बाजार

कम सार्वजनिक शेयरों वाले PSU की तेजी पर फिक्र

14 प्रतिशत से कम सार्वजनिक शेयरधारिता वाले 10 सार्वजनिक उपक्रमों के शेयर 76 प्रतिशत से लेकर 4.5 गुना तक हुए मजबूत

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सुन्दर सेतुरामन   
Last Updated- February 18, 2024 | 11:05 PM IST

अल्ट्रा-लो पब्लिक फ्लोट (कारोबार के लिए काफी सीमित संख्या में उपलब्ध शेयर) वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के शेयरों में तेज उछाल ने उचित मूल्य की तलाश और संभावित हेरफेर को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं। 

14 प्रतिशत से कम सार्वजनिक हिस्सेदारी वाले 10 पीएसयू के शेयरों के दाम पिछले साल 76 प्रतिशत से लेकर 4.5 गुना के बीच बढ़ चुके हैं। इस साल अब तक उनमें से आठ में 35 प्रतिशत से अधिक का इजाफा हो चुका है जबकि नैशनल स्टॉक एक्सचेंज निफ्टी स्मॉलकैप 100 में सात प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि कम सार्वजनिक शेयरधारिता होने से इन शेयरों को कीमतों में हेराफेरी की आशंका हो सकती है क्योंकि जोड़-तोड़ करने वाले लोग कारोबार के लिए उपलब्ध अ​धिकांश शेयरों पर आसानी से कब्जा जमा सकते हैं। कहा जाता है कि पीएसयू पैक के प्रति सकारात्मक धारणा खुदरा निवेशकों को फंसाने की राह आसान कर देती है। 

इक्विनॉमिक्स के संस्थापक चोकालिंगम जी का कहना है कि ऐसे शेयर की कीमत में बढ़ोतरी का बुनियादी आधार है या नहीं, इस बात का पता लगाने के लिए निवेशकों को आय वृद्धि और प्राइस-टु-अर्निंग (पी/ई) गुणकों पर नजर रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि परंपरागत रूप से आय वृद्धि के आधार पर अ​धिक मूल्यांकन उचित होता है। 

तेजी के रुख वाले मौजूदा बाजार में हमें पी/ई-टू-ग्रोथ (पीईजी) के अधिकतम दो अनुपात पर ध्यान देना चाहिए। अगर ऐसा नहीं किया जाता है कि पीएसयू सहित स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों में मुनाफावसूली की जानी चाहिए। किसी कंपनी की आय वृद्धि के संबंध में पीईजी अनुपात उसके मूल्यांकन के पबारे में बताता है। 

पी/ई को 12-महीने के अग्रिम आय पूर्वानुमानों से विभाजित करके इसकी गणना की जाती है। चूंकि कारोबार के लिए कम संख्या में शेयर वाले अधिकांश सार्वजनिक उपक्रमों के पास विश्लेषकों की दमदार कवरेज नहीं है। इसलिए निवेशकों के लिए सटीक आय वृद्धि के पूर्वानुमानों पर भरोसा करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। 

बाजार के भागीदारों का कहना है कि इसके परिणामस्वरूप शेयरों में उछाल आम तौर पर धारणा से प्रेरित रहती है। चोकालिंगम ने कहा कि अगर समझदार निवेशक अत्यधिक मूल्यांकन की वजह से बाहर निकलना शुरू कर देंगे तो फिर इन अधिक मूल्य वाले शेयरों को खरीदने वाला कोई नहीं होगा।

First Published : February 18, 2024 | 11:05 PM IST