अगर बाजार विश्लेषकों पर भरोसा किया जाए तो अभी भारत के शेयर बाजार के लिए बड़ी तेजी की महज शुरुआत है। अगले कुछ वर्षों में कॉरपोरेट लाभ में शानदार वृद्घि के साथ साथ अनुकूल जनसांख्यिकीय सिथति से मुख्य सूचकांकों को आने वाले वर्षों में बड़ी मजबूती मिल सकती है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज (एमओएफएसएल) के सह-संस्थापक एवं संयुक्त प्रबंध निदेशक रामदेव अग्रवाल ने 27 मई की अपनी रिपोर्ट में कहा कि उनका मानना है कि बीएसई का सेंसेक्स अगले 10 साल में 200,000 के निशान को छू सकता है, जो 51,500 के मौजूदा स्तरों से करीब 4 गुना ज्यादा है। उन्होंने निवेशकों को भारत के खिलाफ दांव नहीं लगाने की सलाह दी है।
अग्रवाल का मानना है कि सेंसेक्स के लिए यह उपलब्धि हासिल करने के लिए, कॉरपोरेट लाभ भी अगले 10 वर्षों में 15 प्रतिशत की सीएजीआर यानी सालाना चक्रवृद्घि दर से बढऩे की जरूरत होगी, जो भारत की सामान्य सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मुकाबले कुछ ज्यादा है। हमने यह जीडीपी 12-13 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। उनका मानना है कि भविष्य में बाजार प्रतिफल कॉरपोरेट लाभ में वृद्घि के अनुरूप रहेगा।
अग्रवाल ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में, सेंसेक्स ने 10 प्रतिशत की मध्यम सीएजीआर दर पर प्रतिफल दिया था और सेंसेक्स मार्च 2011 के 19,445 से बढ़कर मार्च 2021 में 49,509 पर पहुंच गया था। इस अवधि के दौरान बाजार ने नोटबंदी, आईएलऐंडएफएस संकट और कोविड महाजारी जैसे संकटों का सामना किया। उनके अनुसार, इस अवधि के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था 4 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़कर वर्ष 2010 के 1.7 लाख करोड़ डॉलर से बढ़कर 2020-ई में 2.6 लाख करोड़ डॉलर पर पहुंच गई। वर्ष 2029 तक, उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था 5 लाख करोड़ डॉलर के आंकड़े पर पहुंच जाने की संभावना है।
उन्होंने कहा, ‘डिस्क्रेशनरी में तिगुनी प्रति व्यक्ति जीडीपी का मतलब 10 गुना अवसर और बचत तथा निवेश सेवाओं में 4 गुना अवसर का संकेत मिलता है।’
अग्रवाल के अलावा, कुछ अन्य बाजार पंडितों ने भी सेंसेक्स के लिए शुरू में 6 अंक के स्तरों का अनुमान जताया था। वर्ष 2017 में एलियट वेव इंटरनैशनल के मार्क गैलेसीवस्की ने कहा था कि उन्हें वर्ष 2014 तक सेंसेक्स के 100,000 पर पहुंचने की संभावना है। जब उन्होंने यह अनुमान जताया था तब सेंसेक्स 30,750 पर था। वहीं वर्ष 2014 में, कार्वी के पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाओं के प्रमुख वरुण गोयल ने वर्ष 2020 तक सेंसेक्स के 100,000 पर पहुंचने की अनुमान जताया था।
प्रख्यात निवेशक राकेश झुनझुनवाला ने भी बाजार की तेजी को कुछ साल पहले ‘सभी बुल रन की जननी’ करार दिया था।
इस बीच, अग्रवाल ने सुझाव दिया है कि सरकार को अब सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में अपना हिस्सा तेजी से घटाने की जरूरत है। उनका कहना है कि सरकार को विनिवेश प्रक्रिया की राह में आने वाली सभी समस्याओं को दूर करना चाहिए, रोजगार सृजन पर ध्यान देना चाहिए और वृद्घि की राह मजबूत बनाने पर जोर देना चाहिए।
निवेश रणनीति
अग्रवाल ने निवेशकों को ‘वैल्यू माइग्रेशन’ पर ध्यान देने की सलाह दी है, जिसमें वैल्यू (मुनाफा और बाजार पूंजीकरण) को पुराने व्यावसायिक ढांचे से श्रेष्ठ व्यवसाय ढांचे में तब्दील करने की जरूरत है। उनका मानना है कि वैल्यू के संदर्भ में इस बदलाव से उन क्षेत्रों में बड़े अवसर पैदा होंगे, जिनमें पूंजी प्रवाह दिख रहा है।
उनके अनुसार दूरसंचार, आईटी, निजी बैंकों, निजी जीवन बीमा ऐसे क्षेत्र हैं जिन पर दांव लगाया जा सकता है।
अन्य थीम ‘ओपन-अप प्लेज’ है। इसमें ऐसे क्षेत्र शामिल हैं जिन्हें कोविड प्रभाव से उबरने के बाद अर्थव्यवस्था खुलने से लाभ मिलेगा। इन क्षेत्रों में फिर से मांग बढऩे की संभावना है। इनमें वाहन, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, पेंट और कुछ खास उद्योग शामिल हैं।