कोविड टीके की दो खुराक के बाद बूस्टर टीके की खुराक दी जाएगी या नहीं, इस पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए देश के प्रमुख स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान ने कहा कि ऐसी कोई योजना नहीं थी। इसके अलावा, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अब उन राज्यों से प्रक्रिया की रफ्तार बढ़ाने का आग्रह किया है जहां कई स्वास्थ्यकर्मियों को अभी तक टीके की दूसरी खुराक नहीं मिली है। मंत्रालय ने इसके लिए कोविन मंच द्वारा तैयार की गई लाइन-सूचियों का इस्तेमाल करने को कहा है।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि भारत में किए गए अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि 95 प्रतिशत से अधिक ऐंटीबॉडी (टीकाकरण के कारण बनी) एक वर्ष से अधिक समय तक बनी रहती है। भार्गव ने कहा, ‘वर्तमान में, बूस्टर की बात प्रासंगिक नहीं है। दो खुराक वाले टीके या पूर्ण टीकाकरण ही समय की मांग है। यही हमारा एजेंडा है और इसे जारी रखना होगा।’
उन्होंने आगे कहा, ‘हमने बेंगलूरु सहित भारत में कुछ अध्ययन किए हैं, जहां कुछ अस्पतालों ने देखा कि 95 प्रतिशत से अधिक ऐंटीबॉडी एक वर्ष से अधिक समय तक बनी रहती है ऐसे में बूस्टर खुराक की बात करना उचित नहीं है।’ इस बीच, लगभग 85 प्रतिशत स्वास्थ्यकर्मियों को उनकी दूसरी कोविड-19 खुराक मिल गई है। दिलचस्प बात यह है कि देश में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को टीकाकरण में प्राथमिकता देने की बात कही गई थी। इनमें से लगभग 99 प्रतिशत को टीके की पहली खुराक मिली है जबकि प्रशासन, सेना से जुड़े अग्रिम पंक्ति के 100 प्रतिशत कार्यकर्ताओं को टीके की पहली खुराक मिल चुकी है। स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि उन्होंने संबंधित राज्यों के सामने इस मामले को उठाया है जहां स्वास्थ्यकर्मियों के बीच टीके की दूसरी खुराक मिलने की दर कम है।
उन्होंने कहा, ‘कोविन में एक सुविधा है जहां उन लोगों की सूची तैयार होती है जिन्होंने अपनी दूसरी खुराक समय पर नहीं ली है। राज्यों को वे सूचियां मिल गई हैं और वे देख रहे हैं कि इन लोगों को दूसरी खुराक दी जा सके।’
टीकाकरण के संबंध में अनियमितताओं की खबरें भी आई हैं, मसलन मृत लोगों को टीके लगने के संदेश या डेटा प्रविष्टि में देरी। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन मामलों पर भी सफाई दी।
भूषण ने कहा, ‘बिहार के संबंध में देर से डेटा प्रविष्टि के आरोप लगाए गए थे। हमने इसकी जांच कराई और पाया कि यह बिल्कुल निराधार है। बिहार में औसतन एक दिन में 3.5 लाख लोगों को टीका लगाया जाता है। ऐसे में यह उम्मीद करना कि कोई एक दिन में 3.5 लाख लोगों को टीका लगाएगा और उन्हें डिजिटल प्रमाणपत्र नहीं देगा, उन्हें संदेश नहीं मिलेगा, उस डेटा को अपलोड नहीं किया जाएगा, यह पूरी तरह से सच नहीं होगा। जिस मीडिया कंपनी ने यह खबर की है हमने उससे पूछा है कि क्या वे गांवों और लोगों के विवरण साझा कर सकते हैं क्योंकि तभी हम उन दावों की जांच कर सकेंगे।’
जहां तक मृत लोगों को टीके दिए जाने का सवाल है, तो यह मामला मध्य प्रदेश में सामने आया। उन्होंने स्पष्टीकरण देते हुए कहा, ‘हमने पाया कि पंजीकरण तब किया गया था जब व्यक्ति जीवित था और जिस तारीख को उस व्यक्ति को टीका मिलना था दुर्भाग्य से उसकी मृत्यु हो गई। टीका देने वाले से उस व्यक्ति के नाम के आगे बटन दबाने में अनजाने में गलती हो गई थी। बाद में इसे ठीक कर दिया गया है।’
डेंगू के नए टीके पर काम जारी
आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कहा कि डेंगू का टीका बनाना एक महत्त्वपूर्ण एजेंडा है। उन्होंने कहा, ‘डेंगू के कई रूप के लिए भारत में विभिन्न कंपनियों को लाइसेंस दिया गया है। हम परीक्षण करने के लिए उनके साथ मिलकर काम कर रहे हैं। इनमें से कई कंपनियों ने देश के बाहर परीक्षण किया है और अब हम इन डेंगू टीकों के साथ और अधिक कड़ा परीक्षण करने की योजना बना रहे हैं।’ इस बीच, आईसीएमआर और भारत बायोटेक द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किए गए स्वदेशी टीका कोवैक्सीन के लिए आपातकालीन इस्तेमाल लाइसेंस (ईयूएल) के मामले पर भार्गव ने कहा, ‘हम जानते हैं कि वैज्ञानिक डेटाए सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी विचार और अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य आवश्यकताओं के आधार पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के द्वारा ईयूएल दिया जाता है। ये सभी आंकड़े उपलब्ध कराए गए हैं और इनके आधार पर डब्ल्यूएचओ फैसला करेगा।’
कोवैक्सीन टीके पर फैसला अक्टूबर में
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि भारत बायोटेक के कोविड-19 रोधी टीके कोवैक्सीन को आपात स्थिति में इस्तेमाल की मंजूरी देने के लिए सूचीबद्ध (ईयूएल) किए जाने के कंपनी के आग्रह पर फैसला अक्टूबर में किया जाएगा। कोवैक्सीन के आकलन की प्रक्रिया ‘जारी’ है। भारत बायोटेक ने अपने टीके के लिए 19 अप्रैल को रुचि प्रस्ताव (ईओआई) भेजा था। डब्ल्यूएचओ की वेबसाइट पर डब्ल्यूएचओ ईयूएल/पीक्यू आकलन प्रक्रिया के तहत कोविड-19 रोधी टीकों के दर्जे संबंधी 29 सितंबर के नए दस्तावेज में कहा गया है कि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन पर फैसला ‘अक्टूबर 2021’ में किया जाएगा। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि उसने टीके संबंधी आंकड़ों की समीक्षा छह जुलाई को आरंभ कर दी थी। पूर्व अर्हता के लिए डब्ल्यूएचओ से किए जाने वाले अनुरोध या आपात स्थिति में इस्तेमाल के तहत टीकों को सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया गोपनीय होती है। भाषा