अमेरिका की वीजा नीतियों के बारे में बढ़ती अनिश्चितता के बीच छात्र दूसरे देशों का रुख कर रहे हैं। जर्मनी इस ट्रेंड को भुनाने का प्रयास कर रहा है। पिछले कुछ महीनों में जर्मन विश्वविद्यालयों में भारतीय छात्रों के आवेदन 30 प्रतिशत से अधिक बढ़ गए हैं। भारत में जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन ने कहा कि वर्तमान में 50,000 से अधिक भारतीय छात्र जर्मन विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे हैं। आने वाले वर्षों में यह संख्या और भी बढ़ने की उम्मीद है। जर्मनी इस समय यूरोप में प्रमुख शिक्षा केंद्र के रूप में उभरने की कोशिशों में जुटा है और उसकी निगाहें भारतीय छात्रों पर हैं।
उन्होंने कहा, ‘कुछ देशों में वीजा की समस्याओं के कारण भारतीय छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए जर्मनी अच्छा विकल्प है।’ हालांकि, कई जर्मन विश्वविद्यालयों के अधिकारियों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि आवेदनों की संख्या जरूर बढ़ी है, लेकिन इनमें बहुत से आवेदन वहां स्वीकार किए जाने की शर्तों पर खरे नहीं उतरते हैं। एक जर्मन विश्वविद्यालय के अधिकारी ने बताया, ‘हम गुणवत्ता चाहते हैं। यदि आपका आवेदन बहुत अच्छा होगा तभी विश्वविद्यालय उसे स्वीकार करेगा।’
शिक्षा क्षेत्र में आपसी सहयोग पर टिप्पणी करते हुए जर्मन एकेडमिक एक्सचेंज सर्विस डीएएडी की निदेशक काट्या लास्च ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि हालांकि जर्मनी के सरकारी विश्वविद्यालय वर्तमान में भारत में अपने कैंपस स्थापित करने के बारे में नहीं सोच रहे हैं, इसके बजाय वे छात्र आदान-प्रदान और संयुक्त डिग्री कार्यक्रम के संदर्भ में भारतीय संस्थानों के साथ सहयोग बढ़ाना चाहेंगे।
उन्होंने कहा कि कुछ निजी विश्वविद्यालय यहां कैंपस स्थापित करने में रुचि रखते हैं। लास्च ने इस बारे में बताया, ‘हालांकि, जर्मनी के सरकारी विश्वविद्यालय इस तरह के बिजनेस मॉडल को अपनाना नहीं चाहते, क्योंकि यह बहुत महंगा साबित होता है।’ लास्च ने यह भी कहा कि भारत और जर्मन विश्वविद्यालयों के बीच दोहरे और संयुक्त डिग्री कार्यक्रम अपनाने का रुझान बढ़ रहा है। इसमें भारत में डिग्री शुरू करने और फिर जर्मनी जाकर प्रोग्राम पूरा करने का प्रावधान शामिल होता है।
एकरमैन ने कहा कि जर्मनी तकनीकी और गैर-तकनीकी पाठ्यक्रमों में अध्ययन करने के इच्छुक भारतीय छात्रों के लिए सुरक्षित एप्लीकेशन प्रक्रिया बनाने की दिशा में काम कर रहा है। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि जर्मनी दाखिला प्रक्रिया के दौरान आवेदकों के सोशल मीडिया खातों की जांच करने का कोई इरादा नहीं रखता है। उन्होंने कहा, ‘हमें लगता है कि जर्मनी लंबे समय से भारतीय छात्रों के लिए विश्वसनीय शिक्षा केंद्र रहा है।’ एकरमैन ने छात्रों को ऐसी एजेंसियों से भी सावधान रहने की सलाह दी जो कुछ प्राइवेट विश्वविद्यालयों के लिए काम कर रही हैं।