजनाओं के कराधान में बदलाव नहीं हुआ होता तो 50 लाख करोड़ रुपये के AUM का आंकड़ा थोड़ा पहले हासिल हो चुका होता। पैसिव डेट फंडों में सुस्ती से निवेश का आंकड़ा स्पष्ट हो गया।
इन योजनाओं ने अप्रैल-अक्टूबर 2023 के दौरान 13,200 करोड़ रुपये की निकासी दर्ज की जबकि वित्त वर्ष 23 के दौरान इनमें 76,080 करोड़ रुपये का निवेश आया था।
म्युचुअल फंड उद्योग इस दशक के पूरा होने से पहले 100 लाख करोड़ रुपये का AUM हासिल करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। साल 2019 में एम्फी ने एक रिपोर्ट जारी कर उद्योग की वृद्धि व AUM को 100 लाख करोड़ रुपये के पार लेजाने को लेकर कार्ययोजना सामने रखी थी।
रिपोर्ट में जिन कदमों की सिफारिश की गई थी उनमें वितरण पहुंच का विस्तार शामिल है ताकि बड़े शहरों से इतर निवशकों को इससे जोड़ा जा सके। साथ ही योजनाओं के सरलीकरण और घरेलू बचत की हिस्सेदारी में इजाफे की भी सिफारिश की गई थी।
वित्त वर्ष 23 में म्युचुअल फंडों ने घरेलू बचत से रिकॉर्ड 1.8 लाख करोड़ रुपये हासिल किए, लेकिन कुल बचत में उनकी हिस्सेदारी 6.1 फीसदी रही। बैंक जमाओ, छोटी बचत योजनाओं और बीमा योजनाओं को घरेलू बचत की ज्यादा हिस्सेदारी मिली।
उद्योग के प्रतिभागियों ने कहा, चूंकि म्युचुअल फंडों की लोकप्रियता बढ़ रही है, ऐसे में घरेलू बचत में उसकी हिस्सेदारी में भी आगे इजाफा होगा।