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म्युचुअल फंडों के लिए आचार संहिता

Last Updated- December 07, 2022 | 11:45 PM IST

मैं यह जानना चाहता हूं कि क्या परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों के लिए एक निश्चित अवधि के बाद अपने नए फंड ऑफर के पोर्टफोलियो की जानकारी उपलब्ध कराना अनिवार्य है।


अगर ऐसा है तो फिर इन कंपनियों द्वारा एक निश्चित अवधि के बाद नए फंड ऑफर केपोर्टफोलियो के बारे में जानकारी नहीं दिए जाने की स्थिति में किस तरह की आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा?   –
अंकित झवेरी

हां, परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों के लिए एक निश्चित अवधि के बाद अपने नए फंड ऑफरों के पोर्टफोलियो के बारे में जानकारी देना अनिवार्य है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड, सेबी के दिशा-निर्देश के अनुसार किसी भी म्युचुअल फंड को 31 मार्च और 30 सितंबर को अपने नए फंड ऑफर के बारे में सभी यूनिटहोल्डरों को सूचित करना अनिवार्य होता है।

सभी एएमसी के लिए इन तारीखों पर पोर्टफोलियो के बारे में जानकारी देना जरूरी है लेकिन अधिकाशं कंपनियां अपने फंड पोर्टफोलियो की जानकारी महीने-दर-महीने केहिसाब से देती हैं। सेबी नियमन के 1996 के पांचवीं सूची में इस बारे में आचार संहिता की परिभाषा दी गई है। इसमें कहा गया है कि सभी ट्रस्टी और एएमसी को अपने यूनिटहोल्डरों को निवेश नीतियों, निवेश के विकल्पों, वित्तीय स्थिति के बारे में सही और उचित जानकारी देना अनिवार्य है।

क्या आप बता सकते हैं कि गोल्ड ईटीएफ किस तरह से काम करता है? इसके अलावा 5 से 6 सालों के बाद हम अपने निवेश को कैसे रीडीम कर सकते हैं? रिडेम्पशन केसमय जमा किए गए गोल्ड को फिजीकल गोल्ड में परिवर्तित किया जा सकता है या इसे नकद रूप में बदलकर इसका निवेशकों को भुगतान किया जा सकता है?  –
सुमेश

गोल्ड ईटीएफ एक्सचेंज ट्रेडेड फंड होते हैं जो कि परोक्ष रूप से सोने के प्रदर्शन पर नजर रखते हैं। ये फंड निवेशकों के रुपये से सोना खरीदते हैं और फिर इसे यूनिटों में तब्दील कर देते हैं। गोल्ड ईटीएफ के यूनिट को शेयर बाजार में शेयरों की तरह ही खरीदा और बेचा जा सकता है।

इसके लिए निवेशकों को शेयर बाजार में डीमेट एकाउंट खोलना पड़ता है जिसमें यूनिटों को सूचीबध्द किया जाता है। गोल्ड ईटीएफ की नेट एसेट वैल्यू को रोजाना की सोने की कीमतों के अनुसार तय किया जाता है। आपने जो अंतिम सवाल पूछा है उसका जवाब यह है कि खुदरा निवेशकों को गोल्ड ईटीएफ यूनिटों को भुनाने पर नकद राशि ही मिलेगी, फिजिकल गोल्ड नहीं।

यह प्रावधान या सुविधा सिर्फ बड़े निवेशकों के लिए उपलब्ध है जो कि एएमसी से गोल्ड ईटीएफ को सीधे रीडीम करा सकते हैं और उस राशि के बदले फिजिकल गोल्ड ले सकते हैं। हालांकि एएमसी द्वारा रिडिम्पशन की जानेवाली न्यूनतम इकाइयों को क्रिएशन यूनिट के मल्टिपल में होना चाहिए।

यह क्रिएशन यूनिट विभिन्न एएमसी केलिए अलग-अलग हैं जो कि 100 यूनिट से लेकर 1,000 यूनिट तक की हो सकती हैं। हालांकि इस तरह के रिडिम्पशन के साथ कर यानी टैक्स की पेचीदगियां भी जुड़ी होती हैं।

मैं 29 वर्षीय निवेशक हूं। मुझे लंबी अवधि का ऑप्शन प्लान  चुनना चाहिए या फिर फाइव स्टार रेटेड म्युचुअल फंड में लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहिए? मैं इसे लेकर ऊहापोह की स्थिति में हूं। –
पी सोलोमन

अगर आप अपनी सेवानिवृत्ति की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए आवश्यक राशि जुटाना चाहते हैं तो फिर बेहतर रेटिंग वाले इक्विटी फंड एक पेंशन फंड से बेहतर विकल्प हो सकते हैं। आपकी उम्र और निवेश केप्रति आपकी गहरी रुचि को देखते हुए आपको यह सलाह दी जा रही है। एक बेहतर रेटिंग वाले डाइवर्सिफाइड इक्विटी फंड, पेंशन फंड की तुलना में आपके सेवानिवृत्ति तक बेहतर कोष जुटाने में आपकी अधिक मदद कर सकता है।

इसमें आपको अधिक स्वतंत्रता भी मिलेगी क्योंकि सेवानिवृत्ति केसमय आप अपने कोष को अपनी पसंद के किसी भी नियमित आमदनी वाले जरिए में निवेश कर सकते हैं जबकि पेंशन फंड के संदर्भ में यह बात लागू नहीं है जहां सेवानिवृत्ति केसमय अपने कोष का केवल 33 प्रतिशत हिस्सा ही निकाल सकते हैं और बाकी का उपयोग एनुइटि योजनाओं को खरीदने में किया जाता है।

हमारी आपको सलाह है कि आप किसी फाइव स्टार रेटेड या फोर स्टार की रेटिंग वाले आक्रामक इक्विटी फंड में निवेश करें जिनमें कोटक ऑपर्च्युनिटीज, रिलायंस ग्रोथ और सुंदरम बीएनपी परिबास सलेक्ट मिडकैप शामिल हैं। अगर पेंशन फंडों की तरह आप करों में छूट वाले फंड चाहते हैं तो फिर आप ईएलएसएस फंड जैसे मैग्नम टैक्सगेन, सुंदरम बीएनपी परिबास टैक्स सेवर, प्रिंसिपल टैक्स सेवर, प्रिंसिपल टैक्स सेविंग्स और फ्रैंकलिन इंडिया टैक्सशील्ड चुन सकते हैं। 

इन सब विकल्पों के अलावा आप म्युचुअल फंड स्कीम के बारे में भी सोच सकते हैं जो कि पेंशन प्लान ऑफर करती हैं। अभी मौजूदा दो फं ड टेमप्लटन इंडिया पेंशन फंड और यूटीआई रिटायरमेंट बेनिफिट पेंशन फंड मुख्य रूप से हाइब्रिड डेट ऑरिएंटेड फंड हैं जो कि अपने कोष का बडा हिस्सा डेट और कुछ हिस्से का इक्विटी में निवेश करते हैं। हालांकि इन फंडों से मिलनेवाला रिटर्न स्थापित इक्विटी डायवर्सिफाइड फंड की तुलना में बेहद कम है।

म्युचुल फंड की फैक्ट शीट में वर्णित स्टैंडर्ड डेविएशन, अल्फा और अन्य मानक आपके स्कोरकार्ड में उपलब्ध आंकडों से मेल नहीं खाते हैं? स्टैंडर्ड डेविएशन को माध्य से मापता है लेकिन स्टैंडर्ड डेविएशन 28 का क्या मतलब होता है? क्या यह प्रतिशत में होता है? क्या इसकी गणना सालाना आधार पर होती है? –
श्वेता

स्टैंडर्ड डेविएशन, अल्फा, बीटा आदि आंकड़ों की गणना के तरीके हैं जिनके आधार पर निवेशक म्युचुअल फंडों का रिस्क-रिवार्ड प्रोफाइल तय करते हैं। हालांकि स्टैंडर्ड डेविएशन, अल्फा आदि की वैल्यू में फैक्ट शीट की तुलना में हमारे स्कोरबोर्ड में कुछ अंतर हो सकता है।

इसके पीछे दो कारण हो सकते हैं-एक औसत रिटर्न की गणना में लगने वाला समय और गणना करने की आवृत्ति। उदाहरण के  लिए वैल्यू रिसर्च इक्विटी फंडों के रिटर्न का आकलन पिछले तीन सालों के रिटर्न पर करते हैं जबकि डेट और गिल्ट फंड के लिए यह पिछले 18 महीने केरिटर्न केहिसाब से होता है।

किसी भी फंड का स्टैंडर्ड डेविएशन किस सीमा तक किसी फंड का रिटर्न अपने माध्य स्थिति से अलग हो सकता है। स्टैंडर्ड डेविएशन की वैल्यू जितनी अधिक होगी, फंडों से मिलनेवाले रिटर्न में भी उसी अनुपात से अनिश्चितता का वातावरण बनेगा। अगर हम स्टैंडर्ड डेविएशन 28 की बात करें तो इसका मतलब है कि फंड का रिटर्न औसत रिटर्न से 28 फीसदी नीचे या ऊपर जा सकता है।

मैं एक वरिष्ठ नागरिक हूं और नियमित तौर पर आपकीवेबसाइट देखता हूं। मैं जानना चाहता हूं कि इस अनिश्चितता से भरे बाजार में फ्लोटिंग रेट फंड कितने सुरक्षित होंगे। बाजार के बेहतर कारोबार करने की स्थिति में मुझ जैसे निवेशकों को अपेक्षाकृत कम रिटर्न का डर नहीं रहता लेकिन पूंजी के साफ होने का खतरा ज्यादा सताता है। क्या तेजी से फिसलते बाजार में फ्लोटिंग रेट एक बेहतर विकल्प हो सकता है।-
टी आर मोगुल

जितने भी डेट फंड हैं उनके साथ ब्याज दरों से संबंधित जोखिम भी जुड़े होते हैं। फ्लोटिंग रेट फंड भी डेट की तरह ही होते हैं लेकिन उनमें फिक्स्ड रेट फंड की तरह ब्याज दरों में होनेवाले परिवर्तन का अपेक्षाकृत कम असर पड़ता है। इसका कारण इन फंडों का अंडरलाइंग इन्वेस्टमेंट है।

फ्लोटिंग रेट फंड ज्यादातर फ्लोटिंग रेट इंस्ट्रूमेंट में करते हैं। इन फंडों कीब्याज दरों को तात्कालिक बाजार की ब्याज दरों केउनसार पुन: समायोजित किया जाता है जिससे कि ब्याज दरों का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। इस लिहाज से बाजार में बेहतर कारोबार के समय ब्याज दरों में अनिश्चितता को देखते हुए फ्लोटिंग रेट वाले फंड बेहतर विकल्प हैं।

इंफ्रास्ट्रक्चर फंड में निवेश करने पर क्या कर में किसी तरह की छूट मिलती है? ऐसा लगता है कि इंफ्रास्ट्रक्चर फंडों के लिए लॉक-इन पीरियड तीन सालों का होता है। मुझे इन फंडों पर मिलने वाले कर लाभ के बारे में बताएं।-  
श्रीविद्या

सबसे पहले आपको किसी फंड के लॉक-इन पीरियड और मेच्योरिटी पीरियड में अंतर को समझने की जरूरत है। लॉक-इन पीरियड में कोई निवेशक बिना अवधि पूरी हुए अपने यूनिटों को रिडीम नहीं कर सकता है जबकि मेच्योरिटी पीरियड वाले फंड में कुछ शुल्क अदा करके क्लोज-एंड अवधि के दौरान रिडिम्पशन किया जा सकता है।

इंफ्रास्ट्रक्चर फंड में ईएलएसएस फंड की तरह लॉक-इन पीरियड का प्रावधान नहीं होता है और साथ ही कर लाभ की कोई बात नहीं है। क्लोज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर फंड में मेच्योरिटी अवधि जुड़ी होती है यद्यपि ओपन-एंडेड इंफ्रास्ट्रक्चर फंड में इस तरह की कोई पाबंदी नहीं होती है। सामान्यत: क्लोज-एंडेड फंड मेच्योरिटी अवधि पूरी होने के बाद ओपन-एंडेड फंड में तब्दील हो जाते हैं। इन फंडों पर लगनेवाला कर अन्य इक्विटी फंडों (ईएएसएस को छोड़कर) की तरह ही होता है।

First Published - October 13, 2008 | 1:21 AM IST

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