एशिया के सबसे पुराने शेयर बाजार बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) ने अपने शेयरधारकों को बोनस शेयर देने का फैसला किया है।
बोनस शेयर देने के इस फैसले पर मुहर लगाने के लिए एक्सचेंज के निदेशक मंडल की बैठक 8 नवंबर शनिवार को होगी। एक्सचेंज के सूत्रों के मुताबिक शेयरधारक काफी समय से बोनस शेयर की मांग कर रहे थे।
एक्सचेंज के सदस्य खास तौर पर इसके लिए जोर डाल रहे थे। इसके अलावा एक्सचेंज का पूंजी आधार बढ़ाने की भी जरूरत है, जो इस समय महज 78 लाख रुपये है। बीएसई की योजना अपने शेयरों को अपने ही यहां सूचीबद्ध कररने की भी है।
लेकिन सूचीबद्ध करने के लिए पूंजी ज्यादा होना अनिवार्य है। इसी वजह से कंपनी बोनस शेयर बांट रही है। मार्च 2008 में बीएसई का भंडार 180 करोड़ रुपये था और उसकी अधिकृत शेयर पूंजी 5 करोड़ रुपये थी।
बाजार की गिरावट के बीच कुछ सदस्य अपने शेयरों को बेहद कम कीमत पर बेच रहे हैं। यह कीमत पिछले वर्ष संस्थागत निवेशकों को जारी किए गए नए शेयरों की कीमत से भी कम है। बीएसई ने संस्थागत शेयर 5,200 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से जारी किए थे। बोनस शेयर जारी किए जाने के बाद शेयरधारकों को बेहतर रिटर्न्स मिलने की उम्मीद है।
बीएसई डीम्युचुअलाइजेशन की प्रक्रिया पूरी करने के बाद जल्द से जल्द शेयर सूचीबद्ध कराने के विकल्पों पर विचार कर रहा है। एक्सचेंज के अधिकारी फिलहाल दो विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। इनमें से पहला विकल्प बिना किसी आईपीओ के ही सूचीबद्ध कराने का है।
दूसरा विकल्प आईपीओ लाकर शेयरों को सूचीबद्ध कराना है। बताया जाता है कि आईपीओ लाए बिना ही शेयरों को सूचीबद्ध कराने की बात बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को पसंद नहीं है।
बीएसई ने सूचीबद्ध होने के लिए फिलहाल कोई मियाद तय नहीं की है। इसके अलावा बाजार की हालत भी आईपीओ के लिहाज से अच्छी नहीं है। लेकिन सदस्य ब्रोकरों के बीच शेयर हस्तांतरण से संबंधित कुछ सौदे होने की बात सामने आई है। कई सदस्य बाहर निकलने का रास्ता भी सुझा रहे हैं, जो शेयरों के सूचीबद्ध होने पर ही संभव है।
सेबी ने हाल ही में यह साफ किया था कि प्रत्येक शेयरधारक के लिए शेयरों की सीलिंग 5 फीसद से बढ़ाकर अब 15 फीसद कर दी गई है। इसके अलावा उसने यह भी कहा था कि जब तक एक्सचेंज सूचीबद्ध नहीं होता है, विदेशी संस्थागत निवेशक मौजूदा शेयरधारकों से भी शेयरों की खरीदफरोख्त कर सकते हैं।
माना जा रहा है कि इसकी वजह से कमाई का मौका देखकर भी शेयरधारकों ने अतिरिक्त शेयरों की मांग तेज कर दी है। इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि कुछ मौजूदा शेयरधारक एक्सचेंज में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना चाहते हैं।