केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय शीघ्र ही ई-फॉर्मेसी के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करने की योजना बना रहा है। प्रस्तावित बैठक में ई फॉर्मेसी की नियामकीय संबंधित चिंताओं पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
वरिष्ठ सरकारी सूत्रों ने बताया कि सरकार डॉक्टरों के ई-पर्चे (e-prescription) के समर्थन में है लेकिन इस मसले पर सावधानीपूर्वक आगे बढ़ना चाहती है। दरअसल इस मसले के ई-फॉर्मेसी के संदर्भ में व्यापक प्रभाव हैं।
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हम आधुनिकीकरण को अपनाने के लिए तैयार हैं। लेकिन हम अपना मॉडल विकसित करना चाहते हैं। विभिन्न देशों जैसे अमेरिका ने अपना सॉफ्टेवयर विकसित किया है और इस सॉफ्टेवयर की बदौलत सभी दवाइयों को ट्रैक किया जा सकता है।’
ई-फॉर्मेसी के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक वे चिंताओं के निराकरण के लिए सरकार के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं। सूत्रों के मुताबिक केंद्र आंकड़ों की निजता को लेकर चिंताग्रस्त है। इसका कारण यह है कि ऑनलाइन फॉर्मेसी के पास मरीजों की दवाओं और डायगनॉस्टिक टेस्ट के आंकड़े हैं। लिहाजा इन आंकड़ों के दुरुपयोग की आशंका है।
इसके अलावा बड़ी बात यह भी है कि ऑफलाइन खुदरा भी ऑनलाइन फॉर्मेसी के खिलाफ है। ऑफलाइन खुदरा विक्रेताओं के मुताबिक ऑनलाइन फार्मेसी आकर्षक मूल्य पर ग्राहकों को दवाएं उपलब्ध कराती हैं जो छोटे दवाई विक्रेताओं के लिए हानिकारक हैं।
सरकार भी इस पर ध्यान देना चाहती है कि ई फॉर्मेसी उद्योग का ऑफलाइन फार्मेसी उद्योग पर क्या प्रभाव पड़ेगा। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘इस मसले पर काफी स्पष्टीकरण की आवश्यकता है और इस बारे में बैठक की जरूरत है।’
ऑनलाइन फॉर्मेसी के सूत्रों ने आंकड़ों की निजता पर कहा कि इनका आसानी से पालन किया जा सकता है। संसदीय पैनल ने बीते महीने बिना किसी विलंब के स्वास्थ्य मंत्रालय से ई-फार्मेसी के नियमों का प्रारूप तय करने और इसे लागू करने के लिए कहा था।