facebookmetapixel
बारिश-बाढ़ से दिल्ली में सब्जियों के दाम 34% तक बढ़े, आगे और महंगाई का डरपब्लिक सेक्टर बैंकों को टेक्नोलॉजी और इनोवेशन पर करना होगा फोकस: SBI चेयरमैन शेट्टीGST 2.0: फाडा ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, कंपनसेशन सेस क्रेडिट अटका तो होगा 2,500 करोड़ का नुकसानप्रीमियम स्कूटर बाजार में TVS का बड़ा दांव, Ntorq 150 के लिए ₹100 करोड़ का निवेशGDP से पिछड़ रहा कॉरपोरेट जगत, लगातार 9 तिमाहियों से रेवेन्यू ग्रोथ कमजोरहितधारकों की सहायता के लिए UPI लेनदेन पर संतुलित हो एमडीआरः एमेजॉनAGR बकाया विवाद: वोडाफोन-आइडिया ने नई डिमांड के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख कियाअमेरिका का आउटसोर्सिंग पर 25% टैक्स का प्रस्ताव, भारतीय IT कंपनियां और GCC इंडस्ट्री पर बड़ा खतरासिटी बैंक के साउथ एशिया हेड अमोल गुप्ते का दावा, 10 से 12 अरब डॉलर के आएंगे आईपीओNepal GenZ protests: नेपाल में राजनीतिक संकट गहराया, बड़े प्रदर्शन के बीच पीएम ओली ने दिया इस्तीफा

‘खर्च के लिए पैन-आधार की अनिवार्यता व्यावहारिक नहीं’

Last Updated- December 12, 2022 | 5:00 AM IST

कोविड उपचार के लिए नकद भुगतान करने पर मरीज और भुगतानकर्ता दोनों के स्थायी खाता संख्या (पैन) या आधार संख्या भरने की आयकर विभाग के शर्त की उद्योग से जुड़े लोगों ने भारी आलोचना की है। विशेषज्ञों के मुताबिक यदि छूट बिना किसी चेतावनी और लंबी अवधि के लिए दी गई होती तो ज्यादा अच्छा होता।
शुक्रवार को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने अस्पतालों, नर्सिंग होम, कोविड केयर सेंटरों या इसी तरह के अन्य चिकित्सा प्रतिष्ठानों को कहा था कि वे 31 मई तक कोरोनावायरस के उपचार के लिए दो लाख रुपये या उससे अधिक की नकद राशि स्वीकार कर सकते हैं जिसके लिए उन्हें मरीज और भुगतानकर्ता दोनों से पैन या आधार जैसे किसी वैध पहचान साक्ष्य हासिल करना होगा और उनके बीच के संबंध की जानकारी रखनी होगी।
फिलहाल आयकर अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति किसी भी व्यक्ति से एक बार में या किसी एक काम या अवसर के लिए किसी एक व्यक्ति से 2 लाख रुपये या उससे अधिक की नकद राशि प्राप्त नहीं कर सकता है। इसका उल्लंघन होने पर नकद ली गई राशि के बराबर जुर्माना लगाने का प्रावधान है। कर विभाग का मानना है कि छूट देने से मरीज को समय पर उपचार करने में मदद मिलेगी और नकद प्राप्ति पर अस्पतालों को पारदर्शी तरीके से बिल बनाने का भी प्रोत्साहन मिलेगा।
वहीं कर विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की चेतावनियों से गंभीर मरीजों की नकद राशि से मदद करने से लोग हिचकेंगे क्योंकि उन्हें बाद में कर विभाग की ओर से जांच का सामना करने का डर सताएगा। आदेश के तहत लोगों को अस्पताल का बिल नकद चुकाने की अनुमति दी गई है लेकिन यदि आगे चलकर आय भुगतानकर्ता के आय के रिटर्न से मेल नहीं खाता है तो उन्हें इसका स्रोत बताना पड़ सकता है। साथ ही इससे संदेह की स्थिति उत्पन्न हो सकती है क्योंकि ऐसे मामले भी हो सकते हैं जहां एक नहीं बल्कि कई संबंधी एक मरीज के उपचार के लिए योगदान कर रहे होंगे। इसके अलावा आदेश में विदेश से मिलने वाली
मदद के बारे में स्पष्टीकरण नहीं दिया गया।
खेतान ऐंड कंपनी के प्रत्यक्ष कर पार्टनर संजय सांघवी ने कहा, ‘एक ओर जहां सीबीडीटी की ओर से दी गई यह छूट निश्चित तौर पर सकारात्मक है वहीं इस मुश्किल और अप्रत्याशित समय पर कम से कम 5 लाख रुपये तक के खर्च पर यदि पैन-आधार की जानकारी देने की जरूरत नहीं होती तो यह ज्यादा अच्छा और अधिक व्यवहारिक होता। साथ ही इस छूट को छह महीने के लिए नहीं बल्कि केवल अप्रैल और मई दो महीनों के लिए ही सीमित क्यों रखा गया है? एक ओर जहां सीबीडीटी का यह कदम निश्चित तौर पर एक अच्छा संकेत है वहीं यदि उक्त बिंदुओं को यदि इसमें शामिल किया जाता तो यह कहीं अधिक प्रभावी और विचारणीय होता।’
दिल्ली स्थित वकील विवेक शर्मा ने कहा, ‘अप्रैल और मई 2021 के दौरान कोविड उपचार के लिए अस्पतालों और अन्य प्रतिष्ठानों को दो लाख से अधिक नकद राशि स्वीकार करने की अनुमति वाली छूट एक स्वागतयोग्य कदम है। हालांकि, मरीज/भुगतानकर्ता को इसके लिए पैन/आधार की जानकारी देने वाली शर्त से कर विभाग को बचना चाहिए था। मौजूदा समय में महामारी के पैमाने को देखते हुए पूर्ण दृढ़ता और कानून से संबंधी शून्य शर्त की जरूरत है।’ 

First Published - May 10, 2021 | 12:01 AM IST

संबंधित पोस्ट