नीट-जेईई, शिक्षा नीति पर विपक्ष मुखर

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 2:58 AM IST

कांग्रेस में कुछ सदस्यों द्वारा पार्टी में सक्रिय नेतृत्व की जरूरत पर जोर देने को लेकर शिकायत करने के कुछ दिन बाद पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक मंच पर विपक्षी दलों के सात मुख्यमंत्रियों के साथ एक बैठक की और केंद्र पर आरोप लगाया कि वह राज्य सरकारों की चिंताओं के प्रति संवेदनशील नहीं है। विपक्षी दलों के मुख्यमंत्री, नीट और जेईई परीक्षाओं को निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आयोजित करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश के खिलाफ  पुनर्विचार याचिका दायर कर सकते हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि केंद्र इस तरह की परीक्षाओं के आयोजन से होने वाले स्वास्थ्य संकट को लेकर चिंतित नहीं है। ये परीक्षाएं सितंबर में होने वाली हैं।
मुख्यमंत्रियों ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) मुआवजा रोके जाने के लिए भी केंद्र के प्रति अपना रोष जताया। पंजाब, पुदुच्चेरी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे कांग्रेस शासित राज्यों के प्रतिनिधि तो मौजूद ही थे लेकिन दिलचस्प बात यह थी कि सोनिया पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी इस बैठक में शामिल करने में कामयाब रहीं। पिछले दिनों तक कांग्रेस से निमंत्रण मिलने के बावजूद ममता ऐसी बैठकों में शामिल नहीं हुई थीं। वाममोर्चे की सरकार का नेतृत्व करने वाले केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस की आलोचना करते हैं और वह आमंत्रित किए जाने के बावजूद इस बैठक में शामिल नहीं हुए जिस पर शायद ही किसी को हैरानी हुई हो। हालांकि इस बैठक में उठाए गए कई मुद्दों पर केरल ने अपनी सहमति जताई है। ऐसा ही दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) केप्रमुख अरविंद केजरीवाल ने भी किया। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी बैठक में शामिल हुए। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इस बैठक में हिस्सा नहीं लिया। वहीं तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी भी इस बैठक में शामिल नहीं हुए।

बैठक में केंद्र द्वारा कोविड-19 के प्रबंधन पर चर्चा हुई लेकिन संक्रमण के बढ़ते मामलों पर सीधी टिप्पणी से परहेज किया गया क्योंकि केंद्र ने राज्य सरकारों को इसके प्रबंधन के लिए स्वायत्तता दे दी है, ऐसे में वे खुद ही दोषी साबित होंगे। इसके बजाय, मुख्यमंत्रियों ने महामारी के इस दौर में नीट और जेईई परीक्षा आयोजित कराने के औचित्य, जीएसटी मुआवजे का मुद्दा उठाया जबकि 27 अगस्त को जीएसटी परिषद की बैठक होने वाली है।
अपने शुरुआती भाषण में सोनिया ने कहा कि महामारी के प्रबंधन की जिम्मेदारी राज्य सरकारों को दी गई लेकिन स्वास्थ्य आपातकाल जैसी स्थिति से निपटने के लिए पूंजी नहीं भेजी गई। उन्होंने कुछ दिन पहले संसद की स्थायी समिति में दिए गए वित्त सचिव के उस बयान का जिक्र किया जिसमें कहा गया था कि केंद्र, राज्यों को 14 प्रतिशत जीएसटी मुआवजा देने की स्थिति में नहीं है। सोनिया ने कहा कि यह किसी छलावे से कम नहीं है। उन्होंने नई शिक्षा नीति (एनईपी) को लेकर गंभीर चिंता जताई और कहा कि शिक्षा के सभी स्तरों पर इसका प्रभाव पड़ेगा।
उद्धव ठाकरे ने अमेरिका का उदाहरण दिया जहां स्कूल खोले जा रहे थे जिससे संक्रमण में तेजी आई। उन्होंने कहा, ‘हमें यह तय करना है कि हम सरकार से डरना चाहते हैं या लडऩा चाहते हैं। केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को चुनने वाले लोगों ने ही हम सभी को चुना। लेकिन अगर हम कुछ करते हैं तो यह पाप हो जाता है और अगर वे कुछ भी करते हैं तो यह पुण्य कैसे हो जाता है?’
उन्होंने बताया कि जहां उनका राज्य लॉकडाउन से धीरे-धीरे उबर रहा है लेकिन स्कूल बंद हैं। उद्धव ने कहा, ‘विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों को बोलना चाहिए क्योंकि केंद्र सरकार हमारी आवाज दबाने की कोशिश कर रही है। हमें यह तय करना चाहिए कि हमें केंद्र सरकार से लडऩा है या उससे डरना है।’
पुदुच्चेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणस्वामी ने कहा कि अगर प्रवेश परीक्षा की अनुमति दी जाती है तो संक्रमण का खतरा और बढ़ जाएगा। वहीं ममता ने कहा, ‘परीक्षा सितंबर में हैं। छात्रों की जान जोखिम में क्यों डाली जाए? हमने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है लेकिन कोई जवाब नहीं आया है।’ ममता का समर्थन करते हुए सोनिया ने कहा, ‘केंद्र्र, छात्रों की समस्याओं और परीक्षा के मुद्दों को बेपरवाह तरीके से निपटा रही है।’
जीएसटी मुआवजा के मुद्दे को भी इस बैठक में जोरदार ढंग से उठाया गया। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि राज्य ने महामारी के प्रबंधन में पहले ही 500 करोड़ रुपये खर्च कर दिए थे और उसे केंद्र से कोई संसाधन नहीं मिला। उन्होंने कहा, ‘पंजाब की वित्तीय स्थिति गंभीर है।’ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि पिछले चार महीने से राज्य को जीएसटी का कोई मुआवजा नहीं मिला। विपक्षी दलों ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष एक साथ यह गुजारिश करना का फैसला किया है कि परीक्षाएं आयोजित करना स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा होगा। इस बीच, कर्नाटक ने घोषणा की है कि वह कॉलेज खोल रहा है जबकि तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री के ए संगोतिया ने केंद्र सरकार से नीट और जेईई परीक्षा को रद्द करने और उनके राज्य के छात्रों के लिए इसे टालने के लिए कहा है।

First Published : August 26, 2020 | 11:03 PM IST