भारतीयों के द्वारा की जा रही अच्छी-खासी बचत को देखते हुए 17 कंपनियों ने अपने म्युचुअल फंड लाइसेंस के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड यानी सेबी से मंजूरी मांगी है।
इन कंपनियों में जानी-मानी कंपनियां शामिल है जिनमें वित्तीय सेवा प्रदान करनेवाली संस्थाओं में एक्सिस बैंक, स्क्रोडर इन्वेस्टमेंट मैंनेजमेंट, इंडियाबुल्स, निको-एंबिट और शिनसेई बैंक शामिल है। भारत में खुदरा बाजार और निवेश करने की अपार संभावनाओं के बीच भारतीय एसेट मैंनेजमेंट कंपनियां विदेशी कंपनियों को जबरदस्त ढंग से आकर्षित कर रही है।
फिलहाल देश में 35 परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियां हैं जिसके कि बढ़कर 53 तक पहुंच जाने के आसार हैं। 5 लाख करोड़ रुपये मूल्य के संपत्ति प्रबंधन कारोबार के साथ पिछले कुछ सालों में एसेट अंडर मैंनेजमेंट(एयूएम) कंपनियों का काफी विस्तार हुआ है।
हालांकि वैश्विक बजार में इस साल जनवरी के बाद आई गिरावट से एयूएम कारोबार में मात्र 0.98 प्रतिशत का विकास हुआ है। वैश्विक बाजार में आई इस गिरावट से एयूएम का लगभग 10 प्रतिशत से ज्यादा का नुक सान हुआ है जिसकी वजह से एयूएम का कारोबार बहुत धीमा पड़ गया है।
भारत में एसेट मैंनेजमेंट कंपनियों पर मैककिनसे की रिपोर्ट केअनुसार वर्ष 2007 के 92 अरब डॉलर की तुलना में एसेट अंडर मैंनेजमेंट कारोबार के वर्ष 2012 तक 33 प्रतिशत की रफ्तार से आगे बढने के आसार हैं। जहां तक रिटेल सेगमेंट के विकास करने की बात है तो इसके सीएजीआर पर 36-42 प्रतिशत की रफ्तार से आगे बढ़ने की आसार हैं।
शिनशई बैंक के भारत प्रमुख संजय सचदेव कहते हैं कि भारत में बचत की बेहतर संभावनाओं को देखते हुए म्युचुअल फंड कंपनियां भारत में निवेश करने के प्रति आकर्षित हो रही है। उन्होंने आगे कहा कि एक और जहां अमेरिकी और यूरोपीय बाजार में कारोबार का बुरा हाल है वहीं भारत अभी भी अपने सकल घरेलू उत्पाद की दर को 7.5 प्रतिशत के स्तर पर बरकरार रख रहा है जोकि अपने आप में प्रशंसनीय है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका में फिलहाल 20,000 योजनाओं और उत्पाद के साथ करीब 700 म्युचुअल फंड हैं, अत: भारतीय बाजार में इसके विकास करने के जबरदस्त अवसर मौजूद हैं। अपने प्रतिद्वंदी एशियाई देशों की तुलना में जहां कि 100 केआसपास म्युचुअल फंड है,भारत में यह अपनी प्रारंभिक अवस्था में है।
इन तमाम बातों के अलावा जिसके कारण म्युचुअल फंड कंपनियां भारत में कारोबार करने के प्रति उत्साहित है, वह है एएमसी लगाने के लिए कम पेड-अप कैपिटल की आवश्यकता। अगर कोई विदेशी कंपनी भारत में 75-100 प्रतिशत की हिस्सेदारी(बाकी हिस्सेदारी घरेलू कंपनियों की) के साथ संपत्ति प्रबंधन कंपनी शुरू करना चाहती है तो उसे उस स्थिति में 200 करोड़ रुपये के पेड-अप कैपिटल की आवश्यकता होगी।
अगर विदेशी कंपनियां अपनी हिस्सेदारी 75 प्रतिशत से कम रखना चाहती है तो फिर मात्र 20 करोड रुपये की आवश्यकता होगी। रेलीगेयर एगॉन एएमसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सौरभ नानावती ने कहा कि हम भौतिक शाखाओं के साथ रिटेल मॉडल बनाना चाहते हैं और साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पहले वर्ष केकारोबार केदौरान हम करीब 100 शहरों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहते हैं।