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होटल को अस्पताल बनाने में व्यावहारिक चुनौतियां

Last Updated- December 15, 2022 | 12:33 PM IST

होटल मालिकों का कहना है कि नई दिल्ली में कोरोनोवायरस महामारी के बढ़ते मामलों के मद्देनजर होटलों द्वारा अस्पताल की सेवा देने के तौर पर विस्तार करने के लिए राज्य सरकार द्वारा हाल ही में एक आदेश लागू किया गया है लेकिन ऐसा करना, आदेश देने के मुकाबले काफी चुनौतीपूर्ण काम है और उद्योग चिकित्सा सुविधाओं तथा बिस्तरों की कमी से जुड़ी चुनौतियों से जूझने में अपनी ओर से काफी प्रयास कर रहा है।
मंगलवार को सरकार ने दिल्ली स्थित होटलों को आपदा प्रबंधन कानून के तहत नोटिस भेजकर कहा कि उन्हें अस्पतालों से जोड़ा जाना चाहिए और संक्रमण के लक्षणों तथा क्वारंटीन किए जाने वाले रोगियों के लिए तैयार रहना चाहिए। अभी तक, नई दिल्ली स्थित ताज मानसिंह होटल को सर गंगा राम अस्पताल को सुविधाएं देने का नोटिस मिल चुका है। इस सूची में आईटीसी द्वारा संचालित होटल शेरेटन (मैक्स स्मार्ट), होटल क्राउन प्लाजा (बत्रा अस्पताल), होटल सूर्या (इंद्रप्रस्थ अपोलो), होटल सिद्धार्थ (बीएल कपूर अस्पताल) और होटल जीवितेश (सर गंगा राम) भी शामिल हैं।
द हयात होटल शृंखला को नई दिल्ली में कई स्थानों के लिए नोटिस प्राप्त हुए हैं, लेकिन अभी तक किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया गया है। एनसीआर क्षेत्र के लगभग 40 होटलों को इस तरह के नोटिस मिले हैं लेकिन अभी तक इन्हें भी अस्पतालों में नहीं बदला गया है।
एकॉर होटल्स के एक प्रवक्ता ने टिप्पणी से इनकार कर दिया। मैरियट इंटरनैशनल ने खबर छापे जाने तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। ओबेरॉय ग्रुप ने भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
हाल ही में एक आर्थिक समाचारपत्र को दिए साक्षात्कार में एक शीर्ष अधिकारी ने अपने एक होटल ब्रांड को अस्पताल में बदलने की दिल्ली सरकार की योजना पर नाराजगी व्यक्त की, क्योंकि होटल अस्पताल बनने के लिए डिजाइन नहीं किए गए थे। उन्होंने कहा कि कई अन्य राज्यों ने उन्हें वंदे भारत मिशन के एक हिस्से के रूप में क्वारंटीन सेंटर के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए संपर्क किया था, लेकिन अस्पताल के रूप में उपयोग करने के लिए नहीं। दुनिया भर में एकॉर के नेटवर्क के किसी अन्य होटल को कोविड केंद्र में नहीं बदला जा रहा है।
आईएचसीएल के एक प्रवक्ता ने कहा कि वे चिकित्सा समुदाय के साथ काम कर रहे हैं ताकि महामारी के खिलाफ लड़ाई में उनका समर्थन किया जा सके और चिकित्सा कर्मियों को होटलों में रहने से लेकर भोजन उपलब्ध कराने का प्रबंध किया जाए। प्रवक्ता ने कहा, ‘हमने होटल को क्वारंटीन सुविधा केंद्र के तौर पर सेवा देने के लिए देश भर में सरकारों के साथ सहयोग किया। हालांकि दिल्ली स्थित ताजमहल होटल में लॉकडाउन से पहले ही नवीनीकरण का काम शुरू कर दिया गया था जिसके कारण इससे संबंधित अधिसूचना पर अमल करना और इसे मरीजों तथा चिकित्सकों के लिए नहीं ढाला जा सकता। ढालना अनुपयुक्त है। आईएचसीएल महामारी से लडऩे के लिए चिकित्सा समुदाय तथा सरकारी निकायों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है और इस चुनौतीपूर्ण समय में उनका सहयोग करना जारी रहेगा।’ आईटीसी होटल्स के पूर्व सीईओ तथा पर्यटन पर सीआईआई की राष्ट्रीय समिति के सलाहकार दीपक हक्सर ने कहा, ‘हमने गृह मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के बाद सरकार को एक विस्तृत नोट भेजा था जिसमें कहा गया था कि हमने दिल्ली सरकार को होटल खोलने की अनुमति देने की आवश्यकता महसूस की लेकिन होटल को अस्पतालों से जोड़े रखने और परिचालन से पूरी तरह दूर रखने का अर्थ होगा, गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक लगाना।’ हक्सर ने कहा कि सूर्या होटल मामले में अदालत के फैसले के अनुसार लक्षण विहीन तथा शुरुआती चरण के रोगियों के लिए होटल उपयोग की अनुमति है लेकिन इसे लेकर कई तरह की अस्पष्टताएं हैं।
उन्होंने फाइव स्टार होटलों के लिए 5,000 रुपये की अधिकतम सीमा तय की है जिसमें खाना तथा जीएसटी शामिल है और होटलों के लिए काफी अनुचित है। आदेश के अनुसार, तीन तथा चार सितारा होटलों के लिए यह सीमा 4,000 रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। वह कहते हैं कि जीएसटी पर कोई स्पष्टता नहीं है और जिन कमरों का उपयोग किया जाना है, उनके बिल सीधे अस्पतालों द्वारा भुगतान किए जाएंगे और अस्पतालों को बीमे की रकम से भुगतान होगा। इसका अर्थ है, भुगतान में देरी।
हक्सर कहते हैं, ‘पीपीई, बायोमेडिकल सिस्टम और कर्मचारियों के प्रशिक्षण के लिए भुगतान कौन करेगा, इसे लेकर भी स्पष्टता की आवश्यकता है?’ उन्होंने अस्पतालों से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित होटलों के चयन पर भी सवाल उठाए।
सरोवर होटल्स ऐंड रिसॉट्र्स के प्रबंध निदेशक अजय बकाया ने कहा कि अस्पताल होटल की ओर से स्वयं फीस लेते हैं और अपनी सुविधानुसार होटलों का भुगतान करते हैं। उन्होंने कहा, ‘हमें अपनी फीस स्वयं लेने की अनुमति दी जानी चाहिए। हम अस्पतालों के पीछे क्यों भागें। अगर हम अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए तैयार हैं तो हमें इन परिस्थितियों को संभालने के लिए सवालों के व्यावहारिक उत्तर चाहिए।’
दो सरोवर होटलों का उपयोग स्वास्थ्य सुविधाओं के रूप में किया जाएगा। एक का परीक्षण केंद्र के रूप में तो वहीं दूसरे को एक अस्पताल से जोडऩे का नोटिस मिला है। उन्होंने कहा, ‘हमें कोई समस्या नहीं है क्योंकि यह महामारी का समय है और आज की जरूरत है। कुछ व्यावहारिक चुनौतियों के संबंध में इस मुद्दे को उठाया गया है। होटल के कर्मचारियों को प्रशिक्षित किए बिना वे मरीजों के साथ बातचीत नहीं कर सकते। साथ ही, इनमें से कई कर्मी अस्पतालों के साथ काम करने से हिचकते हैं। इसलिए कर्मचारियों की कमी को अस्पतालों द्वारा पूरा किया जाना चाहिए।’
हालांकि अन्य राज्य सरकारों से बातचीत करने का होटल शृंखलाओं का अनुभव काफी सुगम रहा है। फन्र्स होटल्स ऐंड रिसॉट्र्स के मुख्य परिचालन अधिकारी सुहैल कलामपल्ली ने कहा कि कंपनी का अहमदाबाद स्थित होटल हल्के लक्षणों वाले कोविड मरीजों के लिए देखभाल केंद्र के तौर पर काम कर रहा है। उन्होंने बताया, ‘मरीज अपने लिए स्वयं भुगतान करते हैं और हमें सीधे जमा राशि लेने की अनुमति है।’ हक्सर बताते हैं कि अस्पतालों के लिए बैकअप के रूप में सेवा देने के संभावित विकल्पों के तौर पर स्पोट्र्स फैसिलिटी तथा बड़े स्टेडियम बेहतर होंगे, जहां जर्मन शैली के अनुसार हजारों बिस्तरों तथा वेंटिलेशन सुविधा के साथ चिकित्सा सुविधाएं स्थापित करने में एक सप्ताह से ज्यादा का समय नहीं लगेगा।

First Published - June 18, 2020 | 10:33 PM IST

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