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पहली छमाही की उठापटक के बाद शांति, दूसरी छमाही में सेंसेक्स-निफ्टी सीमित दायरे में रहे

बाजार के प्रतिभागियों ने कहा कि कंपनियों की आय निराशाजनक रहने और अमेरिकी व्यापार नीति के कारण पहली छमाही में बाजार में ज्यादा अस्थिरता रही

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सुन्दर सेतुरामन   
Last Updated- December 15, 2025 | 11:08 PM IST

घरेलू शेयर बाजार इस साल के उथल-पुथल के दौर से अब शांति की ओर बढ़ गए हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो पहली छमाही में इंट्राडे के दौरान सेंसेक्स में 30 मौकों पर और निफ्टी में 32 बार 1 फीसदी या उससे अधिक का उठापटक देखा गया था। दूसरी छमाही में सेंसेक्स में केवल 3 बार और निफ्टी में 4 बार इतना उतार-चढ़ाव देखा गया। 

बाजार के प्रतिभागियों ने कहा कि कंपनियों की आय निराशाजनक रहने और अमेरिकी व्यापार नीति के कारण पहली छमाही में बाजार में ज्यादा अस्थिरता रही। दूसरी छमाही में प्रतिकूल खबरें कम रहने, बेहतर आय और स्थिर घरेलू संस्थागत निवेश से बाजार में ​स्थिरता आई।

स्वतंत्र इक्विटी विश्लेषक अंबरीश बालिगा ने कहा, ‘पहले दो महीनों में तेज गिरावट आई, उसके बाद पहली छमाही के बाद के महीनों में तेजी आई। दूसरी छमाही में बाजार ने नया उच्च स्तर छुआ मगर पहली छमाही में देखे गए स्तरों की तुलना में लाभ मामूली था। जब सूचकांक धीरे-धीरे बढ़ते हैं, तो अस्थिरता कम होती है। जून तिमाही की कमाई कमजोर थी जबकि सितंबर तिमाही के नतीजे सकारात्मक रहे मगर अमेरिका के साथ व्यापार करार पूरा नहीं हो पाया है।’

अमेरिका ने अगस्त में भारतीय वस्तुओं पर 50 फीसदी तक का शुल्क लगा दिया था और तब से व्यापार समझौते के लिए बातचीत में कोई प्रगति नहीं हुई है।  

अल्फा नीति फिनटेक के सह-संस्थापक यूआर भट ने कहा, ‘बाजार ने काफी हद तक 50 फीसदी अमेरिकी शुल्क के असर को सहन कर लिया है और एक तंग दायरे में अटक गया है। लेकिन इस तरह के छोटे दायरे अक्सर किसी भी दिशा में तेज चाल के अग्रदूत के रूप में काम करते हैं। यह तूफान से पहले की शांति हो सकती है।’

उन्होंने कहा कि माल एवं सेवा कर  की दरें घटाने और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती जैसे नीतिगत उपाय निवेशकों को उत्साहित करने में विफल रहे क्योंकि वे शुल्क झटके के बाद आए और उन्होंने केवल इसके प्रभाव को कम किया। ऊंचे मूल्यांकन ने निवेशकों को मामूली तेजी पर मुनाफा बुक करने के लिए भी प्रोत्साहित किया है। निफ्टी का एक साल का फॉरवर्ड पीई गुणक लगभग 20.5 है जो अभी भी 5 और 10 साल के औसत से ऊपर है।

दूसरी छमाही के दौरान आईपीओ गतिविधि में उछाल ने भी शेयर बाजार से नकदी को कम किया है। 

दिलचस्प बात है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की ओर से पहली छमाही के दौरान 72,000 करोड़ रुपये की तुलना में दूसरी छमाही में 85,000 करोड़ रुपये की बिकवाली की गई। हालांकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने पहली छमाही के दौरान 3.5 लाख करोड़ रुपये की तुलना में दूसरी छमाही के दौरान लगभग 4 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया।

इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक जी चोकालिंगम ने कहा, ‘काफी हद तक विदेशी निवेशकों की बिकवाली के बीच घरेलू संस्थागत निवेशकों की लिवाली ही सूचकांक को तेजी से गिरने से रोक रही है। दूसरी छमाही में आईपीओ की बाढ़ आने से घरेलू और विदेशी दोनों संस्थागत निवेशकों द्वारा शेयर बाजार से धन की निकासी की गई।’

भट ने कहा, ‘अगले कुछ महीनों में व्यापार के मोर्चे पर किसी प्रकार के समझौते और कॉरपोरेट नतीजे उम्मीद से अधिक होने पर बाजार 10-11 फीसदी का रिटर्न दे सकता है।’

First Published : December 15, 2025 | 11:08 PM IST