नए ऑनलाइन गेमिंग कानून को पहली कानूनी चुनौती देते हुए ए23 रमी की परिचालक हेड डिजिटल वर्क्स ने रमी, पोकर और लूडो समेत रियल मनी गेम (आरएमजी) पर प्रतिबंध के खिलाफ कर्नाटक उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। कंपनी की यह याचिका ऐसे समय में दायर की जा रही है, जब ड्रीम11, गेम्सक्राफ्ट और जूपी जैसी अन्य प्रमुख कंपनियों ने कहा है कि उनका ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन और विनियमन अधिनियम, 2025 को चुनौती देने का कोई इरादा नहीं है। यह कानून भारत में सभी प्रकार के रियल मनी गेम और उनके विज्ञापनों को प्रतिबंधित करता है।
हेड डिजिटल वर्क्स ने उच्च न्यायालय में दायर याचिका में कहा है कि यह अधिनियम बिना किसी परामर्श या विचार-विमर्श के पारित किया गया है। इसमें कहा गया है कि इसके परिणामस्वरूप हैदराबाद और बेंगलूरु जैसे अन्य भारतीय शहरों में उसके 600 से अधिक कर्मचारियों को दिक्कत हो सकती है।कंपनी ने बताया कि उसने जुलाई 2025 तक 1,643 करोड़ रुपये से ज्यादा का वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) चुकाया है। वित्त वर्ष 25 में उसने 687 करोड़ रुपये से ज्यादा का जीएसटी चुकाया था।
कंपनी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड के टिप्पणी के अनुरोध का जवाब नहीं दिया। कंपनी ए23 पोकर, ए23 रम्मी और अड्डा 52 का संचालन करती है। कंपनी ने कहा कि पिछले हफ्ते उसने इन खेलों को बंद कर दिया है। कंपनी ने कहा कि खिलाड़ियों की जमा राशि कंपनी की नीतियों के अनुसार निकाली जा सकती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने पिछले हफ्ते ऐसे खेलों पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक कानून पेश किया था। इनके बारे में उद्योग का कहना है कि ये कौशल पर आधारित हैं और इसलिए जुआ नहीं हैं। भारत में जुआ पहले से ही सख्ती से प्रतिबंधित था। यह कानून टाइगर ग्लोबल और पीक 15 पार्टनर्स जैसी उद्यम पूंजी कंपनियों द्वारा समर्थित उद्योग के लिए झटका है। उद्योग के अनुमानों के अनुसार साल 2029 तक भारत में इस उद्योग का मूल्य 3.6 अरब डॉलर होने वाला था।