कोविड-19 का टीका जल्द मिलने की उम्मीद जताई जा रही है लेकिन इसके लिए एक सक्षम कोल्ड चेन तैयार करने का काम काफ ी चुनौतीपूर्ण है। सामुदायिक कोल्ड चेन नेटवर्क से विचार लेते हुए कृषि और मेडिकल कोल्ड चेन को जहां तक संभव हो जोडऩे के लिए विचार-विमर्श चल रहा है। विभिन्न प्रौद्योगिकी मंचों का इस्तेमाल करवैश्विक स्तर पर कुछ सौ टीके तैयार किए जा रहे हैं। कुछ टीकों का परीक्षण आखिरी चरण में है और यह 2021 की शुरुआत में बाजार में आ सकता है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा टीका निर्माता है।
हालांकि उद्योग के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि देश में मौजूदा कोल्ड चेन के जरिये सिर्फ 20-25 फ ीसदी आबादी को ही सेवाएं दी जा सकती हैं, अगर उन्हें एक बार टीका लगाया जाएगा। जीएवी और वैक्सीन निर्माताओं (जैसे कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया) जैसे वैश्विक गठजोड़ के साथ काम कर रहे एक सलाहकारी संगठन के वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘हमारे देश में मौजूद कोल्ड चेन नेटवर्क 20-25 प्रतिशत आबादी को टीका लगाने की सेवाएं देने में सक्षम होंगे। हमें कभी भी देश की पूरी आबादी को एक बार में टीका लगाने की जरूरत नहीं पड़ी। विभिन्न देशों में राष्ट्रीय स्तर के टीकाकरण कार्यक्रम के तहत आमतौर पर बाल टीकाकरण ही कराया जाता है।’
ऐसे में आखिर अब किन संभावित समाधानों पर चर्चा की जा रही है। टीके से जुड़ी विशेषज्ञ समिति ने कोल्ड चेन लॉजिस्टिक्स और नए मॉडलों पर विचार-विमर्श शुरू किया है जिसे अपनाने की जरूरत हो सकती है। इसी विचार- विमर्श पर आधारित श्वेत पत्र को जल्द ही जमा किया जाएगा और इस पर काम कर रहे एक सलाहकार ने बताया, ‘संयुक्त कोल्ड चेन के एक मॉडल पर विचार किया जा रहा है जहां कृषि कोल्ड चेन (डेरी, मछली, पोल्ट्री के लिए) को जहां भी संभव हो टीका कोल्ड चेन के साथ जोड़ दिया जाएगा।’ हालांकि इस दृष्टिकोण की भी अपनी सीमाएं हैं। अगर टीकों को स्थिरता के लिए शून्य से भी कम तापमान की आवश्यकता नहीं होगी तब कृषि और टीका कोल्ड चेन को जोड़ा जा सकता है। दुनिया भर में लगभग सात विभिन्न प्रौद्योगिकी मंचों पर 250 टीकों पर काम चल रहा है। कोल्ड चेन में तापमान की आवश्यकता 2.8 डिग्री सेल्सियस से -70 डिग्री तक की होती है।
वहीं दूसरा सुझाव यह है कि सामुदायिक कोल्ड चेन हो जिसका स्वामित्व लेकर समुदायों द्वारा चलाया जाएगा विशेष रूप से देश के सुदूर इलाकों में। उद्योग के एक सूत्र ने कहा कि अगर समुदाय जरूरी बुनियादी ढांचा नहीं खरीद सकता है तो सरकार या अन्य गैर-लाभकारी संगठन (एनजीओ) इन्हें किराये पर दे सकते हैं। टीका निर्माताओं ने पहले ही अपने मौजूदा साझेदारों के साथ बातचीत करना शुरू कर दिया है। पश्चिम भारत में एक टीका निर्माता का कहना है, ‘हम आमतौर पर वैश्विक खरीद एजेंसियों और भारत सरकार को भी टीके की आपूर्ति करते हैं। वैकल्पिक टीकों के लिए उन्हें निजी बाजार में भेजा जाता है। सरकार के पास पहले से ही बड़े पैमाने पर टीकाकरण के लिए एक बड़ी कोल्ड चेन मौजूद है। हम एजेंसियों के साथ कोविड-19 के लिए संभावित जरूरतों पर चर्चा कर रहे हैं।’
2014 के बाद से ही यूएनडीपी ने सरकार के सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम का समर्थन करते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ साझेदारी की है। इस साझेदारी को टीका गठजोड़ जीएवी का भी समर्थन हासिल है। अच्छी बात यह है कि भारत ने कुछ साल पहले एक इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क (ईवीआईएन) का विकास कर इसकी पेशकश शुरू की थी। यह मूल रूप से देश में प्रतिरोधक आपूर्ति शृंखला को मजबूत करने और टीके की आपूर्ति, इस्तेमाल, भंडार आदि के प्रबंधन के लिए भी काम करता है। सरकार बड़े पैमाने पर ईवीआईएन का फायदा उठाने की योजना बना रही है। यह व्यवस्था अब तक 32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों तक पहुंच चुकी है और इसे जल्द ही देश के बाकी हिस्सों में लागू किया जाएगा। फि लहाल देश के 22 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेश के 585 जिलों के 23,507 कोल्ड चेन नियमित रूप से ईवीआईएन प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हैं और 41,420 से अधिक टीका कोल्ड चेन से जुड़े लोगों को ईवीआईएन पर प्रशिक्षण देकर डिजिटल रिकॉर्ड से वाकिफ कराया गया है। भंडारण में टीकों की सटीक तापमान समीक्षा के लिए टीका कोल्ड चेन उपकरणों पर लगभग 23,900 इलेक्ट्रॉनिक तापमान लॉगर्स को इन्स्टॉल किया गया है ।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘ईवीआईएन कोविड19 टीके की डिलीवरी के लिए बहुत अहम होगा। यह हमें कोल्ड चेन तापमान, टीके के भंडार, राज्य कार्यालयों से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों आदि के लिए डिस्पैच की वास्तविक जानकारी देने में सक्षम बनाएगा।’ यूरोपियन फ ार्मास्युटिकल रिव्यू के मुताबिक, भारत में शक्ति सस्टेनेबल एनर्जी फ ाउंडेशन के साथ बर्मिंघम यूनिवर्सिटी और हेरियट-वाट यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने तापमान के लिहाज से संवेदनशील कोविड-19 टीके के वितरण में आने वाली चुनौतियों पर काम शुरू कर दिया है।
दरअसल, ग्लोबल एलायंस फ ॉर वैक्सीन ऐंड इम्युनाइजेशन (जीएवीआई) का अनुमान है कि गरीब देशों में केवल 10 फीसदी स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में ही विश्वसनीय बिजली की आपूर्ति है। वहीं विकासशील देशों में 5 प्रतिशत से भी कम स्वास्थ्य केंद्रों में टीके योग्य रेफ्रिजरेटर है। इसी वजह से वैज्ञानिक ऑफ ग्रिड कोल्ड चेन उपकरण तैयार करने पर काम कर रहे हैं। लॉजिस्टिक्स क्षेत्र की कंपनी डीएचएल ने एक श्वेत पत्र में कहा, ‘महामारी की तात्कालिकता को देखते हुए लंबी दूरी के लिए हवाई मार्ग के जरिये टीके की ढुलाई होगी। अगले दो वर्षों तक वैश्विक कवरेज सुनिश्चित करने के लिए 15,000 उड़ान और जहाज से माल वितरण करने वाले दो लाख लोगों की जरूरत होगी। कुछ जगहों पर तापमान की स्थितियां ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं।’