एशिया सिक्योरिटीज इंडस्ट्री ऐंड फाइनैंशियल मार्केट्स एसोसिएशन (असिफमा) ने बाजार नियामक सेबी के टी+0 निपटान चक्र पेश करने के प्रस्ताव के खिलाफ अपनी आपत्ति जाहिर की है।
शीर्ष विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के उद्योग संगठन ने कहा है कि इससे पहल से कई तरह की समस्याएं बढ़ जाएंगी, जिनमें तरलता एवं बाजार गुणवत्ता पर दबाव से जुड़ी चिंता मुख्य रूप से शामिल होगी।
पिछले महीने जारी चर्चा पत्र में सेबी ने समान दिन निपटान चक्र का प्रस्ताव रखा, जो मौजूदा टी+1 चक्र के साथ साथ काम करेगा। इसमें सौदों का निपटान अगले दिन किया जाता है।
सेबी के परामर्श पत्र के जवाब में असिफमा ने कहा है, ‘हम दुनिया के किसी भी प्रमुख नकदी इक्विटी बाजार के बारे में नहीं जानते हैं, जिसमें दोहरा निपटान चक्र होता है और न ही ऐसे बाजार के बारे में पता है, जिनमें टी+1 और इंस्टैंट सेटलमेंट जैसे निपटान चक्र होते हैं।
हालांकि तेज निपटान में सबसे पहले आगे बढ़ने के लिए भारत की सराहना की जानी चाहिए, जिसे हम एक वैश्विक चलन भी मानते हैं, लेकिन यदि भारत विदेशी निवेश के लिए प्रतिस्पर्धा करने वाले अन्य प्रमुख बाजारों के मुकाबले बहुत तेजी से आगे बढ़ता है तो सतर्कता बरतने की जरूरत होगी।’
भारत ने पिछले साल ही टी+2 से टी+1 निपटान चक्र पर पूरी तरह अमल किया और अमेरिका जैसे बड़े बाजारों से यह आगे रहा। करीब दो साल पहले अपनी इस योजना की घोषणा करने के बाद दुनिया का सबसे बड़ा शेयर बाजार (अमेरिका) मई में टी+1 व्यवस्था पर अमल करेगा।
असिफमा ने कहा है, ‘चार महीने से कम समय बचा है और यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और एशिया में वैश्विक परिसंपत्ति प्रबंधक अभी भी समस्याओं से जूझ रहे हैं।
यह देखते हुए कि वैश्विक परिसंपत्ति और फंड प्रबंधकों के बीच भारतीय बाजार में निवेश करने में रुचि बढ़ रही है, हम सुझाव देना चाहेंगे कि सेबी किसी भी कदम पर आगे बढ़ने से अमेरिका द्वारा टी+1 व्यवस्था पर अमल करने के प्रभावों का भी आकलन करे।’
सेबी ने प्रस्ताव रखा है कि टी+1 निपटान चक्र को दो चरणों में लागू किया जाएगा। पहले चरण (जिसमें एफपीआई और खास संस्थागत निवेशकां को अलग रखा जा सकता है) में दोपहर 1.30 बजे तक किए सौदों का निपटान उसी दिन शाम 4.30 बजे किया जाएगा। दूसरे चरण में, टी+0 विकल्प पूरी बाजार अवधि के लिए उपलब्ध रहेगा।
कई एफपीआई टी+1 चक्र पर अमल किए जाने के भी खिलाफ थे। इसके बावजूद सेबी ने मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर संस्थानों की मदद से इसे समय पर लागू करने में सफलता हासिल की।