केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा है कि जांच के लिए छांटे गए सभी आयकर मामलों का पहचान रहित (फेसलेस) आकलन किया जाएगा। इसकी शुरुआत बृहस्पतिवार से ही हो गई है। सीबीडीटी ने इसके साथ ही स्पष्ट किया है कि छापेमारी और जब्ती तथा अंतरराष्ट्रीय कर से संबंधित मामले फेसलेस आकलन के दायरे में नहीं आएंगे। सीबीडीटी व्यक्तिगत और कॉरपोरेट आयकर के मामलों को देखता है।
सीबीडीटी ने निर्देश दिया है कि राष्ट्रीय ई-आकलन केंद्र द्वारा सभी आकलन आदेश फेसलेस आकलन योजना, 2019 के तहत ही जारी किए जाएंगे। सीबीडीटी ने कहा कि इस कदम से यह सुनिश्चित होगा कि सभी आकलन आदेश फेसलेस आकलन योजना, 2019 के तहत ही जारी होंगे। सिर्फ केंद्रीय शुल्कों और अंतरराष्ट्रीय कर से संबंधित मामले इसमें शामिल नहीं होंगे।
नांगिया एंड कंपनी एलएलपी के भागीदार शैलेश कुमार ने कहा कि सीबीडीटी द्वारा जारी प्रशासनिक आदेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बृहस्पतिवार को जारी करदाता चार्टर के क्रियान्वयन का हिस्सा है।
कुमार ने कहा, ‘इस आदेश का मतलब है कि अब से कर विभाग करदाता का पहचान रहित आकलन करेगा। सिर्फ केंद्रीय शुल्कों (विशेषरूप से छापेमारी और जब्ती) तथा अंतरराष्ट्रीय कर मामले इसमें शामिल नहीं होंगे। इससे आकलन की प्रक्रिया में करदाता-कर अधिकारी के बीच संपर्क में उल्लेखनीय रूप से कमी अएगी।’
उन्होंने कहा कि इससे कर अधिकारी आकलन की प्रक्रिया को तेजी से पूरा कर पाएंगे, क्योंकि वे सिर्फ करदाता द्वारा लिखित में दिए गए ब्योरे पर निर्भर करेंगे और उनकी करदाताओं से व्यक्तिगत बैठक या बातचीत नहीं होगी। कुमार ने कहा कि केंद्रीय शुल्कों तथा अंतरराष्ट्रीय करों से संबंधित मामलों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है।
टीडीएस निदेशालय, जांच शाखा ही सर्वे कर सकेंगे
सीबीडीटी ने कहा है कि गुरुवार से सिर्फ जांच शाखा और स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) निदेशालय ही जांच-पड़ताल के लिए जानकारी जुटाने के वास्ते आयकर सर्वेक्षण करेंगे। सीबीडीटी ने एक आदेश में कहा कि 13 अगस्त 2020 से जांच, सर्वेक्षण की कार्रवाई की मंजूरी देने के लिये केवल आयकर महानिदेशालय (जांच) के अधिकारी और आयकर प्रधान आयुक्त या आयकर (टीडीएस) के मुख्य आयुक्त ही सक्षम प्राधिकरण होंगे। बोर्ड ने कहा है कि पहचान रहित आकलन शुरू होने के साथ ही विभाग करदाताओं के साथ कम से कम आमना- सामना होने की तरफ बढ़ रहा है।
नांगिया एंडरसन एलएलपी के पार्टनर अरविंद श्रीवत्सन ने कहा कि पिछली व्यवस्था में निरीक्षक और उससे ऊपर स्तर के अधिकारी आयकर के संयुक्त आयुक्त की पूर्व मंजूरी से ऐसे सर्वेक्षण कर सकते थे।