राष्ट्रीय जनसंख्या आधारित सीरो सर्वे से यह अंदाजा मिला है कि भारत में 0.73 प्रतिशत वयस्क कोरोनावायरस से संक्रमित थे और मई 2020 की शुरुआत तक संक्रमितों की तादाद कुल 64 लाख तक थी। जॉन हॉपकिंस कोविड ट्रैकर के अनुसार भारत फि लहाल संक्रमण के 45 लाख मामलों के साथ दुनिया में दूसरे स्थान पर है जबकि अमेरिका में संक्रमितों की तादाद दुनिया भर में सबसे ज्यादा है और यहां करीब 64 लाख लोग संक्रमित हैं। आईसीएमआर की सीरो सर्वे रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में संक्रमितों की तादाद अमेरिका की आधिकारिक संख्या से अधिक हो चुकी होगी।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा किए गए सीरो सर्वे के नतीजे इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित हुए थे। रिपोर्ट में पाया गया कि सीरोप्रेवलेंस का दायरा शून्य से लेकर उच्च स्तर के मामलों तक चार स्तर के जिलों में 0.62 और 1.03 फ ीसदी के बीच था। इन चार स्तर पर 70 जिलों के 700 समूहों के कुल 30,283 परिवारों का दौरा किया गया। इसमें कहा गया, ‘हमारे सर्वेक्षण के निष्कर्षों से पता चला है कि भारत में कुल सीरोप्रेवलेंस कम था और मई 2020 के मध्य तक सार्स-सीओवी-2 से संक्रमित होने वालों में एक प्रतिशत से भी कम वयस्क आबादी थी। 11 मई से 4 जून के बीच कराये गए सर्वेक्षण में कोविड कवच एलिसा एंटीबॉडी टेस्ट द्वारा 28,000 लोगों का परीक्षण किया गयाए जिसमें चेतावनी दी गई थी कि अधिकांश जिलों में कम प्रसार हुआ था जिससे यह अंदाजा मिलता है कि भारत महामारी के शुरुआती चरण में है और अधिकांश भारतीय आबादी अब भी सार्स-सीओवी-2 संक्रमण के लिहाज से अतिसंवेदनशील और जोखिम की स्थिति में है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भारत में संक्र मण और मामले का उच्च अनुपात लक्षण वाले लोगों की जांच को प्राथमिकता देने या फि र राज्यों में परीक्षण दरों में अंतर की वजह से हो सकता है। 18 मई को कोरोनावायरस मामलों के लिए भारत की आधिकारिक गिनती सौ हजार का आंकड़ा पार कर गई। सर्वेक्षण में बताया गया है कि शहर की झुग्गी-झोपडिय़ों में रहने वाले पुरुषों और ज्यादा जोखिम वाले कारोबार की वजह से संभावित तौर पर संक्रमित होने वाले लोग ही सीरोपॉजिटिविटी से जुड़े थे।’
सीरोपॉजिटीविटी 18 से 45 वर्ष (43.3 प्रतिशत) की आयु वर्ग में सबसे अधिक थी इसके बाद 46.60 वर्ष (39.5 प्रतिशत) के बीच की आयु वर्ग के लोग थे। 60 साल (17.2 प्रतिशत) से ऊपर के लोगों में यह सबसे कम था। सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले लगभग आधे प्रतिभागियों की उम्र 18 से 45 साल के बीच थी और 51.5 प्रतिशत महिलाएं थीं। सभी वर्गों में 18.7 प्रतिशत प्रतिभागियों को संभावित रूप से संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आने का खतरा अधिक था। आईसीएमआर ने आगे राष्ट्रीय और स्थानीय सीरो सर्वे की सिफ ारिश की है ताकि देश के विभिन्न भागों में महामारी को रोकने और खत्म करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीति को बेहतर सूचनाएं मिल पाएं।
सर्वे में कहा गया कि कई जगहें ऐसी हैं जहां कोविड-19 मामलों का कम पता चल सकता है क्योंकि वहां कम जांच होने के साथ-साथ परीक्षण प्रयोगशालाओं तक पहुंच भी नहीं है। सर्वे में पाया गया कि ऐसे क्षेत्रों में 15 में से चार जिलों में कोविड-19 जांच प्रयोगशाला जिला मुख्यालयों पर उपलब्ध नहीं थी और नमूनों की जांच के लिए राज्य मुख्यालय के अस्पतालों में पहुंचाया गया था।
आईसीएमआर ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि महामारी में बाद में किए गए सीरोप्रेवलेंस अनुमान या ज्यादा व्यापक प्रसार वाली जगहों से संक्रमण का प्रसार और मामले तथा संक्रमण और मृत्यु का अनुपात और बेहतर तरीके से पता चलेगा। सीरोसर्वे में व्यक्तियों के एक समूह के रक्त के नमूनों को लिया जाता है ताकि कोविड के लिए एंटीबॉडी की जांच की जा सके। अगर परीक्षण सकारात्मक है तब इससे पता चलता है कि व्यक्ति पहले संक्रमित हुआ है। वैज्ञानिक मार्गदर्शन वाला यह सर्वेक्षण उन लोगों के प्रतिशत को दर्शाता है जिन्हें उस क्षेत्र में संक्रमित होने का ज्यादा खतरा है या कौन से वैसे क्षेत्र जहां ज्यादा संक्रमण फैल सकता है।