जिंदल स्टील ऐंड पावर लिमिटेड ने कहा है कि वह भारतीय इस्पात प्राधिकरण (सेल) के साथ मिलकर भारतीय रेलवे की 15 लाख टन की समूची जरूरत को पूरा करने में सक्षम है और देश में विदेश से पटरी आयात करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
कंपनी ने यह ऐसे समय पर कहा है जब जेएसपीएल उच्च गति और हाई एक्सल लोड के लिए उपयुक्त उष्मा उपचारित (हीट ट्रीटेड) पटरियों को सफलतापूर्व विकसित करने वाली पहली और एकमात्र भारतीय विनिर्माता बन गई है। भारतीय रेलवे ने इस उच्च गुणवत्ता वाले 60ई1 1175 उष्मा उपचारित (एचटी) प्रति वर्ष 18,000 करोड़ टन पटरियों की आवश्यकता बताई है।
जेएसपीएल के प्रबंध निदेशक वी आर शर्मा ने कहा, ‘यदि रेलवे अंतराष्ट्रीय स्तर पर निविदा मंगाने का विकल्प चुनता है तो आपूर्ति होने में छह महीने का वक्त लग जाएगा। वहीं दूसरी ओर हम आर्डर मिलने के छह हफ्तों के भीतर आपूर्ति करते हैं। इसके अलावा हमारी पटरियां आयातित छोटी पटरियों के मुकाबले लंबी होती हैं। रेलवे की समग्र आवश्यकता करीब 15 लाख टन की है जबकि सेल के साथ जेएसपीएल की कुल क्षमता 22 लाख टन है। इसलिए हमें विदेश से थोड़ी मात्रा में भी आयात करने की आवश्यकता नहीं है।’
शर्मा का आश्वासन इसके बाद आया है जब हाल में कुछ वर्ष पहले रेलवे ने वैश्विक स्तर पर निविदा मंगाई थी। रेलवे का वह प्रयास सफल नहीं रहा था। अक्टूबर, 2017 में रेलवे ने अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए वैश्विक स्तर निविदा मंगाने का विकल्प चुना था। यह तीन दशक में रेलवे का अपनी तरह का पहला कदम था। भले ही सुमितोमो कॉर्पोरेशन, अंगंग ग्रुप इंटरनैशनल, वोस्टालपिन शिनने, ईस्ट मेटल्स, सीआरम हॉन्गकॉन्ग, ब्रिटिश स्टील, फ्रांस रेल और अटलांटिक स्टील जैसी वैश्विक स्तर की बड़ी कंपनियों ने इसमें हिस्सा लिया था लेकिन कोई भी भारत के नमूने को पूरा करने में सफलता नहीं पा सकी। इसके बाद, एक और निविदा जारी की गई थी जिसके बाद एक मात्र आर्डर जेएसपीएल को दिया गया था।
आत्मनिर्भर भारत के हिस्से के तौर अब सरकार ने भी घरेलू विनिर्माताओं को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। भारतीय रेलवे की सालाना मांग उसकी उस नीति का हिस्सा है जिसके तहत भारी लोड माल डिब्बा को चलाने के लिए वह अपनी पटरियों में सुधार करना चाहता है। फिलहाल एक डिब्बा अधिकतम 62 टन भार ढो सकता है, रेलवे इसे बढ़ाकर 75 टन करने पर काम कर रहा है। शर्मा ने कहा, ‘फिलहाल भारतीय रेलवे 880 ग्रेड की पटरियों का इस्तेमाल कर रहा है जिसे चरणबद्घ तरीके से हटाकर 1080 और 1175 ग्रेड वाली अधिक कठोर पटरियों का बिछाया जाएगा। हमने करीब आठ महीने पहले 1080 ग्रेड की आपूर्ति शुरू कर दी है। दूसरी श्रेणी पर हमने अब काम शुरू कर दिया है। इसके अलावा, एक आर-260 ग्रेड है और असममित पटरियों की आपूर्ति भी हम कर रहे हैं। अब हम रेलवे की समस्त आवश्यकता की आपूर्ति करते हैं।’
उन्होंने कहा कि पटरियों के संबंध में कंपनी की क्षमता करीब 10 लाख टन है।
