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अक्टूबर में डेरिवेटिव ने फिर पकड़ी रफ्तार, दैनिक औसत कारोबार 12 महीने के हाई पर

यह जून के मुकाबले 46 फीसदी ज्यादा है। उतारचढ़ाव बढ़ने और नियामक सख्ती की चिंता कम पड़ने से यह तेजी आई

Last Updated- November 05, 2025 | 9:17 PM IST
Stock Market

डेरिवेटिव बाजार में रोजाना का औसत कारोबार (एडीटीवी) अक्टूबर में 12 महीने के उच्चतम स्तर (506 लाख करोड़ रुपये) पर पहुंच गया। यह जून के मुकाबले 46 फीसदी ज्यादा है। उतारचढ़ाव बढ़ने और नियामक सख्ती की चिंता कम पड़ने से यह तेजी आई।

इस वर्ष की शुरुआत में डेरिवेटिव गतिविधियों में तब गिरावट आ गई थी, जब भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने साप्ताहिक एक्सपायरी की सीमा दो दिन तय कर दी थी। साथ ही उसने गैर-बेंचमार्क सूचकांकों पर साप्ताहिक अनुबंध भी बंद कर दिए थे। नवीनतम उछाल से कारोबार सितंबर 2024 में दर्ज 537 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर के 5.7 फीसदी के भीतर आ गया है।

एसबीआई सिक्योरिटीज के चीफ बिजनेस ऑफिसर सुरेश शुक्ल ने कहा, जब नियामकीय बदलाव प्रभावी होने लगे तो डेरिवेटिव के वॉल्यूम में गिरावट आई। सबसे बड़ी आशंका यह थी कि साप्ताहिक एक्सपायरी पूरी तरह से बंद कर दी जाएगी। लेकिन हाल में नियामक ने स्पष्ट किया गया है कि ऐसा कदम उठाने की संभावना नहीं है।

डेरिवेटिव का उपयोग बड़े पैमाने पर उन ट्रेडरों द्वारा किया जाता है, जो बाजार की मध्यम अवधि की दिशा के बारे में कम चिंतित होते हैं। चॉइस ब्रोकिंग के कार्यकारी निदेशक सुमित बागड़िया के अनुसार, कारोबार में वृद्धि सूचकांक और स्टॉक ऑप्शन्स में बढ़ती भागीदारी दर्शाती है जिसे आसान डिजिटल पहुंच और साप्ताहिक अनुबंधों में निरंतर दिलचस्पी से मदद मिली है।

उन्होंने कहा, महीने के दौरान बाजार में थोड़े ज्यादा उतारचढ़ाव ने भी वायदा एवं विकल्प में अल्पावधि की ट्रेडिंग और हेजिंग को बढ़ावा दिया। हालांकि नकदी खंड में सुस्ती बनी रही। इसका रोजाना का औसत कारोबार मासिक आधार पर करीब-करीब अपरिवर्तित यानी 1.06 लाख करोड़ रुपये रहा जो अभी भी जून 2024 के शिखर 1.65 लाख करोड़ रुपये से करीब 35 फीसदी कम है।

शुक्ला ने कहा, नकदी बाजार का कारोबार इस बात पर निर्भर करता है कि हाल में शेयरों का प्रदर्शन कैसा रहा है। सितंबर तक निफ्टी और सेंसेक्स काफी हद तक सीमित दायरे में ही रहे।

उन्होंने कहा, जब लगातार तेजी का रुख रहता है तो वॉल्यूम बढ़ता है। एक अच्छा महीना काफी नहीं होता। हालांकि कुछ मिड-कैप और स्मॉल-कैप शेयरों ने एक साल में 50 फीसदी से ज्यादा की बढ़त हासिल की है, फिर भी कई खुदरा निवेशक घाटे में हैं और बेचने से हिचकिचा रहे हैं। जब तक बाजार में तीन-चार महीने तक लगातार बढ़त नहीं दिखती, तब तक नकदी वॉल्यूम में सुधार की संभावना कम है।

इस बीच, दोनों एक्सचेंजों के बीच डेरिवेटिव बाजार में हिस्सेदारी के लिए लड़ाई जारी है और बीएसई वृद्धि के मामले में नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) से आगे निकल गया है। अक्टूबर में बीएसई के वायदा एवं विकल्प (एफऐंडओ) में रोजाना का औसत कारोबार मासिक आधार पर 33 फीसदी बढ़कर 221 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया जबकि एनएसई का 5.6 फीसदी बढ़कर 285 लाख करोड़ रुपये रहा।

दोनों एक्सचेंजों ने हाल में अपने साप्ताहिक अनुबंधों की एक्सपारी की तारीखों की अदला-बदली की है। एनएसई का निफ्टी अब गुरुवार की बजाय मंगलवार को एक्सपायर होता है। बीएसई के सेंसेक्स अनुबंध मंगलवार के बजाय गुरुवार को एक्सपायर होते हैं।

First Published - November 5, 2025 | 9:08 PM IST

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