वर्ष 2019 में निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति विभाग (दीपम) में बतौर सचिव तुहिन कांत पांडेय के कार्यभार संभालने से पहले सरकार एयर इंडिया का विनिवेश करने में दो बार विफल हो गई थी। मगर पांडेय के आने के बाद सरकार ने तेजी से एयर इंडिया की एंटरप्राइज वैल्यू तय करने की दिशा में कदम बढ़ाया। इसके तहत बोलीदाताओं को कर्ज की एक निश्चित रकम का बोझ वहन करने के बजाय उन्हें उनके अनुमान के अनुसार इक्विटी एवं ऋण का चयन करने की अनुमति दे दी गई। इससे 2021 में टाटा ग्रुप को एयर इंडिया की बिक्री का रास्ता साफ हो गया।
दीपम में पांडेय के कार्यकाल में भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) भी सार्वजनिक रूप से बाजार में सूचीबद्ध हुई और सरकार ने बजट में विनिवेश का लक्ष्य देना भी बंद कर दिया, जिसे गैर-पारदर्शी कदम बताकर इसकी आलोचना की जाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नियुक्ति पर बनी केंद्रीय मंत्रिमंडल की समिति ने गुरुवार को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के प्रमुख के तौर पर पांडेय की नियुक्ति पर मुहर लगा दी। वे अगले तीन वर्षों तक सेबी प्रमुख के पद पर रहेंगे। सेबी प्रमुख माधवी पुरी बुच का तीन वर्षों का कार्यकाल शुक्रवार को समाप्त हो गया। पुरी का कार्यकाल विवादित रहा है।
पांडेय 1987 बैच के ओडिशा कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी हैं। वह 24 अक्टूबर 2019 से पांच वर्षों से भी अधिक समय तक दीपम के सचिव रहे। पिछले साल सितंबर में उन्हें वित्त सचिव बनाया गया था। वित्त वर्ष 2026 का बजट पेश होने से ठीक पहले 9 जनवरी को उन्होंने वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव का कार्यभार संभाला था। उनके नेतृत्व में सरकार ने देश के मध्य वर्ग को आयकर राहत का तोहफा दिया और संसद में नए आयकर कानून का मसौदा अध्यादेश भी पेश किया गया।
पांडेय के साथ काम कर चुके एक अधिकारी ने बताया, ‘पांडेय काफी शांत और सीधे शब्दों में अपनी बात कहने वाले व्यक्ति रहे हैं। वह नाप-तौल कर ही कोई कदम उठाते हैं। उनके साथ काम करना बहुत आसान है। वह कभी भी किसी पर चिल्लाते नहीं हैं। वह किसी को भी एक सीमा से आगे जाने के लिए नहीं कहते हैं क्योंकि वह सारी बातें अच्छी तरह समझते हैं। वे ऐसे लक्ष्य तय करते हैं जो प्राप्त किए जा सकते हैं और अधिकारियों को उस दिशा में काम करने के लिए कहते हैं।
अधिकारी ने कहा कि दीपम में पांडेय को हासिल अनुभव उन्हें सेबी प्रमुख के रूप में कार्य करने में मदद करेगा। उन्होंने कहा, सेबी की नीतियों पर उनकी नजर रही है इसलिए वे जानते हैं कि ये कंपनियों को कैसे प्रभावित करती हैं। आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ), ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) और केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के रणनीतिक विनिवेश के लिए सेबी दीपम के साथ मिलकर काम करता है।
एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि पांडेय ने सरकार से उतना ही वादा किया जितना वह कर सकते थे। अधिकारी ने कहा, ‘सरकार जब अधिकारियों पर लक्ष्य बढ़ाने का दबाव डालती है तो वे अक्सर इसके लिए तैयार हो जाते हैं, भले ही वे पूरे हो पाए या नहीं। मगर पांडेय ने ऐसा कभी नहीं किया। उन्होंने उतना ही वादा किया जितना कर पाना संभव था। वह नियमों का कड़ाई से पालन करते हैं और उनका उल्लंघन उन्हें बर्दाश्त नहीं है।’
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि पांडेय की त्रि-आयामी रणनीति सही समय एवं सही मूल्य पर विनिवेश, अधिक से अधिक लाभांश अर्जित करने और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) से दूरी बनाए रखने पर केंद्रित थी। पांडेय केंद्र और ओडिशा सरकार में कई अहम पदों पर रहे। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (यूएनआईडीओ) के क्षेत्रीय कार्यालय में भी काम किया है। वह योजना आयोग (अब नीति आयोग), मंत्रिमंडल सचिवालय और वाणिज्य मंत्रालय में भी काम कर चुके हैं।