वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने आज कहा कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को अपने परिचालन के तरीके का फिर से आकलन करने की जरूरत है।
भारतीय उद्योग परिसंघ की वैश्विक आर्थिक नीति सम्मेलन में बोलते हुए मंत्री ने कहा कि विकसित देश डब्ल्यूटीओ सुधारों को गरीब और विकासशील देशों के साथ किए जा रहे विशेष और अलग व्यवहार (एऐंडडीटी) से जोड़ रहे हैं जो कि अनुचित है।
उन्होंने कहा, ‘विकसित विश्व को निश्चित तौर पर विकासशील विश्व को नीतिगत गुंजाइश देनी चाहिए जिससे कि वे अपनी अर्थव्यवस्थाओं का विकास कर सकें और इस परस्पर जुड़े विश्व में अरबों लोगों की जरूरतों को पूरा कर सकें।’
डब्ल्यूटीओ के अंतर्गत एसऐंडडीटी प्रावधान विकासशील और गरीब देशों को कुछ निश्चित लाभ लेने की अनुमति प्रदान करता है जिसमें समझौतों को लागू करने और प्रतिबद्घताओं को पूरा करने के लिए लंबा समय लेना और उनके लिए व्यापार के अवसर बढ़ाने वाले उपाय करना शामिल है। फिलहाल डब्ल्यूटीओ का कोई भी सदस्य देश अपने को विकासशील देश के तौर पर दिखा सकता है और इन लाभों को हासिल कर सकता है।
एक ओर जहां अमेरिका ने डब्ल्यूटीओ को भेजे गए अपने सुझावों में कहा है कि स्व-घोषणा से डब्ल्यूटीओ विफल चर्चाओं के पथ पर चला गया है वहीं भारत का मानना है कि डब्ल्यूटीओ में इस मामले में व्यापक स्तर पर चर्चा होनी चाहिए और एसऐंडडीटी पर आम राय पर आधारित निर्णय लेने की जरूरत है।
गोयल ने कहा, ‘मुझे लगता है कि डब्ल्यूटीओ जिस प्रकार से अपने मामलों का संचालन कर रहा है उसका दोबारा से आकलन करने की आवश्यकता है। समस्या यह है कि विकसित विश्व सुधारों के साथ शुरू करता है और इसे इस बात से जोड़ता है कि क्या एसऐंडडीटी को जारी रखा जाना चाहिए या नहीं। यह एक ऐसी सुविधा है जो कम विकसित और विकासशील देशों को मुहैया कराई गई है। मुझे लगता है कि विकसित विश्व का यह रुख अनुचित है।’
किस देश को विकासशील और किसे विकसित देश समझा जाए इस बारे में चर्चा हो सकती है। बिना किसी देश का नाम लिए उन्होंने कहा कि कम प्रति व्यक्ति आय वाले देशों को कुछ विशिष्ट सुविधाओं से वंचित करना और उन्हें 60,000 डॉलर से 80,000 डॉलर प्रति व्यक्ति आय वाले देशों के समकक्ष रख देना बेहद अनुचित है।
मंत्री ने यह भी कहा कि भारत के लिए जरूरी है कि वह अन्य देशों से दूसरे उत्पादों के लिए बाजारों को खोले और विश्व के साथ परिवहन तथा ईमानदार कारोबारी तरीके से मेलजोल बढ़ाए। साथ में एजेंसियां