शेयर बाजार

Tobacco Stocks: 40% GST से ज्यादा टैक्स की संभावना से उम्मीदें धुआं, निवेशक सतर्क रहें

निवेशकों ने एलीटकॉन इंटरनैशनल, आईटीसी और वीएसटी इंडस्ट्रीज के शेयरों में बिकवाली पर जोर दिया, जिससे उनके शेयर शुक्रवार को दिन के कारोबार में 5 प्रतिशत तक गिर गए।

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निकिता वशिष्ठ   
Last Updated- September 07, 2025 | 10:34 PM IST

सिगरेट और बीड़ी सहित तंबाकू उत्पादों पर कम प्रभावी कर दर की उम्मीदें शुक्रवार को उस वक्त धुआं हो गईं जब केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया कि वह नई व्यवस्था के तहत हानिकारक वस्तुओं पर प्रस्तावित 40 प्रतिशत वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दर के अलावा अतिरिक्त उपकर लगा सकती है।

शेयर बाजारों में निवेशकों ने एलीटकॉन इंटरनैशनल, आईटीसी और वीएसटी इंडस्ट्रीज के शेयरों में बिकवाली पर जोर दिया, जिससे उनके शेयर शुक्रवार को दिन के कारोबार में 5 प्रतिशत तक गिर गए। ये शेयर 1.6 प्रतिशत से लेकर 5 प्रतिशत के दायरे में गिरकर बंद हुए।

इसके विपरीत गॉडफ्रे फिलिप्स का शेयर दिन के कारोबार में 6.5 प्रतिशत चढ़ गया और आ​खिर में 5.8 फीसदी तेजी के साथ बंद हुआ। इसकी तुलना में सेंसेक्स 7 अंक (0.01 प्रतिशत) गिरा। विश्लेषकों का सुझाव है कि निवेशकों को अंतिम दर पर ​स्थिति स्पष्ट होने तक निकट भविष्य में ‘महंगे’ तंबाकू शेयरों को लेकर सतर्क रहना चाहिए।

तंबाकू पर जीएसटी: उम्मीद बनाम वास्तविकता

इस समय सिगरेट पर कर का प्रति सिगरेट पर परिवर्तनीय भुगतान और निश्चित शुल्क का एक संरचनात्मक संयोजन है। सभी अहितकर वस्तुओं की तरह सिगरेट पर भी 28 प्रतिशत आधार जीएसटी कर लगाया जाता है, जिसमें सिगरेट की लंबाई के हिसाब से निश्चित और वेरिएबल उपकर शामिल है। इससे प्रभावी कर की दर प्रति सिगरेट 50-53 प्रतिशत हो जाती है।

इस पृष्ठभूमि में बाजारों को उम्मीद थी कि तंबाकू उत्पादों पर शुद्ध कर भार घटकर 40 प्रतिशत रह जाएगा। लेकिन वित्त मंत्रालय ने कहा है कि राज्यों के क्षतिपूर्ति ऋण नहीं चुक जाते, जीएसटी पर उपकर की मौजूदा कर संरचना जारी रहेगी।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था, ‘इसके बाद ये वस्तुएं 40 प्रतिशत कर स्लैब में आ जाएंगी।’ हालांकि, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के अध्यक्ष संजय कुमार अग्रवाल ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि सरकार अहितकर वस्तुओं पर 40 प्रतिशत कर के अलावा अतिरिक्त शुल्क भी लगाएगी। विश्लेषकों ने कहा कि इससे प्रभावी दर पहले की तरह करीब 53 प्रतिशत पहुंच सकती है जिससे संबंधित शेयरों के लिए मार्जिन जोखिम पैदा हो सकता है।

एलकेपी सिक्योरिटीज में उपभोक्ता-संबंधित और मिडकैप शेयरों के शोध विश्लेषक संदीप अभंगे ने आगाह किया, ‘तंबाकू हाई-टैक्स ‘सिन’ श्रेणी में बना हुआ है, सीबीआईसी ने अतिरिक्त शुल्क की संभावना जताई है जिससे मार्जिन/राजस्व जोखिम और नियामकीय दबाव पैदा होगा। बीड़ी पर रियायत से ग्रामीण आजीविका सुर​क्षित बनेगी लेकिन इससे निचली श्रेणी वाले धूम्रपान शौकीन बीड़ी की ओर झुक सकते हैं जिससे सिगरेट निर्माताओं के लिए मिलाजुला जोखिम हो सकता है।’

इक्विनोमिक्स के संस्थापक जी चोकालिंगम ने कहा कि ऊंचे कर से तंबाकू कंपनियों के मार्जिन पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है, भले ही वे मूल्य वृद्धि का पूरा बोझ ग्राहकों पर डालने का निर्णय लें।

इस बीच वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में आईटीसी के सिगरेट सेगमेंट का एबिटा मार्जिन सालाना आधार पर 270 आधार अंक और तिमाही आधार पर 80 आधार अंक घटकर 71.1 प्रतिशत रह गया। गॉडफ्रे फिलिप्स के सिगरेट व्यवसाय ने भी 18.62 प्रतिशत का एबिटा मार्जिन दर्ज किया जो एक साल पहले के 19.86 प्रतिशत की तुलना में थोड़ा कम है।

निवेश रणनीति

इस पृष्ठभूमि में चोकालिंगम का सुझाव है कि निवेशक तंबाकू शेयरों को बेच दें क्योंकि नियामकीय बाधाएं और संबंधित शेयरों का मूल्यांकन महंगा है। उन्होंने कहा, ‘निवेशक बड़ी गिरावट आने पर इन शेयरों को खरीदने पर विचार कर सकते हैं।’

First Published : September 7, 2025 | 10:34 PM IST