कानून

कुत्तों के हमले, रैबीज से मौत के मामलों में शीर्ष 5 राज्यों में भी शामिल नहीं राजधानी दिल्ली

देश में कुत्तों के हमले और रैबीज से मौत के मामले बढ़ने का हवाला देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र से हजारों आवारा कुत्तों को हटाने का आदेश दिया।

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जयंत पंकज   
Last Updated- August 12, 2025 | 11:39 PM IST

देश में कुत्तों के हमले और रैबीज से मौत के मामले बढ़ने का हवाला देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र से हजारों आवारा कुत्तों को हटाने का आदेश दिया। लेकिन आंकड़ों से पता चलता है कि कुत्तों के काटने की घटनाएं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से ज्यादा कई अन्य राज्यों में दर्ज की जाती हैं। यही नहीं, उत्तरी राज्यों के मुकाबले दक्षिण में कुत्तों के काटने के अधिक मामले दर्ज किए गए हैं।

वर्ष 2018 से 2024 के बीच पूरे भारत में कुत्तों के काटने के 3 करोड़ से अधिक मामले सामने आए थे। इनमें से सबसे अधिक 31 प्रतिशत दक्षिणी राज्यों में दर्ज किए गए, जबकि पश्चिम से 25 प्रतिशत और उत्तरी क्षेत्र में 23 प्रतिशत घटनाएं हुईं।

वर्ष 2024 के लांसेट इंफेक्शियस डिजीज के एक अध्ययन के अनुसार, भारत में सालाना लगभग 91 लाख जानवरों के काटने के मामले सामने आते हैं। इनमें से 76 प्रतिशत से अधिक कुत्तों के काटने होते हैं। यही वजह है कि पूरे देश में हर साल लगभग 5,726 लोगों की मौत रेबीज के कारण होती है।

दक्षिण के राज्यों में कुत्तों के काटने के मामले कभी ज्यादा तो कभी कम आते रहे हैं। वर्ष 2021 में 28 प्रतिशत से बढ़कर 2022 में ऐसे मामले 38 प्रतिशत हो गए। उसके बाद 2023 में दोबारा आंकड़ा गिरकर 35 प्रतिशत पर आ गया लेकिन 2024 में पुन: कुत्तों के हमले के मामले 36 प्रतिशत तक दर्ज किए गए। इसके उलट देश के उत्तरी क्षेत्र में कुत्तों के काटने के मामलों में साल-दर-साल गिरावट आई है।

पिछले साल दिल्ली में प्रति दस लाख आबादी पर कुत्तों के काटने के मामलों में 38 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि पिछले तीन वर्षों में इनमें उतार-चढ़ाव दर्ज किया गया। लेकिन इस मामले में दिल्ली शीर्ष पांच राज्यों में शामिल नहीं है। आंकड़ों के अनुसार एंटी रैबीज वैक्सीन पर केंद्र सरकार ने पिछले पांच वर्षों में राज्यों के मुकाबले अधिक धन खर्च किया है।

First Published : August 12, 2025 | 11:20 PM IST