कानून

घर पर मिली नकदी का हिसाब नहीं दे पाए जस्टिस वर्मा: पैनल

भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की है।

Published by
भाविनी मिश्रा   
Last Updated- June 19, 2025 | 11:20 PM IST

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के निवास पर नकदी मिलने के आरोपों की जांच के लिए गठित आंतरिक समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इसमें कहा गया है कि न्यायाधीश के घर के स्टोर रूम से बरामद धन का कोई हिसाब नहीं था और वह यह समझाने में असमर्थ रहे कि नकदी कहां से आई। इससे उनके महाभियोग चलाने का रास्ता साफ हो जाता है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘स्टोर रूम में जली हुई नकदी मिलने की पुष्टि हो गई थी। इसलिए जस्टिस वर्मा के लिए अच्छा होता कि वह इस बारे में स्पष्ट कर देते कि उनके घर यह रकम कहां से आई। मगर वह लगातार नकदी के संबंध में जानकारी होने से इनकार करते रहे और इसे उनके खिलाफ एक गहरी साजिश बताते रहे।’ रिपोर्ट में कहा गया है कि वह अपने बचाव में यह साबित करने में भी असमर्थ रहे कि यह रकम उनकी नहीं बल्कि किसी और की थी और वह आदमी कौन था। समिति ने यह भी निष्कर्ष निकाला कि जिस स्टोर रूम में आग लगी और वहां से जली हुई नकदी मिली, वह न्यायाधीश वर्मा के आवास के परिसर के भीतर ही था। स्टोर रूम तक पहुंच और समग्र नियंत्रण निस्संदेह जस्टिस वर्मा या उनके परिवार के सदस्यों के पास ही था।

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शील नागू की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति ने 10 दिनों तक मामले की पड़ताल की, 55 गवाहों से पूछताछ की और न्यायमूर्ति वर्मा के आधिकारिक आवास पर 14 मार्च को रात करीब 11.35 बजे लगी आग के परिप्रेक्ष्य में घटनास्थल का दौरा भी किया। न्यायमूर्ति वर्मा उस समय दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे और मामला सामने आने के बाद उनका तबादला इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कर दिया गया था। रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की है।

First Published : June 19, 2025 | 10:44 PM IST