बैंकों और सूचना प्रौद्योगिकी (IT) शेयरों के बीच चयन करना घरेलू फंड प्रबंधकों (फंड मैनेजरों) के लिए सबसे बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। दोनों क्षेत्रों का निफ्टी-50 सूचकांक में अच्छा भारांक (वेटेज) है और ये भारत के बाजार पूंजीकरण (MCAP) में सबसे ज्यादा योगदान देने वालों में भी शुमार हैं। इसलिए भारतीय बाजार में किसी भी पोर्टफोलियो में इनका होना महत्वपूर्ण है। हालांकि 70 प्रतिशत समय में इन दोनों का विपरीत संबंध रहा है।
जेफरीज में इक्विटी रणनीतिकार महेश नंदुरकार, अभिनव सिन्हा, और निशांत पोद्दार ने एक रिपोर्ट में लिखा है, ‘संयुक्त रूप से, वित्त और आईटी का मॉर्गन स्टैनली कैपिटल इंटनैशनल इंडिया में करीब 40 प्रतिशत और निफ्टी में 50 प्रतिशत योगदान है। निफ्टी आईटी और निफ्टी बैंक के हमारे प्रदर्शन से पता चलता है कि वर्ष 2010 से दोनों सूचकांकों ने विपरीत दिशा में प्रदर्शन किया है। निफ्टी के मुकाबले, पिछले तीन महीने या छह महीने के आधार पर, आईटी सूचकांक और बैंक सूचकांक का प्रदर्शन 76 प्रतिशत और 70 प्रतिशत समय विपरीत दिशा में रहा। भले ही हम दीर्घावधि (मान लीजिए कि एक-दो साल) पर विचार करें, विपरीत प्रदर्शन 60 प्रतिशत से ज्यादा समय तक बना रहा।’
अन्य शब्दों में, यह भी कहा जा सकता है कि सही समय पर सही चयन पर जोर देने से बाजार को बड़े अंतर से मात देने में मदद मिल सकती है।
लार्ज-कैप इक्विटी पोर्टफोलियो पर जोर देने वाले फंड मैनेजर फाइनैंस और IT जैसे प्रमुख क्षेत्रों को पूरी तरह नजरअंदाज नहीं करते हैं। वे निफ्टी-50 या निफ्टी-100 सूचकांकों में अपने भारांक के मुकाबले खास समय अवधि में इन क्षेत्रों पर अक्सर अंडरवेट या ओवरवेट रहे हैं।
IT और बैंकों के विपरीत अलग प्रदर्शन के बारे में जेफरीज के विश्लेषकों का कहना है, ‘बुनियादी कारण यह है कि बैंकों में अनुकूल वृहद आर्थिक हालात (जैसे रुपये में तेजी, प्रतिफल में गिरावट, और मजबूत वृद्धि) के दौरान अच्छा प्रदर्शन करने की क्षमता होती है। वहीं आईटी में कमजोर वृहद हालात, बढ़ते प्रतिफल या मुद्रास्फीति, और रुपये में कमजोरी के दौरान बेहतर प्रदर्शन करने की गुंजाइश रहती है।’
इक्विनॉमिक्स रिसर्च ऐंड एडवायजरी के संस्थापक चोकालिंगम जी का कहना है, ‘इन दो क्षेत्रों का बिजनेस मॉडल काफी हद तक विपरीत है। आईटी काफी हद तक देश से बाहर के व्यवसाय पर निर्भर है, और वित्तीय कंपनियों की किस्मत घरेलू अर्थव्यवस्था से जुड़ी होती है।’
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भारतीय बाजार मौजूदा समय में विपरीत प्रदर्शन के समान दौर से गुजर रहा है और बैंकों को बढ़त हासिल है।
फरवरी और जून के बीच, बैंकों ने निफ्टी-50 को 3.7 प्रतिशत अंक से मात दी, जबकि आईटी सूचकांक इस मामले में 12.9 प्रतिशत तक पीछे रहा।
आईटी क्षेत्र की कमजोरी सितंबर 2022 और फरवरी 2023 के बीच अच्छे प्रदर्शन के बाद से दर्ज की गई है। इस अवधि के दौरान, आईटी सूचकांक ने निफ्टी के मुकाबले 15 प्रतिशत अंक तक मात दी, जबकि बैंकिंग क्षेत्र का प्रदर्शन 2 प्रतिशत तक कमजोर रहा।
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वर्ष 2010 और 2023 के बीच, सात-आठ खास अवधि दर्ज की गईं, जब या तो बैंकों या आईटी ने निफ्टी के मुकाबले खराब या अच्छा प्रदर्शन किया। सिर्फ एक या दो बार ही ऐसा देखा गया जब दोनों क्षेत्रों का प्रदर्शन मिलता-जुलता रहा।
मौजूदा साइकल में, बैंकिंग सेक्टर में तेजड़ियों ने कमाई की है, जबकि आईटी में कमजोरी देखी जा रही है।
जेफरीज का मानना है कि बैंकिंग क्षेत्र में अभी भी संभावनाएं बरकरार हैं।
नंदुरकार, सिन्हा, और पोद्दार का कहना है, ‘अक्सर इस तरह का रुझान तीन तिमाहियों तक बना रहता है। हम मौजूदा समय में इसके ठीक मध्य मे हैं। हम आईटी में ताजा तेजी में बिकवाल रहेंगे।’
चोकालिंगम का मानना है, ‘सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि ऊंची रहने का अनुमान है। भारत इस वित्त वर्ष दुनिया की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक रह सकता है। इसलिए, बैंकिंग का प्रदर्शन अच्छा बना रहेगा। वहीं अमेरिका में मंदी की वजह से IT पर दबाव रहेगा।’
बैंकिंग शेयरों में मजबूत तेजी को नए निजी पूंजीगत खर्च चक्र की उम्मीदों से मदद मिली है।
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जेफरीज की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘बैंकिंग क्षेत्र ने वित्त वर्ष 2023 में मजबूत प्रदर्शन दर्ज किया, क्योंकि 16 प्रतिशत की ऋण वृद्धि से उसे बड़ी राहत मिली। इसके अलावा, परिसंपत्ति गुणवत्ता (asset quality) और दर वृद्धि में बदलाव से शुद्ध ब्याज मार्जिन मजबूत बनाने में मदद मिली। इस क्षेत्र के लिए परिदृश्य मजबूत है और 12-14 प्रतिशत ऋण वृद्धि वित्त वर्ष 2024 में दर्ज किए जाने की संभावना है।’
इस बीच, आईटी कंपनियों का परिदृश्य अनिश्चित बना हुआ है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘आईटी में आउटसोर्सिंग मांग वर्ष 2023 में काफी कमजोर रही, और कई कंपनियों ने चौथी तिमाही में सपाट से लेकर कमजोर राजस्व दर्ज किया। इस क्षेत्र के लिए परिदृश्य कमजोर है और मध्यम से एक अंक की वृद्धि के अनुमान के साथ वित्त वर्ष 2024 में कर्मचारियों की संख्या में इजाफा होने की संभावना नहीं है।’