ओबीसी कोटा पर बनी निगरानी समिति के अध्यक्ष होने के नाते क्या आपको लगता है कि सुप्रीम कोर्ट ने उचित फैसला दिया है?
आज मैं काफी राहत महसूस कर रहा हूं। जब ओबीसी कोटा की घोषणा हुई थी तो पूरे देश में इसका जबर्दस्त विरोध हुआ था। सब यही कह रहे थे कि यह क्रियान्वित नहीं हो सकता। प्रधानमंत्री ने इसे लागू करने के लिए एक निगरानी समिति का गठन किया था।
इसके बाद हम लोगों ने आईआईएम और आईआईटी के निदेशकों से भी बात की। उनके साथ बातचीत के बाद ही कोटा को क्रियान्वित करने के लिए एक विस्तृत योजना बनाई गई। हालांकि उच्च शिक्षण संस्थानों ने कोटा पर अपनी सहमति जताई लेकिन यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में चला गया। मुझे बहुत खुशी है कि सुप्रीम कोर्ट ने हमारे निर्णय पर मुहर लगा दी।
क्रीमी लेयर को हटाने के बारे में आप क्या कहेंगे?
क्रीमी लेयर के हटने से योग्य उम्मीदवारों को मौका मिलेगा। अगर क्रीमी लेयर को नही हटाया जाता तो ओबीसी वर्ग के नेताओं, प्रशासकों और आयकरदाताओें के बच्चों को आरक्षण का फायदा मिल जाता जिन्हें अध्ययन के लिए आरक्षण की जरूरत नहीं है। ऐसे में वाकई हकदार उम्मीदवार इस लाभ को पाने से वंचित रह जाते। लेकिन अब कोटा से हकदार उम्मीदवारों को ही लाभ मिलेगा।
आपको नही लगता कि ओबीसी के बजाय दलितों को आरक्षण में बडा हिस्सा मिलना चाहिए?
मैं ऐसा नहीं सोचता। दलितों को विभिन्न आरक्षण योजनाओं के तहत लाभ दिया जा रहा है। हमने उच्च शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों की संख्या का पता लगाने के बाद ही ओबीसी के लिए कोटा घोषित किया। इस कोटे से दलितों को दिए जा रहे आरक्षण पर कोई प्रभाव नही पडेग़ा॥
दक्षिण के राज्यों ने तो कोटा पहले ही शुरू कर दिया है। वहां इस आरक्षण के बारे में आपके क्या विचार हैं?क्या आप समझते हैं कि इस कोटा से वहां कोई प्रभाव पड़ेगा?
बिल्कुल। हर ऐसी जगहों पर इस कोटा का प्रभाव पड़ेगा जहां सरकारी अनुदानों पर चलने वाले शिक्षण संस्थान मौजूद हैं। इस कोटा से उन छात्रों को भी फायदा होगा जो उच्च शिक्षा ग्रहण करना चाहते हैं।
आपके मुताबिक देश में आरक्षण का कौन सा मॉडल सबसे अच्छा होगा?
हमारे देश की संरचना संघीय प्रणाली पर आधारित है और इसलिए यहां केंद्र और राज्य दोनों आरक्षण की अलग अलग योजनाएं चलाती है। इसलिए जरूरत इस बात की है कि ये योजनाएं सही तरीके से काम करें और बेहतर परिणाम दे। वैसे भी ये सारी योजनाएं संविधान के अनुरुप ही बनाई जाती हैं।
क्या आने वाले वर्षों में कोटा के तहत आरक्षित सीटों की संख्या घटेगी? क्या कोटा को लागू रखने के लिए कोई समय सीमा निर्धारित होगी?
ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। हम लोग इन उच्च शैक्षणिक संस्थानों को ओबीसी की सीटें बढ़ाने के लिए दबाव ही नहीं बना रहे बल्कि इसके लिए हम इन्फ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने की भी योजना बना रहे हैं ताकि इससे संस्थानों की बनावट पर कोई असर न पड़े।
यह ओबीसी और संस्थान दोनों के लिए बेहतर स्थिति है। आप हावर्ड और एमआईटी को देखिए। उनकी स्थापना के समय से आज सीटों में 300 से 400 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है जबकि आईआईएम और आईआईटी ने तो अपनी सीटों में मात्र 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। देश को उच्च शैक्षणिक पृष्ठभूमि के ज्यादा लोगों की जरूरत है।
अगर हम मछली की विभिन्न किस्में चाहते हैं तो हमें समुद्र में जाना होता है, तालाबों में तो विकल्प सीमित होते हैं। अब वक्त आ गया है कि उच्च शिक्षा में सीटों को बढ़ाया जाए।
क्या ओबीसी छात्रों को उच्च संस्थानों में भेजने के लिए क्या किसी तरह की तैयारी भी चल रही है?
हमलोग इस दिशा में कदम उठा रहे हैं। हमने राज्यों को यह निर्देश दिया है कि जो बच्चे 9 वीं कक्षा पास कर चुके हैं उन्हें छात्रवृत्ति दी जाए ताकि वे अपनी आगे की पढ़ाई जारी रख सके। केंद्र भी कुछ इसी तरह की योजना बना रहा है। वैसे भी ओबीसी छात्रों की शिक्षा को जारी रखने के लिए कई तरह की छात्रवृत्ति योजनाएं पहले से ही चल रही हैं।