भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लिए कानूनी सलाहकार नियुक्त करने की पहली कवायद विफल होने के बाद सरकार ने लॉ फर्मों के लिए शुल्क ढांचे में बदलाव किया है, जिससे पेशकश को आकर्षक बनाया जा सके।
निवेश एवं साïर्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने अनुरोध प्रस्ताव (आरएफपी) में संशोधन करके ‘माइलस्टोन पेमेंट’ पेश किया है, जिससे एलआईसी आईपीओ में कानून सलाहकारों को आकर्षित किया जा सके। इसके पहले कानूनी सलाहकारों से उम्मीद की गई थी कि वे सफल और संतोषप्रद ढंग से लेन-देन पूरा होने पर अपना शुल्क लेंगे।
अब सफल कानूनी फर्म को ड्राफ्ट रेट हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (डीआरएचपी) फाइल करने के बाद 50 प्रतिशत शुल्क मिल जाएगा और शेष आधा शुल्क एक्सचेंज में एलआईसी की सूचीबद्धता के बाद मिलेगा। इसमेें रुचि रखने वाली लॉ फर्में अपना शुल्क भेज सकती हैं, जो न्यूनतम 1 रुपये हो सकता है।
एलआईसी आईपीओ में मदद के लिए कानूनी फर्मों से पर्याप्त प्रक्रिया न मिलने के बाद सरकार ने बदलाव किए हैं। कानूनी सलाहकार नियुक्त करने के लिए सरकार ने नया आरएफपी पेश किया है और इसमें समय सीमा तय की गई है कि वित्तीय बोली की वैधता 3 साल हो सकती है, जिसके लिए कानूनी फर्म को एलआईसी की सहायता करनी होगी और सरकार को प्रक्रिया में 3 साल लग सकते हैं। पहले के बोली दस्तावेजों में कहा गया था कि बोली लगाने वाला वैधता की कोई समय सीमा नहीं दे सकता, और उसके काम की समय सीमा ओपन एंडेड होगी।
कानून फर्मों को अपनी बोली 16 सितंबर तक दाखिल करनी होगी। कानूनी सलाहकारों को अपना प्रस्ताव एक अंतरराष्ट्रीय लॉ फर्म के साथ कंसोर्टियम बनाकर दाखिल करना होगा, जिनकी पूंजी बाजार में सार्वजनिक पेशकश को लेकर उतना ही अनुभव और विशेषज्ञता हो। अंतरराष्ट्रीय लॉ फर्म, जिसके साथ घरेलू फर्म समझौता करेगी, को भारतीय पूंजी बाजार में लेनदेन का अनुभव सलाहकार या अंडरराइटर के रूप में होना चाहिए।
चुनी गई लॉ फर्म को डीआरएचपी, रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्ट्स और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) और स्टॉक एक्सचेंजों में फाइलिंग के लिए अंतिम प्रॉस्पेक्टस तैयार करना होगा। उसे सेबी, एक्सचेंजों, जमाकर्ताओं, बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) की ओर से आईपीओ से जुड़ी पूछताछ को लेकर मसौदा प्रतिक्रिया तैयार करना होगा और सार्वजनिक पेशकश संबंधी सभी गतिविधियां पूरी होने तक यह काम करना होगा।