भारत ने 2011 की जनगणना की तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस सर्वे में लाखों की संख्या में स्वयंसेवी काम करते हैं।
इसका सीधा असर सरकार की नीतियों पर पड़ता है और पता चलता है कि बढ़ती हुई जनसंख्या किस तरह से देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है।
केंद्रीय गृहमंत्री शिवराज पाटिल ने देश में जनगणना प्रक्रिया पूरी होने के बाद जनगणना आंकडे ज़ारी होने में चार से आठ साल लग जाने का जिक्र करते हुए कहा कि इस बात का हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए कि यह कार्य दो से तीन साल में पूरा हो जाए। गृहमंत्री आज यहां जनगणना-2011 के लिए आंकडे इस्तेमाल करने वालों के दो दवसीय सम्मेलन का उद्धाटन कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि इस बात के प्रयास किए जाने चाहिए कि 2011 की जनगणना प्रक्रिया पूरी होने के बाद दो से तीन साल के अंदर इसके आंकडे जारी कर दिए जाएं। पाटिल ने कहा कि यह काम समय पर पूरा करने के लिए जरूरी है कि प्रौद्योगिकी का प्रयोग न केवल आंकडे एकत्र करते समय और आंकडे इस्तेमाल करते समय किया जाए बल्कि जनगणना योजना बनाने और वास्तविक जनगणना कार्यो में इसका उपयोग होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जनगणना-1991 की प्रक्रिया पूरी होने के बाद उसके आंकडे जारी होने में आठ साल लग गए थे और उसके बाद जनगणना-2001 के आंकडे जारी होने में केवल चार-पांच साल लगे।गृहमंत्री ने कहा कि वर्ष-2011 तक देश की आबादी करीबन एक अरब 20 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है।