बाजार

अल नीनो के बड़े जो​खिम का बाजार में असर दिखना अभी बाकी: विश्लेषक

सेंसेक्स पिछले कुछ सप्ताहों में करीब 3,000 तक चढ़ा है और अब कुछ ठहराव देखा जा रहा है

Published by
पुनीत वाधवा   
Last Updated- June 12, 2023 | 11:27 PM IST

विश्लेषकों का मानना है कि इस साल अल नीनो की वजह से बारिश अनुमान के मुकाबले कम रहने की आशंका बाजारों के लिए सबसे बड़ा अल्पाव​धि जो​खिम है, और इसका कीमतों पर पूरी तरह असर अभी दिखना बाकी है। मॉनसून 8 जून को केरल में दस्तक दे चुका है, जो अपने नियत समय के मुकाबले करीब एक सप्ताह पीछे है।

सैमको सिक्योरिटीज में बाजार शोध प्रमुख अपूर्व शाह ने कहा, ‘सेंसेक्स पिछले कुछ सप्ताहों में करीब 3,000 तक चढ़ा है और अब कुछ ठहराव देखा जा रहा है। इसे ध्यान में रखते हुए, समझदार कारोबारी अल नीनो से जुड़ी चिंताओं का भी मुकाबला करने में सक्षम होंगे। हमारा मानना है कि बाजार कुछ गिरावट दर्ज कर सकता है और अल नीनो भी इसका मुख्य कारण बन सकता है।’

अल नीनो मौसम संबं​धित एक ऐसा बदलाव है, जो तब देखा जाता है जब मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर में तापमान असामान्य हो जाता है और इससे वायुमंडलीय पैटर्न में बदलाव आता है। इससे भारतीय उप-महाद्वीप में मॉनसून में कमजोरी देखी जाती है। इसकी वजह से, अल नीनो वाले वर्षों के दौरान भारतीय मॉनसून पर भी प्रभाव पड़ता है।

विश्लेषकों का कहना है कि अनुमान से कम बारिश और असमान मॉनसून से खाद्य एवं ईंधन संबंधित महंगाई बढ़ने का डर देखा जा सकता है, जिसका रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति पर भी प्रभाव पड़ सकता है। RBI मुद्रास्फीति को लेकर भी चिंतित बना हुआ है और उसने अपने वित्त वर्ष 2024 के अनुमान को 10 आधार अंक तक घटाकर 5.1 प्रतिशत कर दिया है।

मॉर्गन स्टैनली में ए​शिया इ​क्विटी के रणनीतिकार जोनाथन गार्नर ने कहा, ‘मैं अल नीनो के बारे में चिंतित हूं, क्योंकि इसकी आशंका बढ़ रही है और सच्चाई यह है कि इसके बने रहने से भारत में बेहद गर्म या शुष्क मौसम को बढ़ावा मिल सकता है, जिसका ग्रामीण क्षेत्र पर प्रभाव पड़ेगा। हम इस घटनाक्रम पर नजर बनाए रखेंगे।’

रिपोर्टों से पता चला है कि इस साल देश के कई हिस्सों में जून में बारिश सामान्य से कम रहने का अनुमान है। इस मॉनसून सीजन के पहले आठ दिनों में पहले ही बारिश सामान्य के मुकाबले करीब 60 प्रतिशत कम दर्ज की गई है।

Also read: अच्छे शेयरों में कम से कम एक साल बने रहें: किसन आर चोकसी

क्रिसिल में मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने कहा, ‘अल नीनो से जो​खिम बना हुआ है और इसका आगामी खरीफ फसल और ईंधन, खाद्य मुद्रास्फीति पर प्रभाव पड़ सकता है। हालां​कि भारतीय मौसम विभाग ने मॉनसून काफी हद तक सामान्य रहने का अनुमान जताया है, लेकिन असमान बारिश से खाद्य उत्पादन प्रभावित होगा।’

बाजार के लिए ज्यादा चिंताजनक नहीं

ऐसा नहीं है कि अल नीनो से जुड़े सभी वर्ष बाजारों के लिए खराब रहे। पिछले दो दशकों (2002 से) में, भारत में चार अल नीनो वर्ष – 2002, 2004, 2009 और 2015 देखे गए। आंकड़ों से पता चलता है कि 2015 को छोड़कर, अन्य सभी वर्षों में बाजार ने अच्छा प्रदर्शन किया। 2015 में सेंसेक्स और निफ्टी-50 सूचकांकों में उस कैलेंडर वर्ष 5 और 4.1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी।

Also read: बैंक बनाम IT, निवेश पर दांव लगाने से पहले जानें कौन सा सेक्टर है फायदे का सौदा

कैलेंडर वर्ष 2024 में अब तक सेंसेक्स और निफ्टी-50 में करीब 3-3 प्रतिशत की तेजी आई है। रिलायंस सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख मितुल शाह का भी मानना है कि बाजार अपनी चाल सुनिश्चित करने से पहले अगले एक-दो महीनों तक मॉनसून पर नजर बनाए रखेंगे। उन्होंने कहा कि मॉनसून में विलंब से निवेशक पहले ही चिंतित होने लगे हैं, हालांकि RBI की मौद्रिक नीति ने कुछ राहत दी है।

First Published : June 12, 2023 | 9:38 PM IST