सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के कोविशील्ड टीका परीक्षण के खिलाफ उसे कानूनी नोटिस भेजने वाले चेन्नई के वॉलंटियर ने अदालत जाने का फैसला किया है। इससे पहले उन्होंने पांच करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग करते हुए कानूनी नोटिस भेजा था और आरोप लगाया था कि उन्हें उस कोविशील्ड के टीके की पहली खुराक लेने के बाद तंत्रिका संबंधी गंभीर परेशानी हो गई जिसके लिए एसआईआई भारतीय विनियामक से विपणन अधिकार की मांग कर रही है।
इस वॉलंटियर के परिवार के वकीलों में से एक आर राजाराम ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि वह समादेश याचिका तैयार कर रहे हैं और अगले कुछ ही दिनों में अदालत जाएंगे। उन्होंने सरकार और आईसीएमआर से इस टीके के विनिर्माण और वितरण के लिए कोई मंजूरी नहीं देने की मांग की है।
राजाराम ने कहा कि वह (वॉलंटियर) टीका लिए जाने तक स्वस्थ थे। सारी दिक्कतें उनके टीका लेने के बाद ही शुरू हुईं। हम चाहते हैं कि वे (सीरम) अपने सभी दावे और यह साबित करें कि इसका आपस में कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि सीरम के वकील चाहते थे कि उनका मुवक्किल कानूनी नोटिस वापस ले ले जिसके बाद वे भी ऐसा ही करेंगे। लेकिन उनके मुवक्किल ने ऐसा नहीं करने का फैसला किया है। रॉ ऐंड रेड्डी के वकील एनजीआर प्रसाद का कहना है कि हमारा मुवक्किल इस टीके के दुष्प्रभावों के कारण पीडि़त है। उसे अपने कष्टों के लिए हर्जाना दिया जाना चाहिए है। इस कोविशील्ड टीके के बुरे असर पर आगे एक विस्तृत जांच की जानी चाहिए।
इस बीच वॉलंटियर ने शहर स्थित श्री रामचंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ हायर एजुकेशन ऐंड रिसर्च (जिसे पहले श्री रामचंद्र मेडिकल कॉलेज ऐंड रिसर्च इंस्टीट्यूट या एसआरएमसी कहा जाता था) और अस्पताल को अपना सारा चिकित्सा संबंधी रिकॉर्ड लौटाने को कहा है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के नियमों के अनुसार कोई मरीज अपने पूरे मेडिकल रिकॉर्ड की प्रतियों का हकदार होता है।
राजाराम ने कहा कि अस्पताल ने वॉलंटियर को समीक्षा के लिए बुलाया है। हमने अस्पताल को समीक्षा का उद्देश्य बनाने के लिए कहा है। इसके जवाब के आधार पर वॉलंटियर समीक्षा के लिए जाएगा। उनका दावा है कि वॉलंटियर की हालत में ज्यादा सुधार नहीं हुआ है और अब भी वह ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहा है। यह वॉलंटियर चेन्नई स्थित कारोबारी परामर्शदाता हैं और उन्होंने ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित कोविड-19 के टीका परीक्षण के लिए श्री रामचंद्र इंस्टीट्यूट में मानव परीक्षण के तीसरे चरण के लिए वॉलंटियर के रूप में हिस्सा लिया था।
