इंजीनियरिंग क्षेत्र की बड़ी कंपनी बीएचईएल के पास ठेकों की संख्या अच्छी खासी है।
सितंबर 2008 की तिमाही खत्म होने पर कंपनी के पास एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के ठेके थे, जो पिछले वर्ष की समान तिमाही के मुकाबले तकरीबन 43 फीसद ज्यादा थे। पिछले साल भर में हुई बिक्री के मुकाबले भी यह आंकड़ा लगभग पांच गुना है।
लेकिन यह सवाल खड़ा है कि इतने जबरदस्त ठेकों को कंपनी कमाई में तब्दील कर पाएगी या नहीं। दुनिया भर में नकदी की कमी की वजह से तकरीबन सभी कंपनियों के सामने परियोजनाओं के लिए नकदी का टोटा पड़ गया है। इसलिए हो सकता है कि बीएचईएल को मिले कुछ ठेके साल के अंत तक कागजों पर ही रह जाएं।
बीएचईएल के पास लगभग 19,365 करोड़ रुपये के ठेके सरकारी एजेंसियों, राज्य विद्युत बोर्ड और दूसरे सार्वजनिक उपक्रमों से हैं। अगर डॉयचे बैंक की हाल में जारी एक रिपोर्ट पर नजर डालें, तो राज्य विद्युत बोर्ड की हालत पतली ही कही जा रही है। बैंक ने कहा है कि राज्य विद्युत बोर्डों की हालत आने वाले दिनों में और खस्ता हो जाएगी।
अगर मोटे तौर पर देखें, तो विद्युत बोर्डों का नकदी एकत्र करने का औसत पिछले वित्त वर्ष के दौरान वित्त वर्ष 2006-07 की तुलना में कम रहा। मंद होती अर्थव्यवस्था में रुपये की कीमत कम होती जा रही है और ऐसे में राज्य विद्युत बोर्ड भुगतान या ठेके चालू करने में भी देर कर सकते हैं।
वास्तव में सितंबर की तिमाही के दौरान नकदी का नया प्रवाह कम रहा। अगर ठेकों और भुगतान में देर नहीं होती है और ठेके रद्द भी नहीं होते हैं, तो वित्त वर्ष 2009 के दौरान बीएचईएल की कमाई में 25 से 30 फीसद इजाफा होना चाहिए।
इस साल अब तक कंपनी को मिलनेवाला राजस्व ठीक-ठाक रहा है और सितंबर की तिमाही में बिक्री में 35 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जो अप्रैल-जून तिमाही के ही बराबर रही। क्षमताओं में इजाफा करने के बाद भी कंपनी अपनी योजनाओं को सही ढंग से क्रियान्वित नहीं कर सकी है।
यह बात दीगर है कि महंगे कच्चे माल, लागत में इजाफा होने और कर्मचारियों पर ज्यादा खर्च होने की वजह से कंपनी के परिचालन लाभ मार्जिन में पिछले साल के मुकाबले 4.2 फीसद की गिरावट आई। इस वजह से उसके शुद्ध लाभ में भी मामूली बढ़ोतरी ही दर्ज की गई।
बीएचईएल की योजना क्षमता को दिसंबर 2009 तक बढ़ाकर 15,000 मेगावाट करने की है। इसके लिए वह 4,200 करोड़ रुपये खर्च करेगी और इसके लिए धन वह आंतरिक संसाधनों से ही जुटाएगी। कंपनी के मुनाफे में चालू वित्त वर्ष में 20 फीसद की बढ़ोतरी होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
कॉलगेट: मंद हुई मुस्कान
कॉलगेट के ब्रांड की मजबूती में कोई अंतर नहीं आया है और यह पहले की तरह ही कायम है।
दीगर बात यह है कि बाजार में कंपनी की हिस्सेदारी सितंबर तिमाही के दौरान बढ़ी है, इसलिए ब्रांड की मजबूती भी कम नहीं हुई है। उल्लेखनीय है कि 1,538 करोड़ रुपये के कारोबार वाली इस कंपनी की बाजार में हिस्सेदारी 49 प्रतिशत है और उसके वॉल्यूम में 11 फीसद का इजाफा हुआ है।
बेहतर वॉल्यूम के कारण कंपनी की बिक्री 14 प्रतिशत की बढाेतरी के साथ 430 करोड रुपये तक पहुंच गई। हालांकि जून की तिमाही के मुकाबले यह इजाफा कम रहा क्योंकि अप्रैल-जून में कंपनी की बिक्री में 16 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।
इसके बावजूद सितंबर तिमाही के इजाफे को कम नहीं माना जा सकता। गौरतलब है कि लगातार 13 तिमाहियों से कंपनी के कारोबार में लगभग 12 फीसद की दर से इजाफा हुआ है और आर्थिक मंदी के बावजूद इसके जारी रहने की पूरी संभावना है क्योंकि आम आदमी की खर्च करने लायक आय में इजाफा हो रहा है।
देश में टूथपेस्ट और टूथपाउडर इस्तेमाल करने वालों की तादाद अब भी काफी कम है, इसलिए कंपनी के कारोबारी आंकड़े सुधरने की भी पूरी संभावना है। टूथ पाउडर की बिक्री कम हो रही है, जिससे माना जा सकता है कि आम उपभोक्ता पाउडर छोड़कर टूथपेस्ट का इस्तेमाल करने लगा है।
मिसाल के तौर पर डाबर को ही लें, तो चालू वित्त वर्ष के शुरुआती छह महीनों में इस कंपनी के टूथ पाउडर की बिक्री में लगभग 3.6 फीसद की गिरावट आई है। हालांकि पिछले अनुभव यह बताते हैं कि वित्तीय परेशानी के दिनों में लोग दोबारा सस्ती वस्तुएं इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं।
कंपनी की बिक्री में हालांकि इजाफा हुआ है, लेकिन परिचालन लाभ का मार्जिन 2.2 फीसद कम होकर 16 फीसद पर ही रह गया है। इसकी वजह लागत खर्च में हो रहा इजाफा तो है ही, उसके साथ विज्ञापन पर होने वाले खर्च में बढ़ोतरी भी इसके लिए दोषी है। चूंकि बाजार में अच्छा खासा मुकाबला है, इसलिए कंपनी इस बोझ को ग्राहकों के ऊपर नहीं डाल सकती थी।
कर अदायगी से पहले कंपनी के मुनाफे में पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के मुकाबले महज 2 फीसद का इजाफा दर्ज किया गया है, जो वास्तव में निराश करने वाला आंकड़ा है। कर अदायगी से पहले मुनाफा केवल 72 करोड़ रुपये रहा और चूंकि कंपनी को कर के रूप में कम राशि देनी पड़ी, इसी वजह से कंपनी के शुद्ध लाभ में 16 फीसद का इजाफा हो गया।