आगामी बजट में यदि महामारी से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक आतिथ्य क्षेत्र को सहारा नहीं दिया गया तो देश में आतिथ्य क्षेत्र के कुल कक्ष इन्वेंट्री में से एक चौथाई बंद होने के कगार पर पहुंच जाएगी। ये बातें इस क्षेत्र के शीर्ष संगठन होटल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एचएआई) के अध्यक्ष बीएल कचरु ने कही। देश में ब्रांडेड खंड में 1,40,000 से थोड़े अधिक कक्ष हैं।
संघ के अनुमान के मुताबिक देश में प्रत्येक 10 में से चार होटल बंद होने के कगार पर हैं। यदि यह क्षेत्र दोबारा से सामान्य हो भी जाता है तो कोविड से पूर्व के स्तरों पर पहुंचने में दो से तीन वर्ष का समय लग जाएगा।
राष्ट्रव्यापी औसत दैनिक दर (एडीआर) से पता चलता है कि महीने दर महीने के आधार पर सुधार हो रहा है जो मुख्य तौर पर फुर्सत के समय घूमने वाले घरेलू यात्रियों की ओर से मांग में होने वाली स्थायी वृद्घि के कारण है लेकिन कारोबारी ठिकानों पर होटलों में मौजूदगी और एडीआर दोनों में काफी कमी है। एचवीएस एनारॉक रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर में बेंगलूरु और पुणे में लागातर न्यूनतम मौजूदगी (30 फीसदी से कम) देखी गई।
उन्होंने कहा, ‘देसी पर्यटन शीघ्र शुरू होने की संभावना बहुत कम है। ऐसे में होटल पूरी तरह से घरेलू पर्यटकों पर निर्भर हैं। इसलिए सरकार की ओर से हमें हरेक वह मदद दी जानी चाहिए जो मांग को बढ़ाने में सहायक हो।’ सच्चाई यह है कि कोविड से पूर्व के समय में देश में 1 करोड़ देसी पर्यटक थे लेकिन देश से बाहर 2.6 करोड़ पर्यटक जाते थे। यह इस क्षेत्र की संभावना को दिखाता है। कचरु ने कहा, ‘विदेश जाने वाले इनमें से अधिकांश पर्यटक अधिक खर्च करने वाले हैं जो देश में ही छुट्टी मना रहे हैं। ऐसे में हमारे पास एक तैयार बाजार है।’
इस बात से फेथ (भारतीय पर्यटन और आतिथ्य के संघों के महासंघ) के चेयरमैन नकुल आनंद सहमत हैं। उन्होंने कहा, ‘पर्यटन में विभिन्न मंत्रालय और राज्यों के मंत्रालय शामिल है ऐसे में केंद्र सरकार के स्तर पर सभी मंत्रालयों के बीच और केंद्र तथा राज्य के बीच एक समन्वित दृष्टिकोण की आवश्यकता है।’ उन्होंने जोर देकर कहा कि राष्ट्रीय पर्यटन परिषद को एक सशक्त विधायी निकाय बनाए जाने की जरूरत है जो केंद्र और राज्य स्तर के पर्यटन संबंधी मामलों को तेजी से आगे बढ़ाने में सक्षम होगी और सभी राज्यों में मौजूद भारत की पर्यटन संभावना का लाभ उठाकर और उनमें पूरी तरह से तालमेल बिठा कर एक भारत एक पर्यटन के दृष्टिकोण को साकार करेगी।
जीएसटी और आयकर दरों में कटौती करने, घरेलू पर्यटन कर क्रेडिट सहित उद्योग संघ का सरकार को दिए गए बजट पूर्व के सुझावों में अन्य मांग आतिथ्य क्षेत्र को बुनियादी ढांचा का दर्जा देने की मांग है।
एचएआई ने बजट पूर्व अपनी टिप्पणी में कहा, ‘यह अनुशंसा है कि 25 करोड़ रुपये से अधिक के होटलों, भूमि सहित पूंजीगत व्यय को बुनियादी ढांचा घोषित किया जाए।’
आनंद के मुताबिक देश में होटल क्षेत्र को बुनियादी ढांचा क्षेत्र घोषित किए जाने की आवश्यकता इसलिए है कि दीर्घावधि के लिए धन की व्यवस्था उपयुक्त दरों पर की जा सके। इससे निजी पूंजी आतिथ्य को आकर्षित करने, देश भर में नौकरियों का सृजन करने और गुणवत्तापूर्ण आवास आपूर्ति तैयार करने में मदद मिलेगी।
