प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर नीतियों के जरिये केंद्र सरकार द्वारा किए गए राजकोषीय उपायों का नतीजा अब दिखने लगा है। निजी क्षेत्र के बड़े बैंकों के ऋण वितरण में वृद्धि के रूप में इन उपायों के जमीनी स्तर पर सकारात्मक संकेत मिलने लगे हैं। उम्मीद की जा रही है आगे राजकोषीय एवं मौद्रिक उपायों के संयुक्त प्रभाव से चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में ऋण वृद्धि को काफी बढ़ावा मिलेगा।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, त्योहारी सीजन के दौरान बैंकिंग प्रणाली के तहत ऋण वितरण में तेजी आई। 3 अक्टूबर को समाप्त पखवाड़े में ऋण वृद्धि एक साल पहले के मुकाबले 11.4 फीसदी तक पहुंच गई, जबकि जमा वृद्धि 9.9 फीसदी रही। बैंकों ने 20 सितंबर से 3 अक्टूबर के पखवाड़े में 3.63 लाख करोड़ रुपये से अधिक के ऋण वितरित किए, जबकि इससे पिछले पखवाड़े में यह आंकड़ा महज 1.02 लाख करोड़ रुपये का था। इस दौरान बैंकिंग प्रणाली में जमा रकम में 5.51 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि हुई।
एचडीएफसी बैंक के एमडी और सीईओ शशिधर जगदीशन ने वित्तीय नतीजा (चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही) जारी करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘कर लाभ, जीएसटी में कमी और ब्याज दर में कटौती का तिहरा प्रभाव काम कर रहा है क्योंकि हमें ग्राहक और उत्पाद दोनों क्षेत्रों की आर्थिक गतिविधियों में सुधार स्पष्ट तौर पर दिख रहा है।’
सितंबर में जीएसटी परिषद ने अर्थव्यवस्था में खपत को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न श्रेणियों के लिए जीएसटी दरों में बदलाव किया था। इस साल के आरंभ में सरकार ने व्यय को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नई कर व्यवस्था के तहत छूट सीमा बढ़ाते हुए मध्य वर्ग को आयकर में राहत दी थी। उधर आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने नीतिगत दरों में ढील के मौजूदा चक्र के तहत रीपो दर में 100 आधार अंकों की कटौती की है। इससे खुदरा और कॉरपोरेट दोनों उधारकर्ताओं के लिए ऋण सस्ता हो गया है।
एचडीएफसी बैंक का सकल ऋण वितरण एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 9.93 फीसदी और एक तिमाही पहले के मुकाबले 4.4 फीसदी बढ़कर 27.69 लाख करोड़ रुपये हो गया। इसमें खुदरा परिसंपत्तियों में 7.4 फीसदी, लघु एवं मझोले बाजार श्रेणी में 17 फीसदी और कॉरपोरेट श्रेणी में 6.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।
बैंक ने अनुमान जाहिर किया है कि वित्त वर्ष 2026 में उसके ऋण वितरण में वृद्धि उद्योग के अनुरूप रहेगी, लेकिन वित्त वर्ष 2027 में उसकी रफ्तार उद्योग से अधिक होगी क्योंकि ऋण बनाम जमा अनुपात 90 फीसदी से नीचे चला जाएगा।
ऐक्सिस बैंक के एमडी एवं सीईओ अमिताभ चौधरी ने बैंक की दूसरी तिमाही के वित्तीय नतीजे जारी करने के बाद कहा, ‘हमें कुछ सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं। कुछ कटौतियां महज 20 से 25 दिन पहले की गई हैं और ऐसे में तत्काल कोई निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी। मगर खुदरा ऋण वितरण में कुछ सकारात्मक वृद्धि दिख रही है। जहां तक थोक का सवाल है तो हमने काफी अच्छी वृद्धि दर्ज की है।’
ऐक्सिस बैंक का ऋण वितरण वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 12 फीसदी और पिछली तिमाही के मुकाबले 5 फीसदी बढ़कर 11.16 लाख करोड़ रुपये हो गया। इसमें खुदरा ऋण में 6 फीसदी, एसएमई ऋण में 19 फीसदी और कॉरपोरेट ऋण में 20 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।
आरबीआई ने वास्तविक अर्थव्यवस्था में ऋण प्रवाह को बढ़ावा देने और बैंकिंग लागत को कम करने के उद्देश्य से हाल में 22 उपायों की घोषणा की है। इनमें बैंकों को गैर-वित्तीय क्षेत्र की भारतीय कंपनियों के अधिग्रहण के लिए रकम मुहैया कराना, प्रतिभूतियों के एवज में ऋण एवं आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के वित्तपोषण की अधिकतम सीमा बढ़ाना और होम लोन एवं अन्य ऋण पर जोखिम भार में बदलाव शामिल हैं।
आईसीआईसीआई बैंक के कार्यकारी निदेशक संदीप बत्रा ने वित्तीय नतीजे के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘राजकोषीय और मौद्रिक दोनों मोर्चों पर किए गए नीतिगत उपायों के मद्देनजर हम उम्मीद कर रहे हैं कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही बेहतर रहेगी। जीएसटी दर में कटौती की गई है। हमें उम्मीद है कि दूसरी छमाही के दौरान बेहतर ऋण वृद्धि दिखेगी। आगे समग्र ऋण वृद्धि के बारे में भी हमारा नजरिया सकारात्मक है।’
आईसीआईसीआई बैंक के शुद्ध घरेलू ऋण वितरण में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 10.6 फीसदी और एक तिमाही पहले के मुकाबले 3.3 फीसदी की वृद्धि हुई। खुदरा ऋण पोर्टफोलियो में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 6.6 फीसदी, कारोबारी बैंकिंग पोर्टफोलियो में 24.8 फीसदी और घरेलू कॉरपोरेट पोर्टफोलियो में 3.5 फीसदी की वृद्धि हुई।