प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित थोक महंगाई दर नवंबर में अवस्फीति के क्षेत्र में -0.32 प्रतिशत पर बनी रही। इसके पहले महीने में यह 27 माह के निचले स्तर -1.21 प्रतिशत पर थी।
अवस्फीति में आई नरमी की वजह अनुकूल आधार का असर है। पिछले महीने रिकॉर्ड 5 प्रतिशत की गिरावट के बाद खाने की कीमतों में 2.6 प्रतिशत की कम गिरावट आई। यह तब हुआ जब भारत में खुदरा महंगाई दर नवंबर में अक्टूबर के रिकॉर्ड निचले स्तर 0.25 प्रतिशत से बढ़कर 0.71 प्रतिशत हो गई, जिसे अनुकूल आधार और खाने पीने की चीजों में कम होती अवस्फीति का समर्थन मिला है।
डब्ल्यूपीआई के आंकड़ों के मुताबिक प्राथमिक खाद्य वस्तुओं की कीमतों की अवस्फीति नवंबर में -4.16 प्रतिशत रही है, जो अक्टूबर में -8.31 प्रतिशत थी। दूध (3.35 प्रतिशत) अंडे, मांस और मछली (2.08 प्रतिशत) की कीमत में पिछले महीने की तुलना में बढ़ोतरी के कारण ऐसा हुआ है। वहीं धान (-0.92 प्रतिशत), प्याज (-64.70 प्रतिशत), आलू (-36.14 प्रतिशत), फल (-0.91 प्रतिशत) और सब्जियों (-20.23 प्रतिशत) की अवस्फीति भी कम हुई है।
केयरएज रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि खाद्य कीमतें लगातार अवस्फीति के क्षेत्र में बनी हुई हैं, वहीं खाद्य तेल की बढ़ी महंगाई कुल मिलाकर खाद्य महंगाई दर में गिरावट को सीमित कर रही है।
उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए प्रमुख क्षेत्र पर निगरानी रखे जाने की जरूरत है, क्योंकि खरीफ की तिलहन फसल कमजोर है और खाद्य तेल की वैश्विक कीमतें बढ़ रही हैं। साथ ही सरकार ने कुछ प्रमुख दलहन की कीमत पर 30 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने का फैसला किया गया है, जिससे इनके आयात की कीमतों में बढ़ोतरी होगी। विनिर्मित वस्तुओं की महंगाई दर की थोक महंगाई सूचकांक में हिस्सेदारी 64 प्रतिशत होती है।
यह नवंबर में घटकर 14 माह के निचले स्तर 1.33 प्रतिशत पर आ गई है। विनिर्मित खाद्य वस्तुओं (0.63 प्रतिशत), सब्जियों और घी ( 1.36 प्रतिशत), बेवरिज (0.74 प्रतिशत) और तंबाकू उत्पादों (2.49 प्रतिशत), फार्मास्यूटिकल्स (1.39 प्रतिशत) व अन्य की कीमतें बढ़ने के कारण ऐसा हुआ है।