अगस्त 2025 में बॉन्ड मार्केट में ब्याज दरें (यील्ड) लगातार बढ़ीं। 10 साल के सरकारी बॉन्ड का यील्ड करीब 6.3% से बढ़कर 6.7% तक पहुंच गया। लंबे समय वाले बॉन्ड, जैसे 30 साल या उससे ज्यादा अवधि के बॉन्ड, लगभग 2 साल के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गए। राज्य सरकार के बॉन्ड (SGS) में भी करीब 0.50% (50 बेसिस पॉइंट्स) की बढ़ोतरी देखी गई।
PGIM India Mutual Fund के Fixed Income हेड पुनीत पाल का कहना है कि बॉन्ड पर ब्याज बढ़ने की कई वजहें हैं। सबसे बड़ी वजह है कि बॉन्ड की मांग और सप्लाई में असंतुलन है। यानी बाजार में जितने बॉन्ड बेचे जा रहे हैं, उतने खरीदार नहीं मिल रहे। दूसरी वजह यह है कि अब बाजार को उम्मीद नहीं है कि ब्याज दरों में और कटौती होगी। तीसरी वजह सरकार के बढ़ते वित्तीय घाटे को लेकर चिंता है। महीने की शुरुआत में आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया और अप्रैल–जून 2026 (Q1 FY27) के लिए महंगाई का अनुमान 4.9% बताया। इसके अलावा, पूरे FY26 के लिए औसत महंगाई का अनुमान पहले 3.1% था, जिसे बढ़ाकर 3.7% कर दिया गया। MPC ने यह भी साफ किया कि अब वह सिर्फ खाने-पीने और ईंधन की कीमतों पर नहीं, बल्कि बाकी सभी चीजों की कीमतों यानी ‘कोर महंगाई’ पर ज्यादा ध्यान देगा।
वह आगे बताते हैं, अगस्त में खुदरा महंगाई (CPI) घटकर 1.55% रह गई। इसका सबसे बड़ा कारण खाने-पीने की चीजों के दाम कम होना रहा। वहीं, कोर महंगाई यानी खाने-पीने और ईंधन को छोड़कर बाकी चीजों की कीमतें 4.10% पर स्थिर रहीं। थोक महंगाई (WPI) -0.58% रही, जो अगस्त 2023 के बाद का सबसे निचला स्तर है।
अंतरराष्ट्रीय एजेंसी S&P ने भारत की क्रेडिट रेटिंग को BBB- से बढ़ाकर BBB कर दिया और नजरिया स्थिर रखा। वहीं, दूसरी एजेंसी Fitch ने भारत की रेटिंग BBB- पर ही बनाए रखी।
सरकार ने खपत बढ़ाने और अमेरिकी टैरिफ के असर को कम करने के लिए GST दरें घटाने की योजना बनाई है। शुरुआती अनुमान बताते हैं कि इससे सालाना GDP में लगभग 0.3% से 0.4% तक खर्च बढ़ सकता है। पहली तिमाही (Q1 FY26) में भारत की वास्तविक GDP ग्रोथ 7.8% और नॉमिनल ग्रोथ 8.8% रही। बारिश भी देशभर में औसत से 7% ज्यादा हुई है। इससे खेती की हालत बेहतर रही। कुल बोया गया क्षेत्र सामान्य का 98% रहा और खासतौर पर धान (चावल) की बुआई 104% तक पहुंच गई।
पुनीत पाल का कहना है कि लंबी अवधि के लिए बॉन्ड मार्केट में निवेश के मौके अब अच्छे हैं। खासकर, लॉन्ग टर्म बॉन्ड और राज्य सरकार के बॉन्ड (SDL) में। उनका मानना है कि आगे चलकर 10 साल के सरकारी बॉन्ड का यील्ड 6.30% से 6.70% के बीच रह सकता है। साथ ही, SDL बॉन्ड लंबे समय में अच्छा रिटर्न दे सकते हैं।
दूसरे विशेषज्ञ PGIM India Mutual Fund के CIO विनय पहारिया के मुताबिक, अगस्त 2025 में भारत का शेयर बाजार मुश्किल हालात के बीच भी स्थिर बना रहा। इस दौरान निफ्टी 1.4% गिरा, जबकि मिडकैप इंडेक्स 2.9% और स्मॉलकैप इंडेक्स 4.1% नीचे गए। पहारिया ने बताया कि हाई क्वालिटी और तेजी से बढ़ने वाली कंपनियों ने अच्छा प्रदर्शन किया, जबकि कमजोर क्वालिटी और धीमी वृद्धि वाली कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखी गई।
सेक्टरवार प्रदर्शन
ऑटो सेक्टर – 5.8% की बढ़त
कंज्यूमर ड्यूरबल्स – 2% की तेजी
ऑइल एंड गैस – 4.7% की गिरावट
पावर – 4.6% की गिरावट
रियल्टी – 4.5% की गिरावट
उपभोक्ता-फोकस्ड सेक्टरों का प्रदर्शन अच्छा रहा। ऑटो सेक्टर 5.8% और कंज्यूमर ड्यूरबल्स 2% चढ़े। वहीं, ऑइल एंड गैस 4.7%, पावर 4.6% और रियल्टी 4.5% नीचे रहे।
इस दौरान कई अहम घटनाएं हुईं। अमेरिका ने भारतीय सामान पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया, OPEC ने तेल उत्पादन बढ़ाया और RBI ने ब्याज दरें जस की तस रखीं। इसी बीच, S&P ने भारत की सॉवरेन रेटिंग BBB- से बढ़ाकर BBB कर दी। सरकार ने GST दरें घटाने की योजना बनाई और अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने संकेत दिया कि अगले महीने ब्याज दरें कम हो सकती हैं।
आर्थिक आंकड़ों के मुताबिक जुलाई में CPI महंगाई 1.6% रही और WPI -0.6% पर दर्ज हुई। औद्योगिक उत्पादन (IIP) जुलाई में 3.5% बढ़ा। FY26 की पहली तिमाही में GDP ग्रोथ 7.8% रही, जिसे खेती, सेवाओं और सरकारी खर्च में बढ़ोतरी ने सपोर्ट किया। जुलाई में गैर-खाद्य क्रेडिट 9.9% बढ़ा, जबकि अगस्त में ट्रेड डेफिसिट बढ़कर $29.6 बिलियन हो गया, जिसकी बड़ी वजह सोने के आयात में बढ़ोतरी रही।
Vinay Paharia का मानना है कि अभी अच्छी क्वालिटी और तेजी से बढ़ने वाली कंपनियों में निवेश सुरक्षित और फायदेमंद रहेगा। उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था घरेलू मांग पर आधारित है, इसलिए वैश्विक उतार-चढ़ाव के बावजूद इसकी ग्रोथ स्थिर रह सकती है।