वित्त वर्ष 2024-25 में घरेलू ब्रोकरों ने 4.11 करोड़ नए डीमैट खाते जोड़े हैं। इस तरह इनकी कुल संख्या बढ़कर 19.24 करोड़ पर पहुंच गई है। यह कुल डीमैट खातों की संख्या में अब तक की सबसे बड़ी सालाना वृद्धि है। नए खातों का मासिक औसत 34.2 लाख रहा। यह भी वित्त वर्ष के लिए नया रिकार्ड बनाया है। हालांकि बड़े शुरुआती आधार की वजह से प्रतिशत के लिहाज से वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024 के 32.2 फीसदी से घटकर वित्त वर्ष 2025 में 27.1 प्रतिशत रह गई।
डीमैट खाते शेयरों और म्युचुअल फंडों को ऑनलाइन माध्यम से रखने के लिए जरूरी हैं। डीमैट खातों की कुल संख्या 20 करोड़ के आसपास पहुंचने वाली है। फिर भी, यह आंकड़ा विशेष निवेशकों की संख्या को नहीं दर्शाता है क्योंकि व्यक्ति कई खाते रख सकता है। अनुमान है कि देश में लगभग 12 करोड़ विशिष्ट निवेशक हैं।
कोविड-19 महामारी के बाद से पूंजी बाजार तंत्र तेजी से विकसित हुआ है और इसे डीमैट खाते खोलने की सरल प्रक्रिया, बाजार में तेजी के रुझान और ट्रेडिंग की घटती लागत से मदद मिली है। हरेक वित्त वर्ष में जोड़े गए नए डीमैट खातों की संख्या अब महामारी से पहले मौजूद कुल खातों की संख्या के अनुरूप है।
हाल में कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की एक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘बाजारों तक रिटेल पहुंच पिछले पांच साल के दौरान तेजी से बढ़ी है जिससे प्राथमिक निर्गमों, सेकंडरी ट्रेडिंग और म्युचुअल फंड, पीएमएस और एआईएफ जैसे परोक्ष निवेश विकल्पों का दायरा बढ़ा है।’ रिपोर्ट में पूंजी बाजार पहुंच बढ़ाने के लिए सेबी और बाजार मध्यस्थों (जैसे एक्सचेंज, क्लियरिंग हाउस, ब्रोकर और रजिस्ट्रार) को भी श्रेय दिया गया है।
इसमें कहा गया है, ‘निवेशक सुरक्षा और बाजार स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ उनके प्रयास कारगर साबित हुए हैं। सेबी के अधिक सहयोगी नियम बनाने की प्रक्रिया और व्यापार-अनुकूल उपायों की ओर कदम बढ़ाने से अचानक लगने वाले नियामकीय झटकों का जोखिम कम हुआ है। हालांकि, पिछले बाजार प्रदर्शन और भविष्य में मजबूत रिटर्न का वादा छोटे निवेशकों को आकर्षित करने में उतनी ही अहम भूमिका निभाता है।’