कर्मियों की कमी से ग्राहक खो रही हैं कंपनियां, बड़ी कंपनियों को कर रही हैं आउटसोर्स
टिकटिंग स्टॉफ के लिए पद खाली है! ट्रैवल एजेंटों के व्हाट्सऐप समूहों पर ऐसे संदेश लगातार बढ़ते जा रहे हैं। कोविड-19 महामारी के बाद पर्यटन क्षेत्र जोरदार ढंग से वापसी कर रहा है और नए मुकाम हासिल करने के लिए प्रयासरत है। हालांकि कोविड-19 महामारी के दौरान ट्रैवल एजेंसियों से जितने कर्मचारियों की छंटनी हुई थी, उतनी संख्या में स्टाफ वापस काम पर नहीं आया है। यह चुनौती छोटी पर्यटन एजेंसियों के लिए और विकट हो गई है क्योंकि उनके पास ऑटोमेशन के लिए पर्याप्त पूंजी तक नहीं है। विशेषज्ञों के एक अनुमान के मुताबिक अभी पर्यटन क्षेत्र 20 से 25 फीसदी स्टाफ की कमी है।
सृष्टि टूर्स ऐंड ट्रैवल्स के प्रबंध निदेशक रजत बगाडि़या ने कहा,’ट्रैवल एजेंसियां एक-दूसरे के कर्मचारियों को उच्च वेतन की पेशकश कर रही हैं। पहले जो लोग महीने में 30,000 रुपये वेतन पाते थे, उन्हें अब 40,000 से 50,000 रुपये तक के वेतन की पेशकश की जा रही है।’ उन्होंने कहा,’पर्यटन एजेंसियां कर्मचारियों की कमी से जूझ रही हैं। ऐसे में पर्यटन क्षेत्र में जबरदस्त मांग के कारण एजेंसियों के लिए अपने ग्राहकों को सेवाएं मुहैया कराना चुनौतीपूर्ण हो गया है।’
पर्यटन क्षेत्र के कई विभाग कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे हैं। जैसे वीजा, टूर व टिकटिंग में कर्मचारियों की कमी के कारण एयर टिकटिंग पर खासा प्रभाव पड़ रहा है। इन क्षेत्रों में प्रशिक्षित और अनुभवी लोगों की जरूरत होती है। उदाहरण के तौर पर टिकट फिर से जारी करने और तारीख में बदलाव करने पर दंड लगता है, इसकी गणना करनी होती है। ऐसे काम केवल अनुभव से ही आते हैं।
एक एयरलाइन अधिकारी के अनुसार भारत में 80-85 फीसदी टिकट एजेंट बेचते हैं। एजेंट इन टिकटों को ऑनलाइन व ऑफलाइन बेचते हैं। बाकी 15 से 20 फीसदी टिकट एयरलाइन वेबसाइट या ऐप के जरिये बेचती हैं। घरेलू उड़ान की बिक्री में ऑफलाइन एजेंटों की हिस्सेदारी 50-55 प्रतिशत और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में लगभग 70 प्रतिशत होती है।
मई 2020 से उड़ान सेवा फिर शुरू होने के बाद घरेलू एयरलाइनों ने नवंबर के आखिरी रविवार को सर्वाधिक 409,831 मुसाफिरों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया था। यह मुकाम एयरलाइनों ने दिसंबर के पहले रविवार को फिर हासिल किया और 4 लाख से अधिक मुसाफिरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया। क्षमता में अड़चनों के बावजूद घरेलू एयरलाइनों ने कोविड से पहले के स्तर को प्राप्त कर लिया है। साल 2022 में 1.4 करोड़ पर्यटकों ने जम्मू कश्मीर का दौरा किया। इनमें से ज्यादातर ने वैष्णो देवी का दर्शन किया। हालांकि कर्मचारियों की कमी के कारण कुछ कारोबारियों को अपना कारोबार बढ़ाने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि इनकी सटीक संख्या उपलब्ध नहीं है। कोविड से पहले देश में 50,000 से अधिक ट्रैवल एजेंसियां थीं। इन कंपनियों में एयर टिकटिंग, टूर और गंतव्य पर प्रबंधन सेवाएं मुहैया कराने वाली कंपनियां थीं। बगाडि़या के मुताबिक पूरे इंडस्ट्री में 20-25 फीसदी स्टाफ की कमी है।
ट्रैवल एजेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की अध्यक्ष ज्योति मायल के मुताबिक, ‘पूरा पर्यटन और सेवा सत्कार उद्योग स्टाफ की कमी झेल रहा है। कोविड-19 के दौरान जिन लोगों को निकाला गया या जिन्होंने नौकरी छोड़ दी, उन्हें इस क्षेत्र में नौकरी की सुरक्षा महसूस नहीं होती है। फुटबॉल विश्व कप के आयोजन के कारण कतर में सैकड़ों आतिथ्य सत्कार व पर्यटन के कर्मचारियों को नियुक्त किया गया है।’ मायल के मुताबिक,’मैं देख रही हूं कि ट्रैवल उद्योग में अधिक सहयोग और एकजुटता हो रही है। इस दौर में जिन कंपनियों के पास पर्याप्त संख्या में स्टाफ नहीं था, वे बड़ी ट्रैवल कंपनियों को आउटसोर्स कर रहे हैं।’ ट्रैवल टेक्नॉलजी सॉल्यूशन कंपनी आमडेयुस ने बयान में कहा कि वह उत्पादों की मांग में बढ़ोतरी देख रहे हैं। उनके उत्पाद एजेंट को टिकट को फिर से जारी करने और रिफंड सहित अन्य कार्यों में मदद करते हैं।
हालांकि बड़ी ऑनलाइन पोर्टल जैसे मेकमाईट्रिप और क्लियर ट्रिप के मुताबिक वे स्टाफिंग के मामले में कोई दिक्कत नहीं महसूस कर रहे हैं। क्लियर ट्रिप डॉट कॉम के उपाध्यक्ष (एयर) गौरव पटवारी ने कहा,’बड़े संगठनों में मानव श्रम की कोई कमी नहीं है। बाजार में ऑफलाइन से ऑनलाइन की ओर कोई प्रमुख बदलाव नहीं हो रहा है। हालांकि भविष्य के दीर्घकालिक नजरिये में ऑनलाइन एजेंट के क्षेत्र में तेजी से बढ़ोतरी होगी और इस क्षेत्र में व्यापक बढ़ोतरी होगी।’