भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अमेरिकी टैरिफ का असर घरेलू आर्थिक वृद्धि पर पड़ने की स्थिति में नीतिगत कदम उठाएगा। बुधवार से प्रभावी होने जा रहे 50 फीसदी अमेरिकी टैरिफ पर प्रतिक्रिया देते हुए आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा (RBI Governor Sanjay Malhotra) ने सोमवार को यह बात कही।
FICCI-IBA वार्षिक बैंकिंग कॉन्क्लेव में मल्होत्रा ने कहा, “हमने बैंकिंग सेक्टर को पर्याप्त लिक्विडिटी उपलब्ध कराई है और जो भी और जरूरत होगी, वह हम देंगे ताकि अर्थव्यवस्था की वृद्धि को समर्थन मिले, विशेष रूप से उन सेक्टरों को जो ज्यादा प्रभावित होंगे। अगर ऐसी स्थिति आई, तो हम अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटेंगे।” उन्होंने कहा कि अनिश्चितताओं के बीच महंगाई को नियंत्रित करने के साथ-साथ ग्रोथ पर भी आरबीआई की नजर बनी हुई है।
केंद्रीय बैंक की छह सदस्यीय एमपीसी ने फरवरी से जून के बीच पॉलिसी रेपो रेट में 100 आधार अंकों (bps) की कटौती की थी। अगस्त की पॉलिसी में इसे 5.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा गया।
गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि अप्रैल की पॉलिसी समीक्षा में FY26 के लिए GDP ग्रोथ अनुमान घटाकर 6.5 फीसदी कर दिया गया था, जब अमेरिका ने 26 फीसदी टैरिफ का प्रस्ताव रखा था। इसके बाद डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन ने रूस से तेल आयात करने को लेकर भारत पर अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ लगा दिया।
गवर्नर ने कहा कि टैरिफ का मोटे तौर पर असर न्यूनतम रहेगा, लेकिन जेम्स और ज्वेलरी, टेक्सटाइल्स, परिधान, MSME जैसे क्षेत्रों पर संभावित असर हो सकता है।
उन्होंने यह भी कहा, “सरकार मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) पर काम कर रही है, जिनमें से कुछ काफी समय से प्रगति पर हैं। वहीं, रिजर्व बैंक की ओर से, जैसा कि आप जानते हैं, हम ईजिंग साइकिल में हैं। हमने रेपो रेट में 100 bps की कमी की है।”