विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने कुछ उपयोगी घोषणाएं और लोक सूचनाएं जारी की हैं।
निर्यात प्रोत्साहन पूंजी सामग्री (ईपीसीजी) योजना के तहत निर्यातकों के लिए यह अनिवार्य कर दिया गया है कि वे तीन साल के अंदर जिन उत्पादों या उसके सब्सिटयूट का निर्यात करते हैं, उनके निर्यात का सालाना औसत बरकरार रखें। इसमें यह भी कहा गया है कि इसमें उन सामग्रियों को भी शामिल किया जाए, जिनका इस अवधि में वे उत्पादन भी कर रहे हों।
जब ये निर्यातक सालाना औसत की गणना करें, उस वक्त ईपीसीजी प्राधिकारलाइसेंस के द्वारा निर्यात पर अंकुश लगाए जाने वाले उत्पादों की मात्रा को घटा लें। इसमें इस बात का ध्यान रखा जाए कि इस प्राधिकार के जरिये उन उत्पादों की गणना को भी हटाया जाए, जिसे ईपीसीजी ने स्वीकार न किया हो।
ये मददगार प्रस्ताव पहले भी अस्तित्व में थे। लेकिन 1 अप्रैल 2007 से बिना किसी ठोस कारण के इन्हें हटा दिया गया था। अब फिर इस प्रस्ताव को 1 अप्रैल 2007 के प्रभाव से ही बहाल करने की बात हो चुकी है। ऐसे निर्यातक जिन्हें 1 अप्रैल 2007 के बाद ईपीसीजी लाइसेंस या प्राधिकार प्राप्त हुए हों, वे हालिया नोटिस संख्या 392008 ,तारीख 4 जुलाई 2008 का इस्तेमाल करे और अपने सालाना औसत आंकड़े में हुई कमी को प्राप्त करें और अपने ऊपर आरोपित बोझ को कम करें।
जो आवेदन देर से किए गए हैं, उनके लिए प्रस्ताव इस बात की अनुमति देता है कि वे विलंब कटौती को बिना किसी परेशानी के इस्तेमाल कर सकते हैं। पिछले साल डीजीएफटी ने कटौती की मात्रा को थोड़ा आसान बनाते हुए अंतिम तारीख के छह महीने के भीतर आवेदन करने वालों पर 2 प्रतिशत का शुल्क और उसके अगले 6 महीने तक आवेदन करने वालों पर 5 प्रतिशत शुल्क लगाने की बात कही थी। लेकिन उसमें यह भी कहा गया था कि अंतिम तारीख के एक साल के बाद जो भी आवेदन किए जाएंगे, उसे रद्द कर दिया जाएगा।
वैसे अब डीजीएफटी ने अगले 12 महीने तक के लिए भी 10 प्रतिशत शुल्क के साथ आवेदन जमा करने की व्यवस्था कर दी है (पब्लिक नोटिस संख्या-45, तारीख- 7 जुलाई 2008)। एडवांस अथॉराइजेशन के तहत ईंधनों के आयात की भी अनुमति दे दी गई। यह अनुमति स्टैंडर्ड इनपुट आउटपुट नर्ॉम्स (सियॉन) के तहत किया गया है और यह अनुमति केवल उन्हीं निर्यातकों को दी जाएगी, जो सियॉन के तहत प्राधिकृत होंगे। पब्लिक नोटिस संख्या 422008, तारीख 4 जुलाई 2008 डीजीएफटी ने ईंधनों के आयात की अनुमति हैंडबुक ऑफ प्रोसीजर या एड हॉक नॉम्स के तहत आवेदन करने वालों को भी दे दी है।
शुल्क की रिवैलीडेशन की व्याख्या में विविधता की वजह से मुक्त आयात ऑथराइजेशन (डीएफआईए) योजना का आयात क्लीयरेंस के लिए समय पर उपयोग नहीं किया जा सका। इसलिए डीजीएफटी ने रिवैलीडेशन को फिर से अनुमति दी और और डीएफआईए ने 1 मई 2006 से 31 मार्च 2007 के बीच छह महीने की अवधि भी प्रदान की ,जिसे पहले से ही हस्तांतरण के लिए इंडोर्स कर लिया गया था। इसमें उस निर्यातों को भी शामिल करने की बात कही गई थी, जिसकी निर्यात वैधता 24 महीने में खत्म हो चुकी थी।
इसमें एक बात निश्चित की गई कि वही आवेदन स्वीकृत किए जाएंगे, जिसे 2 अगस्त 2008 तक जमा कर दिया गया हो। डीएफआईए के लिए, 31 मार्च 2007 के बाद जारी रिवैलीडेशन को एक्चुअल यूजर के तौर पर ही स्वीकृत किया जाएगा और उसे हस्तांतरणीय इंडोर्समेंट के लिए वैद्य नहीं माना जाएगा।
डीजीएफटी ने यह घोषित किया कि (पॉलिसी सर्कुलर संख्या 162008, तारीख 4 जुलाई 2008) ईपीसीजी के विरूद्ध विदेशी हस्तांतरण को निर्यात ऑब्लिगेशन के लिए तब ही चुना जाएगा, जब इस तरह के प्रोत्साहन मानक 1 अप्रैल 2007 से 31 मार्च 2008 के बीच आवेदन किए जा चुके होंगे। डीम्ड निर्यात के मामले में उन्हीं आवेदनों को स्वीकृति प्रदान की जाएगी, जो मासिक या तिमाही आवेदन की श्रेणी में आवेदित किए जाएंगे और प्रो-रेटा रिफंड ऑफ टर्मिनल का आंशिक भुगतान स्वीकार कर लिया गया होगा।