शुक्रवार को जारी लोकसभा बुलेटिन में क्रिप्टोकरेंसी पर रोक लगाने और खुद की डिजिटल करेंसी जारी करने की राह तैयार करने के भारतीय रिजर्व बैंक के प्रस्ताव से देश के क्रिप्टो समुदाय में खलबली मच गई है। अब उनमें से बहुत से लोगों का मानना है कि बिटकॉइन, इथेरियम विकेंद्रित परिसंपत्तियां हैं और इन पर बंदिश नहीं लग सकती है। स्मार्ट अनुबंध के रूप में मुद्राओं पर रोक लगाई जानी चाहिए। अगर इस पर भारत में रोक लगाई गई तो 50 से 70 लाख भारतीयों की 90,000 करोड़ रुपये मूल्य की क्रिप्टो परिसंपत्ति दांव पर होगी।
एलन मस्क और बहुत से सीईओ के अपने ट्विटर हैंडल में अपने परिचय में हैशटैग बिटकॉइन लिखने की खबरों से इस क्रिप्टो करेंसी की कीमतों में तेजी आई थी। लेकिन अब इसकी कीमतें धीरे-धीरे नीचे आने लगी हैं क्योंकि कुछ निवेशक भारत में रोक लगने के डर से क्रिप्टो करेंसी की बिक्री कर रहे हैं।
लोकसभा बुलेटिन में कहा गया है कि सरकार ने लोकसभा में पेश करने के लिए एक विधेयक ‘क्रिप्टोकरेंसी ऐंड रेग्युलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021’ सूचीबद्ध किया है। इसमें आधिकारिक डिजिटल करेंसी बनाने के लिए एक ढांचा तैयार करने का प्रस्ताव रखा गया है। यह करेंसी भारतीय रिजर्व बैंक जारी करेगा। इस विधेयक में भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर रोक लगाने की बात कही गई है। हालांकि इसमें क्रिप्टोकरेंसी और उसके उपयोग की तकनीक को प्रोत्साहन देने के लिए कुछ निश्चित अपवादों को मंजूरी दी गई है। आर्थिक मामलों के विभाग के पूर्व सचिव सुभाष गर्ग ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘मुझे इस विधेयक पर टिप्पणी के लिए इसका विवरण देखना होगा, लेकिन पिछले विधेयक में क्रिप्टो करेंसी पर रोक लगाने का प्रस्ताव रखा गया था। हालांकि उसमें क्रिप्टो को जिंसों के समान मानने की गुंजाइश छोड़ी गई थी, लेकिन इसका स्पष्ट उल्लेख नहीं था।’ लेकिन अब भी उनका यही मानना है कि भारत में करेंसी के रूप में क्रिप्टो को मंजूरी नहीं दी जानी चाहिए। पिछले और मौजूदा विधेयक में अंतर यह है कि पिछले विधेयक में क्रिप्टो करेंसी पर रोक का प्रस्ताव रखा गया था और अब सभी निजी क्रिप्टो करेंसी पर रोक लगाने का प्रस्ताव है।
क्रिप्टो एक्सचेंज और ब्लॉकचेन की रेटिंग के वैश्विक प्लेटफॉर्म क्रेबाको के संस्थापक सिद्धार्थ सोगानी ने कहा, ‘निजी करेंसी निजी संगठन या व्यक्ति जारी करते हैं, जो लेनदेन के निपटान के लिए इनका परिचालन करते हैं। बिटकॉइन कोई करेंसी नहीं है, यह एक क्रिप्टो परिसंपत्ति है क्योंकि बहुत से लोग इसका निपटान में इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने इसे करेंसी कहना शुरू कर दिया है। यह एक डिजिटल जिंस है या सबसे पहले मूल्य रखती है। बिटकॉइन विकेंद्रित है क्योंकि यह किसी व्यक्ति द्वारा नहीं बल्कि नेटवर्क द्वारा परिचालित है।’
उद्योग भागीदारों का अनुमान है कि भारत में 50 से 70 लाख क्रिप्टो उपयोगकर्ता हैं। अगर सभी क्रिप्टो पर रोक लगा दी जाएगी तो इस तंत्र में निवेश की हुई बड़ी राशि और भारतीयों के पास रखी क्रिप्टो परिसंपत्ति खतरे में पड़ जाएंगी।
हालांकि सोगानी का मानना है कि अन्य स्मार्ट अनुबंध आधारित कॉइन या करेंसी का परिचालन घोटाले हैं। सरकार को इस तंत्र में ऐसी घोटालों को उभरने से रोकने के लिए नियम बनाने चाहिए।
क्रिप्टो उद्योग के बैंकर कैशा के संस्थापक और सीईओ कुमार गौरव ने कहा, ‘क्रिप्टोकरेंसी एक वैश्विक एवं विकेंद्रित व्यवस्था है। कोई भी सरकार इस पर किसी तरह रोक नहीं लगा सकती है। इसके लिए उसी तरह की तकनीक एवं नियंत्रण की जरूरत होगी, जो तकनीकी रूप से किसी के पास नहीं है। हम समझते हैं कि भारत सरकार उन घोटालों पर प्रहार कर रही है, जो बिटकॉइन के नाम पर चल रहे हैं। ऐसे 90 फीसदी घाटालेे किसी उचित क्रिप्टोकरेंसी पर नहीं चलते हैं।’
उद्योग क्रिप्टो को लेकर सकारात्मक कदम की उम्मीद कर रहा था। निशीथ देसाई एसोसिएट्स, क्रेबाको (खेतान ऐंड कंपनी समेत) और कुछ उद्योग के अगुआओं ने प्रस्तुति दी थी और सरकार के सभी संबंधित विभागों एवं एजेंसियों को नियमन सौंपे थे। सरकार ने नियामकीय ढांचे का प्रस्ताव रखा है।
नैशनल डिजिटल एसेट एक्सचेंज के संस्थापक गौरव मेहता ने कहा, ‘निजी क्रिप्टो करेंसी पर रोक लगाने का फैसला लोगों के क्रिप्टो घोटालों को कानूनी रूप से रोकने की दिशा में एक कदम है। लेकिन बिटकॉइन, इथेरियम और अन्य विकेंद्रित करेंसी की परिभाषा में ‘निजी’ शब्द अस्पष्ट है और इसे अदालत में चुनौती दी जा सकती है।’ इस समय एनडीएएक्स सरकारी विभागों को ब्लॉकचेन फॉरेङ्क्षसक और कराधान समाधान मुहैया कराता है।