दिवालिया इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स (Jaiprakash Associates) के लिए सबसे बड़ा बोलीदाता बनने वाला वेदांता ग्रुप मेटल और माइनिंग दिग्गज वेदांता लिमिटेड (Vedanta) और उसकी अनलिस्टेड पेरेंट कंपनी वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड (VRL) के लिए ‘क्रेडिट निगेटिव’ है। यह बात क्रेडिटसाइट्स के विश्लेषकों ने कही है। वेदांता ने इनसॉल्वेंसी प्रक्रिया के अंतर्गत जयप्रकाश एसोसिएट्स (JPA) के लिए 17,000 करोड़ रुपये (2 अरब डॉलर) की पेशकश की है, जिसमें 4,000 करोड़ रुपये नकद और बाकी राशि पांच से छह साल में देने का प्रस्ताव है। यह बोली JPA की नेट वैल्यू 12,500 करोड़ रुपये से काफी ज्यादा है।
इस सौदे से VRL को JPA के सीमेंट, रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर कारोबार से नए राजस्व सोर्स मिल सकते हैं, लेकिन क्रेडिटसाइट्स ने कहा कि JPA की कमाई लगातार घट रही है और FY25 में इसका EBITDA निगेटिव रहा। कंसॉलिडेशन को ध्यान में रखते हुए यह अधिग्रहण VRL का नेट लेवरेज 2.7x–2.8x तक बढ़ा सकता है।
क्रेडिटसाइट्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “हम इस अधिग्रहण को वेदांता लिमिटेड और VRL के लिए क्रेडिट निगेटिव मानते हैं, क्योंकि JPA पर भारी कर्ज है, आय घट रही है और इसमें कोई बड़ी रणनीतिक सिनर्जी नहीं दिखती।”
रिपोर्ट में कहा गया है, “यह अधिग्रहण वेदांता लिमिटेड को रियल एस्टेट, सीमेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में ले जाएगा, जो आमतौर पर साइक्लिक, अस्थिर और वर्किंग-कैपिटल-इंटेंसिव होते हैं। हमें नए वेंचर के एग्जीक्यूशन रिस्क को लेकर भी सतर्क रहना होगा। यह अधिग्रहण VRL की एग्रेसिव कैपेक्स और विस्तार को भी दिखाता है, जिसे हमने अपने पहले की रिपोर्टों में वेदांता के लिए एक प्रमुख जोखिम के रूप में रेखांकित किया है,”
रिपोर्ट के अनुसार, वेदांता की यह विस्तार नीति फ्री कैश फ्लो में सुधार को रोक सकती है और वेदांता रिर्सोसेज को दिए जाने वाले डिविडेंड को सीमित कर सकती है। इससे वेदांता रिसोर्सेज के FY27 तक नेट कर्ज को 3 अरब डॉलर तक घटाने के लक्ष्य पर असर पड़ सकता है। क्रेडिटसाइट्स ने यह भी जोड़ा, “मंगलवार को ही खबर आई थी कि वेदांता लिमिटेड उत्तराखंड में 330 मेगावॉट की एक बड़ी हाइड्रो परियोजना को अधिग्रहित करने में रुचि दिखा रही है।”
क्रेडिटसाइट्स ने सवाल उठाया कि इतनी ऊंची कीमत पर अधिग्रहण के पीछे वेदांता का तर्क क्या है? खासकर तब जब वेदांता लिमिटेड को जयप्रकाश एसोसिएट्स के कोर सेक्टर्स का कोई अनुभव नहीं है।
जेपी एसोसिएट्स के लेनदारों को 59,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के दावों पर करीब 71% तक का ‘हेयरकट’ झेलना पड़ सकता है और वेदांता के प्रस्ताव पर जल्द ही वोटिंग होने की संभावना है। इस सौदे को राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) से मंजूरी की भी जरूरत होगी।