मोबाइल फोन की दिग्गज कंपनी ऐपल और सैमसंग ने विज्ञापन में प्रतिस्पर्धियों के साथ तुलना करने पर श्याओमी को कानूनी नोटिस भेजा है। मगर विशेषज्ञों का कहना है कि यह इस बात पर निर्भर करता है कि ग्राहकों का ध्यान आकर्षित करने के वास्ते कंपनियां किस हद तक जा सकती हैं। कानून विशेषज्ञों ने कहा कि घात लगाकर मार्केटिंग करना कानूनी तौर पर स्वीकार्य है मगर यह बेवजह के उपहास का कारण नहीं बनना चाहिए। ब्रांड के विशेषज्ञों का कहना है कि इससे श्याओमी को फायदा मिलेगा क्योंकि इससे कंपनी सुर्खियों में आएगी और उपभोक्ता भी कहीं न कहीं इस पर ध्यान देंगे।
दिल्ली उच्च न्यायालय की अधिवक्ता एकता राय ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘उपभोक्ताओं के लिहाज से तुलनात्मक विज्ञापन बेहतरीन हैं। मगर जैसे ही यह दूसरे ब्रांड की निंदा या उसके खिलाफ गलत बातें प्रचारित करता है यह अपमानजनक हो जाता है। घात लगाकर मार्केटिंग बगैर सहमति के प्रतिद्वंद्वी की ब्रांड इक्विटी का उपयोग करना है और भारत में अदालतों ने लगातार इसके लिए सीमा तय की है।’
राय ने कहा, ‘ऐपल और सैमसंग बनाम श्याओमी मामले में नोटिस से पता चलता है कि प्रमुख ब्रांड ऐसे विज्ञापनों को बर्दाश्त नहीं करेंगे, जो उनकी प्रतिष्ठा को कमजोर करती हो। श्याओमी का बचाव इस बात पर निर्भर करेगा कि उसके विज्ञापन में तुलना किया गया था या सिर्फ मजाक बनाया गया था। इसके फैसले से तय होगा कि भारतीय कंपनियां कहां तक रचनात्मक संचार की सीमाएं तय करती हैं।’ सिंघानिया ऐंड कंपनी के पार्टनर निषिद्ध पटेल ने कहा कि भारतीय अदालतों ने कारोबारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और ब्रांड प्रतिष्ठा एक बीच काफी सावधानीपूर्वक संतुलन बनाया है, लेकिन इस तरह के मामले इन सीमाओं की और परीक्षा लेंगे।
पटेल ने कहा, ‘यह देखना बाकी है कि निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा और गैरकानूनी अपमान के बीच सीमा तय करने में हमारा न्यायालय क्या करेगा।’ उन्होंने कहा कि ऐपल और सैमसंग द्वारा श्याओमी को हाल ही में दिए गए नोटिस से यह पता चलता है कि कैसे भारतीय ट्रेडमार्क कानून घात लगाकर मार्केटिंग और अपमानजनक विज्ञापनों के इर्द-गिर्द घूमता है। उन्होंने कहा, ‘तुलनात्मक विज्ञापन कानूनी रूप से स्वीकार्य हैं, लेकिन यह अनुचित उपहास का कारण नहीं बन सकता है, जिससे प्रतिस्पर्धी ब्रांड के साथ को क्षति पहुंचे।’ ब्रांड विशेषज्ञ और टीआरए रिसर्च के मुख्य कार्य अधिकारी एन चंद्रमौली ने समझाया कि विज्ञापन की अवधि अब खत्म हो चुकी है। उन्होंने कहा, ‘श्याओमी माफी मांग सकती है और ऐसे मामलों को अदालत में घसीटने से बेहतर ही बाहर ही सुलझा लिया जाए।’