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रेलवे का ‘नेट जीरो’ का लक्ष्य विद्युतीकरण, सौर ऊर्जा पर निर्भर

Last Updated- December 11, 2022 | 11:47 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सीओपी26 सम्मेलन में संबोधन से एक बार फिर भारतीय रेलवे का नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य केंद्र में आ गया है।  
मोदी ने सीओपी26 में कहा, ‘भारत में हर साल रेल से जितने लोग यात्रा करते हैं, वह विश्व की पूरी आबादी से भी ज्यादा है। रेलवे की बड़े नेटवर्क ने खुद ही 2030 तक नेट जीरो का लक्ष्य तय किया है। इस पहल से सालाना 6 करोड़ टन उत्सर्जन कम होगा।’
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने जुलाई, 2020 में यह लक्ष्य रखा था, जब उन्होंने रेलवे की खाली पड़ी जमीन पर सौर बिजली उत्पादन संयंत्र विकसित करने की योजना प्रस्तुत की थी। यह लक्ष्य भारत के राष्ट्रीय स्तर पर तय योगदान (आईएनडीसी) के लक्ष्यों के मुताबिक था, जिसके लिए सीओपी 23 में प्रतिबद्धता जताई गई थी।
उसके बाद अगस्त, 2020 में गोयल ने बैठक का आयोजन किया और संभावित बिजली खरीद मार्गों पर चर्चा की, जिससे 20 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा का लक्ष्य हासिल किया जा सके। भारतीय रेलवे ने 2030 तक नेट जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य तय किया। रेलवे की खाली पड़ी जमीनों पर 3 गीगावॉट क्षमता के अक्षय ऊर्जा संयंत्र लगाने  और रेलवे ट्रैक से सटी जमीनों पर संयंत्र लगाने की योजना बहुत गति नहीं पकड़ पाई।
आस्कहाऊइंडिया डॉट ओआरजी के सह संस्थापक और बुनियादी ढांचा विशेषज्ञ मनीष अग्रवाल ने कहा कि रेलवे का नेट जीरो का लक्ष्य हाइड्रोजन और बड़े पैमाने पर भंडारण (बिजली) की क्षमता होने पर व्याहारिक हो सकेगा। कार्बन कैप्चर टेक्नोलॉजी, जिसमें उपकरण बिजली संयंत्र पर लगाते हैं, जिससे कार्बन एकत्र किया जा सके और उसके बाद उसका भंडारण हो सके, यह भी भारतीय रेलवे के लिए एक विकल्प है।
अग्रवाल ने कहा, ‘लेकिन इन तकनीकों में से प्रत्येक से बिजली की लागत 5 से 20 गुना बढ़ जाएगी। ऐसे में यह भारतीय रेलवे की सक्षमता पर निर्भर होगा कि वह कितना भुगतान कर सकती है, जिससे तकनीकों का इस्तेमाल हो सके। यह तब तक करना होगा, जब तक तेजी से तकनीक की लागत कम न हो जाए।’
अगस्त, 2021 में इंडियन रेलवे ऑर्गेनाइजेशन आफ अल्टरनेटिव फ्यूल (आईआरओएएफ) ने रेल नेटवर्क के लिए हाइड्रोजन ईंधन सेल आधारित ट्रेन के लिए बोली आमंत्रित की थी। इस परियोजना से हाइड्रोजन मोबिलटी की अवधारणा को गति मिली। लेकिन आईआरओएएफ सितंबर, 2021 में बंद कर दिया गया, जिससे रेलवे की धारणा की गंभीरता को लेकर सवाल खड़े हुए हैं।

First Published - November 2, 2021 | 11:20 PM IST

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