कर्नाटक सरकार देवनहल्ली एयरपोर्ट को शहरों से जोड़ने के लिए अगले तीन सालों में 3,716 करोड रुपये से अधिक के निवेश करने की योजना बना रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि रेल नेटवर्क से जुड़ने के बाद इस शहर के आसपास के यात्रियों को बहुत कम लागत पर आवागमन की सुविधा मुहैया हो जाएगा।हालांकि इस रुट को रेल से जोड देने पर समस्या का समाधान नही हो पाएगा, लेकिन वर्तमान में इसे इससे बेहतर और कुछ सोचा भी नही जा सकता है। अभी इस आवागमन का सारा भार राजमार्गो पर ही पड़ता है।
राजमार्ग से यात्रा करने पर समय भी 90 मिनट के आसपास लगता है,जबकि अगर यह सफर रेल से किया जाए तो समय की भी बचत होगी यानी रेल से यात्रा करने पर मात्र 50 मिनट में यह यात्रा पूरी की जा सकती है।लेकिन इस मुद्दे पर राज्य के नेतागण और सरकारी अधिकारी उदासीन नजर आ रहे हैं। निर्णय लेने वाली टीम केएक अधिकारी ने बताया कि इस रुट के आवागमन के लिए अगर कांट्रेक्ट दिया जाए तो इस पर 3000 करोड रुपये का खर्च आएगा,जबकि इसी काम के लिए अगर रेल को यह जिम्मा दिया जाए तो यह खर्च मात्र 100 करोड रुपये के करीब आएगा।
अभी इस नये एयरपोर्ट के 4 किलोमीटर की परिधि में दो रेलवे ट्रैक मौजूद है। ये ट्रैक हैदराबाद और हिंदपुरी की तरफ जाती है। अगर इस नये एयरपोर्ट से इस ट्रैक को जोडा जाए तो 4 किलोमीटर का एक और ट्रैक बिछाना पड़ेगा। लेकिन सरकार ने जिस हाई स्पीड लिंक की बात की है उसे बिछाने के लिए 34 किलोमीटर का ट्रैक बिछाना पड़ेगा।
अभी जो ट्रैक विद्यमान है वह येलाहंका रेलवे स्टेशन को छूती है और शहर के चारों तरफ से अच्छी तरह से जुड़ी हुई है। इस ट्रैक के जरिये व्हाइट फील्ड,शारजापुर रोड और इलेक्ट्रॉनिक सिटी को भी छूती है,जहां ज्यादातर आईटी कार्यालय हैं। अभी अगर कोई आदमी इलेक्ट्रॉनिक सिटी से इस नये अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट तक जाना चाहे तो उसे लगभग 80 मिनट का समय लगेगा।
बंगलुरु में दक्षिण रेलवे मुख्य कार्यालय के एक सूत्र के मुताबिक कि अगर यह रुट रेलवे के हिसाब से बनाया जाए तो इतना छोटा हो जाएगा कि यात्रा समय घटकर 50 मिनट रह जाएगा। पश्चिम में(राजाजीनगर और मल्लेश्वरम) बेंगलुरु से एक लाइन चलती है,जो मल्लेश्वरम को यशवंतपुर रेलवे स्टेशन से जोड़ती है और यह येलहंका से भी जुड़ा हुआ है।
दक्षिण में सलेम रेलवे ट्रैक इलेक्ट्रॉनिक सिटी के नजदीक से गुजरती है और शारजापुर रोड से गुजरती हुई कृ ष्णाराजजनपुर को छूती हुई येलहंका रेलवे स्टेशन को जाती है। यहां से व्हाइट फील्ड के भी यात्री आसानी से यात्रा कर सकते हैं।
दक्षिण पश्चिम में मैसूर रेलवे ट्रैक केंगेरी और विजयनगर को जोड़ती हुई बेंगलुरु सिटी स्टेशन से गुजरती हुई यालाहंका होते हुए हैदराबाद जाती है। पूरब में बांगरपेट रेलवे लाइन कृष्णराजनपुर को छूती हुई यालाहंका को जोड़ती है। इसके अलावा एक रेलवे लाइन है जो केंटोनमेंट रेलवे स्टेशन से निकलती है और पूरे शहर को छूती हुई यशवंतपुर-येलाहंका लाइन से जुड़ती है।
बेंगलुरु एजेंडा टास्क फोर्स के पूर्व सदस्य वी रविचंदर ने कहा कि इस नये एयरपोर्ट को अगर शहर के सभी दिशाओं से पूरी तरह जोड़ना है तो इसे रेलवे ट्रैक से जोड़ना होगा,क्योंकि अगर इसके बजाय हाई स्पीड रेल लिंक का सहारा लिया जाएगा तो समय के साथ खर्च भी ज्यादा आएगा। उन्होंने बताया कि इस समस्या के लिए अगर रेलवे से बात की जाए तो एयरपोर्ट के नजदीक से इन रुटों पर ट्रेनों को सही तरीके से चलाया जा सक ता है।
वैसे भी इन लाइनों पर ट्रेनों का सही परिचालन नही हो पा रहा है। इस समस्या के समाधान का दूसरा तरीका है कि आवागमन को आसान बनाने के लिए ऐसे 16 लोकेशन को चिह्नित किया जाए जहां से इस ट्रेन रुट के पास बसों के केंद्र बनाए जाए ताकि रेल रुट से जुड़ने के बाद नये एयरपोर्ट से भी आसानी से जुड़ा जा सकें।
एक अनुमानित आंकड़ों के मुताबिक अगर इस वर्तमान रेलवे ट्रैक को सही तरीके से परिचालित किया जाए तो इसमें मात्र 100 करोड़ रुपये खर्च आएंगे और नये एयरपोर्ट से भी आसानी से जुड़ना संभव हो पाएगा। इस सारे काम को पूरा करने में भी मात्र 6 महीने का वक्त लगेगा। लेकिन वर्तमान ट्रैक पर हाई स्पीड ट्रेन चलाना संभवा नही हो सकता।
इसके अलावा एक विकल्प यह है कि वर्तमान में बिछे हुए रेलवे ट्रैक के अलावा एक और ट्रैक बनाया जाए। इसमें 3000 करोड़ रुपये खर्च आएंगे और इसमें एक साल का वक्त भी लगेगा। दक्षिण रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि इस संदर्भ में राज्य सरकार ने कोई संपर्क स्थापित नही किया है।
वैसे भी अंतर नगरीय रेल परिचालन भारतीय रेल के परिक्षेत्र में नही आता है और इसलिए जबतक राज्य सरकार इस बाबत संपर्क स्थापित नही करती तब तक कु छ नही किया जा सकता है।